भारत के 10 सबसे बड़े करप्शन
स्कैंडल्स की
कहानी-----
पिछले कुछ सालों में बड़े-बड़े करप्शन स्कैंडल्स की
इतनी खबरें हमने सुन ली हैं कि अब
छोटी-मोटी ख़बरों का हम पर असर
ही नहीं होता है. आप विश्वास
नहीं करोगे लेकिन अगर सारे स्कैम्स की
रकम का टोटल करें तो इतने 'ज़ीरो' लगाने होंगे कि
दिमाग का दही हो जायेगा. सबसे हैरत
की बात ये है कि प्रशासनिक अफसरों से लेकर बड़े-
बड़े राजनेता इन स्कैंडल्स में लिप्त हैं. वो कहते हैं न 'इस
हमाम में सब नंगे हैं'. और दुःख तो इस बात का होता है कि ये
हमारा, जनता का पैसा है जो ये मौकापरस्त लोग अपनी
तिजोरियों में जमा कर लेते हैं. तो आज आपको बताते हैं कुछ ऐसे
करप्शन स्कैंडल्स के बारे में जिसकी वजह से भारत
का नाम बार-बार खराब होता है.
1. काला धन शोधन स्कैम-
घपले की रकम: 50,000 करोड़
मुख्य आरोपी: हसन
अली खान
काले धन का स्कैम तब सामने आया जब एक भारतीय
उद्योगपति को काले धन के शोधन के आरोप में पकड़ा गया
जिसकी कीमत करीब
39,120 करोड़ रुपये थी. इसके बाद सरकार को समझ
आया कि काले धन की समस्या बहुत
बड़ी है. कई उद्योगपति, सरकारी
अफसर, राजनेताओं ने अपना काला धन स्विस बैंक में छुपा रखा है
जिसे अब भारतीय सरकार वापस लाने की
कोशिश कर रही है.
2. कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला-
घपले की रकम: 70,000 करोड़
मुख्य आरोपी: सुरेश
कलमाड़ी
2010 के कॉमनवेल्थ गेम्स दिल्ली में हुए थे जो
हर भारतीय के लिए गर्व की बात
होनी चाहिए थी, लेकिन इन गेम्स के
पीछे के घोटाले की असलियत जान कर
हर देशवासी का सर शर्म से झुक गया था.
आज इस घोटाले की जांच
सीबीआई और दूसरे आयोग कर रहे हैं.
कॉमनवेल्थ गेम्स शुरू होने से पहले ही सुर्ख़ियों में
थे क्योंकि बालश्रम, भाई-भतीजावाद,
फर्जी कंपनियों को पेमेंट और तैयारियों में
देरी की खबरें आना शुरू हो
गयी थी.
ट्रेडमिल से टॉयलेट पेपर तक की खरीद
में घपला था. सोचिये ज़रा, एक लिक्विड सोप डिस्पेंसर
जैसी छोटी-सी
चीज़ 9,379 रुपये पर किराए पे ली
गयी थी. जी हां, किराये पर!
दिसंबर, 2002 में खर्च 399 करोड़ से बढ़ कर 1,628 करोड़ हो
गया था. ट्रेडमिल जैसी मशीनें अपने
असल दाम से कई गुना ज़्यादा रुपयों पर
खरीदी और किराये पर ली जा
रहीं थी. किसी
भी स्कैम की तरह यहां भी
नेता, सरकारी अफसर और कॉर्पोरेट्स की
मिली-भगत साफ़ दिखाई दे रही
थी.
इस घोटाले के सामने आने के बाद, कॉमनवेल्थ गेम्स समिति के
अध्यक्ष, सुरेश कलमाड़ी और उनके साथियों को
गिरफ्तार कर लिया गया था. उस समय दिल्ली
की मुख्यमंत्री
श्रीमती शीला
दीक्षित को भी काफी
आलोचना झेलनी पड़ी थी.
3. 2G स्पेक्ट्रम घोटाला-
घपले की रकम: 1,76,000
करोड़
मुख्य आरोपी: ऐ. राजा और
एम.के. कानिमोज़ी
भारत के इतिहास में शायद इससे बड़ा घोटाला कभी
नहीं हुआ है. पूर्व टेलीकॉम
मंत्री ऐ. राजा ने अलग-अलग टेलीकॉम
कंपनियों को 2G स्पेक्ट्रम लाइसेंस, मार्किट के मुकाबले कौड़ियों के
दाम बेच दिए थे. इस घपले की वजह से सरकार को
$ 39 बिलियन का नुकसान हुआ था. CAG (The
Comptroller and Auditor General of India)
की ये रिपोर्ट आने के बाद ऐ. राजा को
टेलीकॉम मंत्री के पद से हटा दिया गया
था.
