8 जुलाई 2009 को शाम 5 बज कर 17 मिनट पर कानपुर के मोहल्ला जवाहर नगर की सरहद से लगे नेहरुनगर के कमला नेहरु पार्क वाली गली में मास्टर त्रिभुवन शुक्ला के घर में चिक चिक मची थी . बवाल ये रहा की शुक्ल महराज बम्बारोड सब्जी मंडी से 20 रुपिया के सवा किलो दशहरी आम लाये थे . और शुक्लाइन चाची आम की पन्नी आंगन में रख कर भीतर कौनो काम से गयी और इधर एक काले मुंह वाला जबर बंदर पन्नी सहित आम को ले उड़ा . छत पर पंतग को कन्ना दे रहे शुक्ल महराज के लड़के पवन ने आम ले जाते बंदर को देख चिल्लाने की सोची पर एक तो पनकी वाले बजरंगबली के प्रति भक्ति और दूसरे मुंह में भरे केसर की शक्ति ने पवन की आवाज को गर्दन में रोक दिया .
अब लगे हाथ पवन के बारे में भी जान लो : 23 साल के पवन , शुक्ल महराज की पहली आखरी और एक मात्र संतान है , और पिछले 2 साल से एक रजिस्टर ले कर DVS गोविंदनगर में बी.काम की पढाई कर रहे है . हर मंगल और शनीचर को पनकी वाले दरबार में माथा टेकने के साथ साथ “ बजंरग दल “ के सक्रिय कार्यकता और मोहल्ला प्रमुख बन कर हिन्दू समाज और सभ्यता को बचाने की जिम्मेदारी अपने दंड बैठक करके दमदार बनाये गए कन्धो पर लिए है . हर बुढवा मंगल , नवरात्र , होली , दिवाली पर भारत फ्लैक्स से उधारी में अपनी फोटो लगवा कर नेहरुनगर भर में अपने बैनर और पोस्टर लगवाना इनकी सालाना उपलब्धी है . 1 जनवरी और 14 फरवरी को अपने दल के साथ “ लकी रेस्ट्रोरेन्ट “ और “ गंगा बैराज “ में विदेशी सभ्यता से प्रेरित प्रेम मग्न जोड़ो को मुर्गा बनवा कर उन्हें सनातन सभ्यता की जानकारी से अवगत करवाना पवन शुक्ला का “ एनुअल फंक्शन “ है .
“ बंदर से आम तो बचा न सके , और चले है देश में हिन्दू और हिन्दुत्व बचाने , घुइया बचोगे हिन्दुत्व “ 20 रुपय के आम बंदर के उठा ले जाने से शुक्ल महराज भयंकर भन्नाए थे और पवन के नीचे उतरते ही शुक्ल महराज ने उसको पेल दिया .
पवन ने पहले तो मौका देख कर केसर की पिक को पीछे वाली नाली में मारी और फिर बाप की और देखते हुए बोले “ तो का करे , बंदर के पीछे हमहो बंदर बन जाये का ? “
इस से पहले कि बात और बिगड़े पवन ने अपनी TVS विक्टर में किक मारी और सीधे बलखंडेश्वर चौराहे पर विजय पान भंडार पर बड़ी गोल्डफ्लैक सिगरेट छोटी पेप्सी के साथ धौकने लगे . तभी उनको अपने बगल में “उईईईईई “ चीख सुनाई दी . घूम कर देखा तो हरे टॉप( जिसमे अंग्रेजी में न जाने कितना ज्ञान छपा था ) और काली जींस पहने एक थोडा गोरी सी ब्वाय कट वाली एक सुन्दरी “ पप्पू के स्वादिस्ट बताशे “ का बतासा मुंह में जाने के बाद दोनों हाथ नचाते हुए पानी की मांग कर रही थी पर ज्यादा कडू लगने की वजह से उसके मुंह से सिर्फ “उईईईईई “ निकल रहा था . पवन भाई पहली ही नजर में गदर की तीनो वजहे समझ गए . पहली वजह भांग के नशे के वजह से आज फिर से पप्पू ने बतासे के पानी में ज्यदा मिर्च झोक दिहिस है , दूसरी पप्पू पीने का पानी ही नही लावा है और तीसरी बात लड़की कानपुर से बाहर की है .
पवन से जल्दी से एक पारस शुध्द पानी का पाउच लिए और आगे बढ़ कर कन्या के हाथ में धर दिया .
