shabd-logo

छटपटाहट।

3 मार्च 2024

4 बार देखा गया 4

उसके दुख का कारण मैं नही उसकी ख़्वाहिशें थी,

जो उसने मेरे कद से ज्यादा बना ली थी।।


मैं पहुँचने वाला, बमुश्किल से शाक तक,उसने चाहत,दरख्त की अंतिम छोर  बता दी थी।।


बहुत मुश्किल से मैं चादर मे आता था,

और ,उसने पैर बांहें सब ही तो फैला दी थी।।


यह कर रही थी अजमाइश वो मेरी इंतिहा की ,

या मुड़ने की कसम ही उसने खा ली थी।।


शरारत उसके रवैए की यह मंहगी रही,,

पर कीमत उसने मुझसे यही बता दी थी।।


जब मुड़ा भी था,मैं वापिस,जाने को होकर, बेकदर,

पछताएगी, दिल को  दिल ने मेरे यहीं सलाह दी थी।।


हैरां था देख कर शौकीनियां उसकी,उम्र भर,की,कीमत देख कर,

कीमत थी वही सच्ची,जो उसने अपनी लगा ली थी।।


याद आता है पीछे का तमाम  वो बोझिल सा,सफर,

और वो "छटपटाहट," जो मैंने रह संग उसके बिता दी थी।।

=/=

संदीप शर्मा।।


12
रचनाएँ
स्पर्श
0.0
अनूदित।अनुभूतियां। संदीप शर्मा कृत।।
1

स्पर्श

13 फरवरी 2024
0
1
0

शीर्षक :- स्पर्श ।।मौलिक रचनाकार, संदीप शर्मा।।=/=तुम्हारा स्पर्श मुझे अनूदित कर देता है,सिहरन उठती है दूर तलक, ह्रदय मे,क्या बताऊँ यह स्पर्श कितना आल्हादित सा सब कर देता है।।तुम्हारे ख़्याल की हवा ज

2

एक स्पर्श ऐसा भी।

13 फरवरी 2024
0
1
0

समुद्री रास्ते से जाकर मुकाम आता है,मेरा महबूब है,पानी सा, रूला कर सताता है।।ख्वाहिशों के मेरे साहिल सुखा के रखे है,अश्कों के मोती वहा छुपा के रखे है।।कर दिया है मीठा पानी सब ही खारा सा,मैं संजीदा था,

3

तुम्हारा स्पर्श।

13 फरवरी 2024
0
1
0

तुम्हारे स्पर्श का एहसास ख्वाब ही रहा,कितना खुश नसीब था,वो जो रहकर भी जुदा, तुम्हारे साथ ही रहा।।काश तुम उसी की हो जाती,कम से कम स्पर्श अपनी पसंद का तो पाती।।अब जब तुम हो कही, और यादों मे है और कोई कह

4

यह कैसा स्पर्श ?

13 फरवरी 2024
0
1
0

शीर्षक :- स्पर्श ।।मौलिक रचनाकार, संदीप शर्मा।।=/=तुम्हारा स्पर्श मुझे अनूदित कर देता है,सिहरन उठती है दूर तलक, ह्रदय मे,क्या बताऊँ यह स्पर्श कितना आल्हादित सा सब कर देता है।।तुम्हारे ख़्याल की

5

प्यारा साथी।

14 फरवरी 2024
0
1
0

प्यारा साथी, इक ख़्याल था तुम्हारा, जो आगोश मे मुझे अपनी लिए रहा,हकीकत से न हुआ वास्ता कभी उससे, मैं था कि ख़्वाब मे ही.बस जिए रहा।।इतना महसूस रहा वो मुझको,कि न होने पर भी होना महसूस रहा ,गव

6

जिंदा लाश।

14 फरवरी 2024
1
2
1

वो नफ़रत का समंदर है,मैं ख़ामोश दरिया अनजान ही,ख्वाहिशों की उसकी लहरों का,मैं टूटता जरिया अरमान भी।।वो देख तैरते जहाज को ख्वाहिशें किए है,जहान की,मै कश्ती लिए किनारे पर,वो मस्त

7

चालाकियाँ।

18 फरवरी 2024
0
1
0

चालाकियाँ रूठी है मुझसे,कि मैं गले नही लगाता,जीने की लाजिम शर्त है,वो,और मुझे जीना नही आता।।=/=बेकसूर नही हूँ मैं ,यह भी कह नही पाता,गर अपना लू उन्हे ,कही वह,तो जीना है चला आता।।=/=लुभाती मुझे भ

8

आजाद या महज ख़्वाब

23 फरवरी 2024
1
1
1

शीर्षक:- आज़ाद या महज ख़्वाब।। उसने उसको बंद पिंजरे से निकाल, ऐसा खुला समंदर दिखाया, जिसका कोई आसमां तक न था, था तो खुलापन काफी ,बेहद काफी, पर टुकड़ा जमीं का जरा पास तक न था।। वो खुश तो थी बहुत

9

स्पर्श करते किन्नर।

2 मार्च 2024
0
0
0

है समाज का इक दबका, बिखरा है जो कतरा कतरा, जीवित है जीवंत वजूद, पर प्रकृति ऐसी कि हुआ मजबूर।। जी कहती कहता का प्रश्न है, हो जन्म तो मनाते न जश्न है, विडम्बना क्रूर ने किया मजाक, न स्

10

स्पर्श करते किन्नर।

2 मार्च 2024
0
1
0

है समाज का इक तबका, बिखरा है जो कतरा कतरा, जीवित है जीवंत वजूद, पर प्रकृति ऐसी कि हुआ मजबूर।। जी कहती कहता का प्रश्न है, हो जन्म तो मनाते न जश्न है, विडम्बना क्रूर ने किया मजाक, न स्

11

छटपटाहट।

3 मार्च 2024
0
0
0

उसके दुख का कारण मैं नही उसकी ख़्वाहिशें थी, जो उसने मेरे कद से ज्यादा बना ली थी।।मैं पहुँचने वाला, बमुश्किल से शाक तक,उसने चाहत,दरख्त की अंतिम छोर बता दी थी।।बहुत मुश्किल से मैं चादर मे आता था,

12

छटपटाहट। स्पर्श का एहसास।

3 मार्च 2024
0
1
0

उसके दुख का कारण मैं नही उसकी ख़्वाहिशें थी, जो उसने मेरे कद से ज्यादा बना ली थी।। मैं पहुँचने वाला, बमुश्किल से शाक तक,उसने चाहत,दरख्त की अंतिम छोर बता दी थी।। बहुत मुश्किल से मैं चादर

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए