ग़ज़ल
तेरी बेवफ़ाई से चर्चित हुए हम
गली उस मुहल्ले अनाश्रित हुए हम
नहीं मुक्त हो पा रहा दर्द दिल का
न छोड़ेगा हमको सुनिश्चित हुए हम
कहीं दूर अंबर उड़ा जा रहा था
भरे जोश से मन पराजित हुए हम
लगे लोग कहने भी मुझको दिवाना
कहीं अपनों से ही अपरिचित हुए हम
गुमां इश्क़ पर था, था विश्वास गहरा
तेरे फैसले से अचंभित हुए हम
भुला देंगे तुमको कसम ये अभी ली
बहा कर सभी पत्र तर्पित हुए हम
सुधा' प्यार का मोल क्या था यही अब
हृदय ये बहुत ही है दंशित हुए। हम
डा. सुनीता सिंह 'सुधा'
वाराणसी,©®
21/1/2023