सुबह के 10 बजे थे , किस्सा ऑफिस के लिए तैयार हो रहा था , तभी उसका फ़ोन बजा ... उसके एक दूर के रिश्तेदार रामलाल जी जोकि
शायद 89 वसंत देख चुके थे
नही रहे थे . और किस्सा को ऑफिस के बजाय वंहा जाना पड़ा .
किस्सा जब वंहा पंहुचा तो देखा घर बहार बरमादे से लेकर सड़क
तक ” रंगमहल टेंट हॉउस “ से आई लाल रंग की कुर्सिया पड़ी हुयी है . जिनमे कुछ मोहल्ले के और कुछ बहार से आये
परचित थे . मोहल्ले वाले ज्यादतर लोग चाय तलाशती नजरो
के साथ शर्मा जी की लड़की और वर्मा जी के लड़के से संबंधो की विवेचना में वयस्त थे , बहार से आये लोग सुबह जल्दी
उठने की वजह से झुंझलाहट भरे स्वर में एक दुसरे को ये बताने में मशगुल थे की जब
उन्हें सुबह उन्हें रामलाल जी के प्रस्थान की खबर मिली तो वो किस प्राकतिक या
आप्रतिक अवस्था में थे , और साथ साथ वो सामने वाले को रामलाल जी से
अपने विशेष प्रेम को जरुर बताते .
रामलाल जी के पर्थिव शरीर के पास बैठे महिलामंडल की
स्वघोषित न्यायाधीश की पैनी नजर रामलाल जी तीनो बहुओं पर थी ताकि वो बाद में इस
बाद का फैसला दे सके की रामलाल जी के न रहने से ज्यादा गमगीन कौन है ? शायद तीनो बधुओ को भी अपनी इस अग्नि परीछा का अंदाजा था इस लिए अपनी लिपस्टिक ( जो सुबह बड़ी जल्दी में में लगाने की वजह से समान रूप से पूरे होंठो पर नही लग पाई
थी ) को बचाते हुए अनवरत आंसुओ की अवरिल धारा बहाने के लिए प्रयासरत थी . महिला मंडल की बाकि सदस्या अगल अलग समूहों में कल रात में घर पर क्या बना था
से ले कर “दिया और बाती हम “ की संध्या बींदणी के नये अवतार की चर्चा में अपना योगदान दे रही थी .
छोटा लड़का मिश्रजी को बाबू जी के अंतिम समय का 48वी बार सजीव वर्णन कर रहा था .
तभी आँखों में आंसू भरे रामलाल जी बड़े लड़के ने अपने छोटे
लड़के को दो कंटाप लगा दिए वो अपने बाप के लिए ( जो अपने बाप के न
रहने पर वैसे ही दुखी थे ) रजनीगन्धा + तुलसी 00 की जगह लाला जी
के यंहा सिर्फ तुलसी00 ले आया था .
सबके लिए अब रामलाल जी आब “ मिटटी “ मात्र थे और जिसका जल्द से जल्द निस्तारण
उन सब का एक मात्र धर्म . लगभग सब तैयारिया हो गयी थी सिर्फ अंतिम संस्कार का कुछ सामान आना बाकी था . बीच वाला लड़का इस काम के अनुभवी माने जाने वाले २ लोगो के साथ वो सामान लेने गया था .
“ रंगमहल टेंट हॉउस “ की कुर्सियो पर बैठे लोगो की नजरे बार बार घडी की ओर जा रही थी . सिंह साहब जिनका
घर रामलाल जी के घर से जुड़ा था उन्होंने ठीक 11 बजे एक ठेकेदार से टेंडर पास करने के बदले
कुछ .......! सिंह साहब मन ही मन सोच रहे थे “ रामलाल को आज ही मरना था “.
मल्होत्रा जी का मॉल सेल्स टैक्स वालो ने पकड लिया था जिसे
छुड़ाने के लिए उन्हें जाना था , आज मॉल न मिला तो नुकसान होना तय था
मल्होत्रा जी बार बार सोच रहे थे “ रामलाल को आज ही मरना था “
अग्रवाल जी के बेटे का आज पहला जन्म दिन था जिसके लिए
उन्होंने DJ भी कर रखा था और अब वो ये निर्णय नही ले
पा रहे थे की वो जन्मदिन के मुबारक मौके पर ( जब मोहल्ले में गमी हो गयी हो) DJ कम आवाज में बजवाये या DJ कैंसिल होने पर होने वाले
बयाने के 700 का नुकसान उठाये . अग्रवाल जी खुद से बस पूछ रहे थे “ रामलाल को आज ही मरना था ”
निगम जी का लड़का जो की एक मैट्रो शहर में होटल मैनेजमेंट कर
रहा था उसे भी निगम जी के शहर में न होने की वजह से इस मातम में सामिल होना पड़ा था
और उसे आज इस वजह से जल्दी उठाना पड़ा था वो अपनी 12वो सोना बाबू को good morning बोलने के बाद
उबता हुआ ये सोच रहा था
“ रामलाल को आज ही मरना था ”
दीपू की 4 महीने की मेहनत के बाद पिंकी ने आज सुबह
के 11.30 वाला मूवी शो चलने के लिए रजामंदी दी थी . दीपू ने कल रात
में ही Book My Show से दो किनारे वाली सीट भी बुक करवा दी थी . पर वो यंहा फंसा
पड़ा था दीपू मन मन ही सोच रहा था “ रामलाल को आज ही मरना था “
रंजना जी के बच्चे आज स्कूल नही जा पाए थे , सुमित्रा जी के बैंक का काम रहा जा था . रजनी जी के घर की सफाई बाकी रह गयी थी . तिवारिन चाची परेशान थी की घर का गीजर खराब है घाट से वापस आ कर तिवारी जी
ठंडे पानी से कैसे नहायेगे . रामलाल जी के
मरने से सब दुखी थे (भले ही सब के कारण जुदा जुदा हो ) सब को एक ही शिकायत थी “ रामलाल को आज ही मरना था ”
कुछ समय में वातावरण “ राम राम सत्य “ गूंजने लगा . अर्थी के पीछे बहुत से अपने अपने गम से गमगीन इंसान चल रहे थे अपने चेहरे पर
एक सवाल चिपकाये हुए
“ रामलाल को आज ही मरना था “
समाप्त