कन्या ने एक ही साँस में पानी गटकने के बाद सुकून भरी नजर से पवन शुक्ला की तरफ देखा और जेब से 2 रुपिया का सिक्का निकाल कर शुक्ल जी के लौंडे की तरफ बढ़ा दिया . पहले तो पवन बाबू को माजरा समझ नही आया और जब समझे की कन्या ने पानी के पैसे दिए है है कसम अन्देश्वर की ... में आग लग गयी . मतलब पूरी बेइज्जती खराब कर दी 2 रुपिया दे कर . “ ई का मतलब ! पानी वाला समझा है क्या ? बजरंग दल के मोहल्ला प्रमुख है , वो तो देखा की पानी-पानी चिल्ला रही हो तो पानी पिलाये ! और तुम ई 2 रुपिया दे कर हमारी मजा ले रही हो ...? “ पवन लड़की पर गरज पड़े .
“ Oh ! So sorry young men . I do not know who are you?. Because I am new in this city. Well ! thank you so much . “
ये वार्तालाप सुन कर शुक्लाजी के लडके को लगा जैसे किसी ने उस पर बजरंगबाण चला दिया हो .sorry और thank you तो दिमाग में अंदर तक घुस गए और बाकी की अंग्रेजी को समझने के लिए कौशलपुरी के “ हम अंग्रेजी ,घोल कर पिलाते है “ वाली कोचिंग को ज्वाइन करने का फैसला पवन ने तुरंत कर लिया . कन्या अंग्रेजी में “thank you “ बोल कर चली गयी और पंडित जी का लौंडा उस से जी लगा बैठा .
पी.रोड भर के “खोजी नारदो “ ने ब्रजवासी की टिकिया खिलाने के वादे के बाद पवन को जानकारी दी कि कन्या का नाम राधिका गुप्ता है , रहीने वाली मेरठ की है और रामबाग में
“ पहलवान जूस वाली गली “ में मामा के यंहा रह कर यूनिवर्सिटी से कौनो कोर्स कर रही है .
9 दिनों की अथक मेहनत और “ पहलवान जूस वाली गली “ के अनगिनत चक्कर लगाने के बाद पवन महराज और राधिका के दूरभाष नम्बरों का आदान प्रदान सम्भव हुआ.
और गुरु ! यही से भसड फैलनी शुरू हो गयी . पनकी वाले दरबार के भक्त का फोकस बरसाना के बांके बिहारी की तरफ हो गया . मोबाईल में छोटा रिचार्ज की जगह रात भर मुफ्त बात रिचार्ज होना शुरू हो गया . रात-रात भर छत का कोना पकड़े बातें होती थीं. रिलाइंस के सिम और सैमसंग गुरु के मोबाइल के भरोसे गाड़ी आगे बढ़ गई थी. रात भर पावर कट में पसीना चुआते, मच्छर कटाते, बसपा को गरियाते दोनों एक दूसरे से बतियाते रहते और रात का पता भी न चलता. बस इतना पता लगता कि कब बत्ती आ गई. बत्ती आने पर नीचे चल के कूलर चला के बातें होतीं.
और यही मजाक-मजाक में एक महिना निकल गया , राधिका के मामा ससुर खुद ही यूनिवर्सिटी में बाबू थे ( बेबी बच्चा वाला बाबू नही , सच्ची वाले बाबू ) कन्या को खुद ही सुबह और शाम साथ में लाते ले जाते थे . मिलने की इच्छा दोनों दिलो में राजधानी की गति से दौड़ रही थी . लेकिन कौनो जुगाड़ नही लग रहा था .
