आज हर तरफ एक आम इंसान परेशान है " खाने से लेकर सोने तक को उसे सोचना पड़ रहा है और फिर भी हम सुबह के चाय से लेकर शाम को सब्जी लेने जब भी जाते है । बस हमारे दिमाग से लेकर जुबान पर एक ही शब्द होता है और वो होता है महंगाई या फिर राजनीति हम जब भी फ्री होते है ! काम से फुर्सत मिलती है इस राजनीति के चक्रव्यू में फस कर रह जाते हैं । किस सरकार ने अच्छा किया किसने बुरा किसने महंगाई बढ़ाई किसने घटाई बस यही मंथन हमारे दिल और दिमाग को हिला कर रख देता है ।
और फिर काफी सोचने समझने के बाद हम डिसाइड करते है जाने दो अगली सरकार में देखा जाएगा ।
जी मैं पियूष गोयल चार साल से देख रहा हूं महंगाई का बढ़ता प्रकोप अब तो मेरे घर में सामान के साथ साथ हमने खाना खाना भी कम कर दिया है ।
क्या करे एक मिडिल क्लास फैमिली के उपर महंगाई का कुछ ज्यादा ही मार पड़ता है उन्ही में से मैं भी एक हूं ।