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चरण सिंह पथिक के बारे में

चरण सिंह पथिक का जन्म 1964 के मार्च महीने में राजस्थान के करौली ज़िले के रौंसी गाँव में हुआ। आपके तीन कहानी-संग्रह प्रकाशित हैं—‘पीपल के फूल’, ‘बात यह नहीं है’ तथा ‘गोरू का लैपटॉप और गोर्की की भैंस’। आपकी कई कहानियाँ अंग्रेज़ी और उर्दू में अनूदित हैं। आपकी ‘दो बहनें’ शीर्षक कहानी पर विशाल भारद्वाज द्वारा ‘पटाखा’ फ़िल्म और ‘कसाई’ शीर्षक कहानी पर गजेंद्र एस. श्रोत्रिय द्वारा इसी नाम से फ़िल्म का निर्माण हो चुका है। बच्चों के लिए लिखी कहानियों और कविताओं का ‘चकमक’, ‘बालहंस’, ‘बाल भारती’, ‘जनसत्ता’ आदि में प्रकाशन। सम्मान : ‘नवज्योति कथा सम्मान’, ‘राजस्थान पत्रिका सृजनात्मक पुरस्कार’, ‘रांगेय राघव पुरस्कार’, ‘अनुराग साहित्य सम्मान’, ‘कलमकार मंच निर्णायक सम्मान’, ‘पं‌‌डित चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’ कथा सम्मान’। सम्प्रति : राजकीय प्राथमिक विद्यालय, नांदौती में अध्यापन।

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चरण सिंह पथिक की पुस्तकें

दो बहनें

दो बहनें

चरण सिंह पथिक हिन्दी के उन चुनिन्दा कथाकारों में हैं जिनके यहाँ लेखन की प्रेरणा कोई शैल्पिक कौतुक या नवाचार नहीं, बल्कि कथ्य होता है। वे पूर्णकालीन रूप में गाँव में रहते हैं। इसीलिए वे ग्रामीण जीवन की उन परतों को भी देख लेते हैं जो कोई नागर दृष्टि कि

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135/-

दो बहनें

दो बहनें

चरण सिंह पथिक हिन्दी के उन चुनिन्दा कथाकारों में हैं जिनके यहाँ लेखन की प्रेरणा कोई शैल्पिक कौतुक या नवाचार नहीं, बल्कि कथ्य होता है। वे पूर्णकालीन रूप में गाँव में रहते हैं। इसीलिए वे ग्रामीण जीवन की उन परतों को भी देख लेते हैं जो कोई नागर दृष्टि कि

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चरण सिंह पथिक के लेख

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