ऑफिस से बाहर निकला तो बारिश की हल्की फुहारे बदन को भिगो रही थी , दिन शाम के साये से गुजरता हुआ रात के आगोश की और बढ़ चूका था , मेरी मंजिल यंहा से 19 किलोमीटर दूर मेरा घर था , मुझे पता ही नही चला कब बाइक हाइवे पर आई और कान में लगी Hands-free से होते हुए ताल Movie के गाने दिल तक पहुचने लगे , हाँ मुझे आज भी याद है की ऐसे मौसम में जब भी मै तुम्हे घर छोड़ने जाता था तब हम दोनों एक ही Hands-free से घर तक यही गाने सुनते हुए पहुँचते थे ,मुझे नही मालूम आज जब तुम मुझ से हजारो किलोमीटर दूर किसी और की बन कर ये गाने सुनती हो की नही और अगर सुनती हो तो मुझे याद करती हो की नही , लेकिन मैंने आज तक राइट साइड वाली हैंडफ्री को अपने कान में नही लगाया वो आज भी तुम्हरे लिये खाली है ,
आजकल प्यार-श्यार को नहीं मानने वाली तुम कहती रही वक़्त भर देगा मेरे जख्म .
पर इसी अरसे मै सोचता रहा तुम्हारी दी हुई लीवायस टीशर्टों, प्रो-वोग जूते
यार्डली-टेम्पटेशन डियोडेरेंट को खपाने में ही बरस गुजरेंगे..
एक बार फिर से चल दिया हूँ प्यार के उसी रास्ते पर जंहा पूरा जँहा बसता है , नही जानता इस सफर का हश्र क्या होगा ,? अब नही सोचता की आबाद होना है या बर्बाद ? एक फिर से खुद की इश्क़ के हवाले कर रहा हूँ,
" मै खुद के वजूद को तुम्हारी कैद से आजाद करना चाहता हूँ , उसके प्यार में गिरफ्त हो कर "
बातो बातो में याद ही नही रहा , मेरी मंजिल ( मेरा घर ) आ गया था।