इस घोटाले की लपटें प्रधानमंत्री के
ऑफिस तक पहुंच गयी थीं, जब उन्हें
सुप्रीम कोर्ट को जवाब देना पड़ा कि ए. राजा पर
कार्यवाही करने की याचिका पर इतना
विलम्ब क्यों हुआ. इस घोटाले के बाद कई टेलीकॉम
कंपनियां सीबीआई की नज़र
में हैं. डीएमके की सांसद एम.के.
कानिमोज़ी भी इस घोटाले की
वजह से तिहाड़ जेल में हैं. डीएमके नेता, दयानिधि
मारन को भी सीबीआई के
दबाव के कारण अपना इस्तीफा देना पड़ा. इस घोटाले
की व्यापकता इस बात से जानी जा
सकती है कि नेता-राजनेता, उद्योगपति,
सरकारी अफसर, मीडियाकर्मी,
प्रचारक सब इस घोटाले में लिप्त थे.
4. आदर्श हाउसिंग घोटाला-
घपले की रकम: 18,978 करोड़
मुख्य आरोपी: अशोक चव्हाण
और अन्य नेता
आदर्श को ऑपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी बनी
थी कारगिल युद्ध के जवानों और उनकी
विधवाओं के लिए, लेकिन हमारे देश के नेता कहां बाज़ आते हैं,
उनका भी हक़ खा गए. उस समय महाराष्ट्र के
मुख्यमंत्री थे अशोक चव्हाण जिन्होंने अपने
रिश्तेदारों को बहुत ही कम दाम पर ये घर दे दिए.
सिर्फ वही नहीं, कई दूसरे नेता,
मिलिट्री अधिकारी और अफसरों ने जम कर
इन घरों की खरीदफरोख्त की.
पूर्व आर्मी चीफ जनरल
दीपक कपूर और एन.सी विज,
नेवी चीफ एडमिरल माधवेन्द्र सिंह और
वाईस-चीफ जनरल शांतनु चौधरी को
भी इस सोसाइटी में घर मिले.
सीबीआई, इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और
एनफोर्समेंट डायरेक्टरेट की जांच के बाद
सुशील कुमार शिंदे, स्वर्गीय विलासराओ
देशमुख और अशोक चव्हाण के बीच की
सांठ-गांठ सामने आयी जिसके बाद अशोक चव्हाण को
मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा.
5. स्टैम्प पेपर घोटाला-
घपले की रकम: 20,000 करोड़
मुख्य आरोपी: अब्दुल
करीम तेलगी
स्टैम्प पेपर घोटाला शायद भारत के इतिहास का सबसे
अजीब घोटाला था. अब्दुल करीम
तेलगी जो फल-सब्ज़ियां बेचा करता था, उसने
नकली स्टैम्प पेपर छाप कर करोड़ों का घपला किया.
तेलगी पहले नकली पासपोर्ट बना कर
लोगों को ठगता था, फिर उसने नकली स्टैम्प पेपर छाप
कर बैंक्स, बीमा कंपनियों, विदेशी निवेशकों
और शेयर ब्रोकिंग कंपनियों को बेचे. इस घोटाले की
वजह से तेलगी ने 12 राज्यों में 20,000 करोड़ रुपयों
की धोखाधड़ी की. इस घोटाले
में तेलगी का साथ दिया पुलिस और सरकारी
अफसरों ने. नेता भी पीछे
नहीं थे. नार्को टेस्ट में साबित हुआ कि शरद पवार
और छगन भुजबल जैसे दिग्गज नेता भी इस घोटाले में
मिले हुए थे.
तेलगी को 2007 में 13 साल की
कड़ी सज़ा हुई और 202 करोड़ रुपये का जुर्माना
भी लगा. तेलगी के 42 साथियों को
भी 6 साल की सज़ा हुई.
6. बोफोर्स घोटाला-
घपले की रकम: 40 मिलियन
मुख्य आरोपी: ओटाविओ
क्वात्त्रोची
1980 और 1990 के दशक में बोफोर्स घोटाले ने पूरे देश और
राजनीति को हिला के रख दिया था क्योंकि इसमें पूर्व
प्रधानमंत्री स्वर्गीय राजीव
गांधी जैसे नेताओं के नाम शामिल थे. आरोप था कि कई
भारतीय नेताओं को स्वीडिश अस्त्र
शस्त्र कंपनी बोफोर्स ऐ.बी. से हुई
410 155 एम.एम. Field Howitzer की
डील के लिए रिश्वत मिली थी.
इस डील में बिचौलिया था इतालियन व्यापारी
ओटाविओ क्वात्त्रोची जो इस घोटाले का मुख्य
आरोपी भी था.
सीबीआई कई सालों तक
क्वात्त्रोची की तलाश में लगी
रही. इस घोटाले की वजह से कांग्रेस को
नवंबर, 1989 के चुनावों में हार का मुंह भी देखना
पड़ा. सालों से चलते आ रहे इस केस की फाइल 13
जुलाई, 2013 को क्वात्त्रोची की मृत्यु
के बाद बंद हुई.