शनिवार का दिन था , पवन बजरंगदल की शहर समीक्षा कार्यशाला में सामिल होने के लिए मंधना में थे , मोहल्लावार समीझा चल रही थी . तभी उनके सैमसंग गुरु में sms की घंटी बजी . राधिका का संदेश था वो “ हम 20 मिनट में रेव मोती पहुंच रहे है , मिलना हो तो आ जाओ . फिर हम कल 1 महीने के लिए घर जा रहे है , फिर न मिल पायेगे . “ शुक्ल महराज का दिल टूटी सडक में टैम्पो की तरह उछलने लगा . मगर समस्या ये ही की अभी समीक्षा चल रही थी बर्रा की और नेहरुनगर का नम्बर आने में कम से कम घंटा भर तो लगना ही था . बिना समीझा कराए जाने से मोहल्ला प्रमुख के पद खोने का डर था पवन ने पहली बार नेहरुनगर नाम रखने वाले को मन भर कर गरियाया . ओर फिर महबूबा से मिलने जाने के जाने के लिए अगर जुगाड़ करना हो तो लौंडो का दिमाग चाचा चौधरी से भी ज्यादा तेज़ चलने लगता है . पवन सीधे समीझक भोला सिंह चौहान ( जो समीझा के साथ साथ खस्ते धौकने में लगे थे ) के सामने जा कर खड़े हो गया और दर्द भरे स्वर में बोला “ जय बजरंगली चौहान जी ! “ ठीक उसी समय भोला सिंह चौहान ने दूसरे खस्ते का अगर भाग मुंह में डाला और गला हिलाते हुए बोले “ हां बोलो ? “
“चौहान जी ! हम नेहरुनगर के मोहल्ला प्रमुख है , अभी यंहा आने समय गुमटी में 3 खस्ते खा लिए थे , तब से पेट में बहुत मरोड़ उठ रही है लगता है हल्का होना पड़ेगा , और यंहा के शौचालय में पानी नही आ रहा है और हमने सफेद पैजामा भी पहना है , “ पवन ने 2 पल की सांस ली और फिर धीमे से नाक में ऊँगली घुमाते हुए बोला “ आज कल बरसात में खस्ते में सड़ी आलू भी पेल देते है ... हमे निकलना होगा समीझा हम आपको भिजवा देगे . “
भोला सिंह चौहान के मुंह में भरा खस्ता अब ये कथा सुनने के बाद अंदर जाने को तैयार नही था और बाहर उसे कर नही सकते थे उनका मन एकदम भिन्ना गया था उन्हें लगा अगर पवन एक पल उनके सामने रुका तो ... कंही उनका कुरता पैजामा न खराब हो जाये . और उन्होंने जल्दी से हाँथ उठा कर उसे जाने का संकेत किया .
बहार निकाल कर देखा तो मोटर साईकिल पंचर थी , दिमाग बिल्कुल झंड हो गया . खैर किसी तरह से पांडे से २०० का पैट्रोल डलवाने का वादा करके उनकी बुलेट ली ( हाँ , जिसमे आगे प्रेस लिखा है ) एक्सीलेटर ताने हुर्र- हुर्र करता बाइक लेकर दौड़ पड़ा. लौंडा तभी एक्सेलेरेटर हौंकता है, जब नई नई गाडी चलानी सीखी हो , या नया-नया इश्क़ में पड़ा हो, और यहां तो दोनों बातें लागू हो रहीं थी. और मंधना से रावतपुर की 45 मिनट की दूरी 19 मिनट में पूरी कर डाली . पर गाड़ी रेव मोती के ठीक सामने वाली क्रासिंग की बंद होने की वजह से फंस गयी और बूलेट होने की वजह से क्रासिंग से नीचे से निकलने की भी संभवना नही थी . पवन ने एक बार फिर पांडे को बुलेट लेने , क्रसिंग न हटवाने की वजह से कानपुर के सांसद से लेकर रेलमंत्री और प्रधानमन्त्री को जी भर कर गरियाया .
खैर अगले 13 मिनट बाद लड़का कन्या के सामने था . काली जींस , लाल टॉप और छोटी सी पीली बिंदी लगाये कन्या बिग बाजार में हेयर क्लिप मुंह में दबाए कॉस्मेटिक की शॉप पर दोनों हाथों से नई हेयर क्लिप ट्राई कर रहीं थीं. एक तो लौंडा वैसे ही मदहोशी में डूबा था. उनको इस मायावी रूप में देखकर रहा सहा होश भी गंवा बैठा. वहीं बुत बन गया. मैडम का चेहरा खिल उठा.
और कुछ समझ न आने पर पवन बोले “ तुम पर बिंदी बहुत अच्छी लगती है “
“ पता है. इसीलिए लगाई है. वैसे सुंदर तो हम मिनीस्कर्ट में भी लगते हैं.” राधिका ने मुस्कुराते हुए बोला . और दोनों फ़ूड कोर्ट की और पढ़
खैर इसी तरह दोनों में हौक के प्रेम हो गया , 2 बार हीर पैलेस में फिल्म भी देखी . और दुबारा में राधिका की लिपस्टिक फिल्म खत्म होते पवन के होंठो में पहुचन गयी . इस बीच पवन बाबू का रहन सहन ,पहनावा पूरी तरह से भारतीय सभ्यता से पश्चिम सभ्यता की उन्मुख हो गया था .
खैर साल बीत गया राधिका ने यूनिवर्सिटी से डिग्री प्राप्त कर और पवन को बांके बिहारी की कसम दे कर की वो उसी से ब्याह करेगा अपने शहर मेरठ निकल ली .
