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द्रौपदी

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शर्मनाक! क्यों सुरक्षित नहीं बेटियां ??मूर्ख! पत्थर की मूरत की रोज उतारते हो आरती पर देश में अपनी बेटी की हालत देख रो रही माँ भारती!!रोज कोई न कोई देवी स्वरूपा जंग जिंदगी की हारती...द्रौपदी की खिंच रही है अब भी साड़ी वो कृष्ण को पुकारती.

कर दियाकर दिया जायेगा बहुत से द्रौपदियों को निर्वस्त्र भरी सभा में अपने ही भाई,पिता और देवरों द्वारा ,पर एक बात नयी होगी की यहाँ उसे बचने को कोई कृष्ण नहीं आएंगे । जीत जायेंगे बहुतेरे दुर्योधन और उनके मित्र, बंधू-बांधव सब क्योकि उठ खड़े हुए हैं समर्थन में बहुत से भीष्म ,द्रोण ,कृपाचार्य और अनेक महा

राधा बनकर हो जाने दो तेरी. .. रोज़ रात, एक दस्तक आती है,शायद, वह कुछ कहना चाहती है,उठकर, देख पाता हूँ, साफ़ एक चेहरा,पता नहीं कैसे, चाहे, जितना भी हो अँधेरा,किसी से, कह भी नहीं सकता, करेगा नहीं कोई विश्वास,अंतर्मन की महिमा का, सिर्फ़ होता है एहसास,डर भी लगा, पहली बार जब आय

द्रौपदी स्वयंवर : एक और दृष्टिकोण द्रौपदी स्वयंवर का समय, पांचाल की राजधानी काम्पिल्य में सभा भरी हुई थी, विशाल सभागार की एक ओर चबूतरे पर सिंहासन पर द्रुपद विराजमान थे, उनकी दाहिनी ओर क्रम से युवराज धृष्टद्युम्न और उनके बाद अन्य राजकुमार बैठे थे, सत्यजित, उत्तमजस, कुमार, युद्धमन्यु, वृंक, पांचाल्य

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बिहार की सबसे बड़ी पूजा छठ है. आस्था के महापर्व के नाम से जाना जाने वाला छठ पूरे बिहार में बड़े ही धूम धाम से मनाया जाता है. एक बिहारी की पहचान, उसके घर लौटने की वजह, छठ अपने आप में लाखों कहानियां समेटता है. छठ पर्व के आगाज़ की कई कहानियाँ समाज में प्रचलित हैं. रामायण से ल

शायद हम जानते है महाभारत क्यूं हुई यही शायद  गीता में भी लिखा है और वही हमने देखा है और वही टी.वीके  माध्यम से हम देखते आ रहे है । शकूनी मामा और दुर्योध्न ने किस तरह से चालबाजी करके पांडवो का सारा राज्य ले लिया फिर द्रोपदी का चीर हरण किया जिससे आगे चलकर महाभारत हुई ।             पर आप सोचिये अगर युध

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