7. चारा घोटाला-
घपले की रकम: 950 करोड़
मुख्य आरोपी: लालू प्रसाद यादव
चारा घोटाले के बारे में आप सालों-सालों से सुनते आ रहे होंगे
क्योंकि ये सब घोटालों का बाप है. वैसे तो ये घोटाला कई सालों से चला
आ रहा था, लेकिन मीडिया और जनता की
नज़र में ये आया 1996 में.
मवेशी जो कभी थे ही
नहीं, उनके लिए चारा, दवाइयां और पशु-पालन
उपकरण मंगवाए गए थे. कहा जाता है कि पशु-पालन विभाग ने
करीब 950 करोड़ रुपयों का गबन किया.
मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव और पूर्व
मुख्यमंत्री जग्गनाथ मिश्रा को इस घोटाले
की वजह से इस्तीफा भी
देना पड़ा था.
8. हवाला घोटाला-
घपले की रकम: 80 करोड़
मुख्य आरोपी: एल.के
अडवाणी और
पी.वी. नरसिम्हा राव
1996 में हुए इस घोटाले के बाद देश के बड़े-बड़े नेताओं का नाम
सुर्ख़ियों में आया था. आरोप था कि हवाला दलालों से इन नेताओं को
1,000 करोड़ रुपये मिले थे. ये पहला घोटाला था जिसके बाद जनता
को समझ आया कि कैसे नेता राष्ट्रीय खज़ाना
खाली करने में लगे हैं. और तो और, ये हवाला दलाल
वो थे जो कश्मीर के आतंकवादी संगठनों
को रुपये दिया करते थे.
इस घोटाले में एल.के. अडवाणी, अर्जुन सिंह, यशवंत
सिंह, कल्पनाथ रॉय, वी.सी. शुक्ला,
माधवराओ सिंधिया, शरद यादव, बूटा सिंह, नटवर सिंह और मदन
लाल खुराना जैसे दिग्गज नेता शामिल थे, लेकिन इनके खिलाफ
पर्याप्त सबूत न होने के कारण आगे कोई कार्यवाही
नहीं हो सकी. आडवाणी
उस समय विपक्ष के नेता थे.
9. सत्यम घोटाला-
घपले की रकम: 14,000 करोड़
मुख्य आरोपी: बी.
रामालिंगा राजू
कॉर्पोरेट जगत का ये शायद सबसे बड़ा घोटाला था
जिसकी वजह से सत्यम कम्प्यूटर्स के चेयरमैन
रामालिंगा राजू को इस्तीफा देना पड़ा और बाद में उन्हें
जेल भी हुई. राजू ने अपनी
कंपनी की बैलेंस शीट में
घपला करना शुरू किया और प्रॉफिट बढ़ा-चढ़ा कर दिखाना शुरू किया.
फलस्वरूप, सितम्बर 2008 के अंत में सत्यम कम्प्यूटर्स
की बैलेंस शीट थी 5,361
करोड़ रुपये पर जो असली रकम से 300 करोड़ ज़्यादा
थी.
10. कोयला घोटाला-
घपले की रकम: 1.86 लाख
करोड़
अगर आपको लग रहा था कि 2G घोटाला अब तक का सबसे बड़ा
घोटाला है तो नहीं यार! घोटाले करने में नेताओं और
उद्योगपतिओं को कोई मात नहीं दे सकता. और कोयला
घोटाले ने तो हद ही कर दी. CAG
की रिपोर्ट के अनुसार, सरकार ने 2004 से 2009 के
बीच अनियंत्रित तरीके से भारत के कोयला
भंडारों का आवंटन किया. इसकी वजह से उन्हें
1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा.
शुरूआती रिपोर्ट के हिसाब से ये नुकसान
करीब 10 लाख करोड़ का था लेकिन
सरकारी कंपनियों का नाम इसमें से निकालने के बाद ये
घाटा 1.86 लाख करोड़ हुआ.
इस घोटाले में विपक्ष ने पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर
मनमोहन सिंह का भी इस्तीफा मांगा
क्योंकि 2006 से 2009 के बीच कोयला मंत्रालय
मनमोहन सिंह के आधीन था. ये घोटाला और
भी पेचीदा तब हुआ जब
करीब 43 फाइलें जिनमें निजी कंपनियों के
खिलाफ ज़रूरी जानकारी थी,
गायब हो गयीं. विपक्ष के संसद में हंगामे के बाद 7
फाइलों का पता चला जिन्हें सीबीआई को
भेज दिया गया.
कहते थे की भारत एक समय पर सोने
की चिड़िया हुआ करता था और ये सोना अंग्रेज़ अपने
साथ ले गए. लेकिन इन घोटालों के बारे में पढ़ कर लगता है कि
हमें तो अपने ही लूट रहे हैं. ज़रा सोच कर देखो
कि अगर ये सारा पैसा देश के विकास के लिए लगाया जाता तो आज
शायद भारत दुनिया के सबसे विकसित देशों में से एक होता.