ब्राम्हणों के घर में एक बनियों के घर की लड़की बहुरिया बन कर आएगी ये सुन कर शुक्ल जी के यंहा कांड हो गया . त्रिभुवन शुक्ला ने अपने लौंडे पवन शुक्ला को जी भर के जुतियाने के बाद अपनी सम्पती से लात मार के भगा देने का ऐलान किया . और शुक्लाइन चाची दुनियां को का मुंह दिखायेगी के सदमे के मारे खाना पीना छोड़ कर कोप भवन में चली गयी .
275 गज का मकान ,बाप का PF और महतारी के आंसू पवन के प्रेम पर भारी पड़े . पर गुरु लौंडा पूरी तरफ से बदल गया . पंडित जी के लौंडे ने जीवन भर रंडुआ रहने का फैसला किया .
09 जुलाई 2016 शनिवार का दिन था .( इन 6 सालो में बहुत कुछ बदल चूका था पवन शुक्ला एक बार फिर से केजरीवाल बनते हुए बांके बिहारी की भक्ति से यु टर्न लेते हुए बजरंगबली की शरण में था . पढाई और नेतागीरी छोड़ कर टाटमील चौराहे पर “ बजरंग स्वीट हॉउस “ खोल लिया था . क्लीन सेव चेहरे की जगह घनी दाढ़ी और मूंछो ने ले लिया था . संकरी मोहरी की जींस ओर टी-शर्ट भगवा चोले में तब्दील हो गयी थी .) पनकी मंदिर से आ कर शुक्ल महराज गद्दी पर बैठे थे . बलिया डिपो की बस चौराहे पर रुकी कई सवारियों के साथ नीली साड़ी में एक मोहतरमा काँधे पर बैग लटकाए अपने 4 साल के बालक के साथ भी उतरी . और सीधे “ बजरंग स्वीट हॉउस “ पर रुकी . बालक को को भूंख लगी थी और वो रो रो कर गदर काटे था. .
“ भईया ! जरा बच्चे को एक गर्म समोसा दे दो , और एक पेप्सी भी निकाल दो अगर ठंडी हो “
आवाज कानो में पढ़ते ही पवन महराज को ऐसे झटका लगा जैसे केस्को वालो के ट्रांसफार्मर
( दुर्भाग्य से जिस समय बिजली भी आ रही हो तब ) हाँथ डाल दिया हो . पलट कर देखे तो तो 6 साल बाद सामने राधिका खड़ी थी मांग में हल्का सा लाल रंग का सेंदूर और ऊँगली पकडे मम्मी- मम्मी ! करके नाक सुड्कता समोसे की तरफ भूखी नजरो से ताकता बालक शादी नामक रजिस्ट्री होने जाने की गवाही दे रहा था . पवन बाबू हक्का बक्का से राधिका को तक रहे थे और बालक “ कायं कायं “ करके पीपनी बजा रहा था .
“ अब ! हम का तक रहे हो भईया ! बच्चे को समोसा दो ! “राधिका तेज आवाज में बोली .
पवन के जैसे नीद से जागे और उनके लब हिले “राधिका तुम ! हमको नही पहिचाना ? हम पवन ! “
राधिका जैसे जम कर रह गयी . पवन जल्दी से 2 समोसे मीठी चटनी और छोटी पेप्सी के साथ बालक को थमाये . उसका रोना बंद हो गया और माँ का हाँथ छोड़ कर समोसा अंदर करने लगा . पवन और राधिका के बीच सिर्फ मौन बोल रहा था . जब कहने को बहुत कुछ होता है तो शब्द साथ कंहा दे पाते है ?
बालक ने मौन तोडा और पवन की और देखते हुए जलेबी की ट्रे की तरफ इशारा करते हुए बोला “ मामा जलेबी दो “
पवन कुछ बोले इस से पहले ही 20 का नोट पवन की तरफ बढाते हुए राधिका बोली “ हम नही जानते कौनो पवन को “ और बालक को ले कर बाहर निकाल गयी .
पवन बौराए से मुंह खोले खड़े थे तभी राधिका पलट कर अंदर आई और बोली “भईया ! ब्याह कर लो . ऐसे अच्छे नही लगते हो . हम तुमका भूल गये है और अब तुम भी हमका भूल जाओ .
अगले दिन लोगो ने देखा “ बजरंग स्वीट हॉउस “ का नाम का बोर्ड “ मामा समोसे वाला “ हो गया है .
( उपरोक्त कथा के सारे पात्र काल्पनिक है , अगर इनका किसी से कोई सबंध पाया जाता है तो हमे घन्टा कोई फर्क नही पड़ता )
समाप्त
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