बस स्टैंड
दिल्ली
सोना खड़ी होकर बस का इंतज़ार कर रही थी । तभी बस आकर रूकी तो सोना अंदर चली गई ।
उसी बस में पंछी भी बैठी हुई थी । वो बैठी थी और साथ में एक औरत भी बैठी थी ।
सोना को कहीं जगह नहीं दिखी तो वो पंछी के पास वाली सीट पर आई और बोली - आंटी अपनी बच्ची को अपने गोद में बैठा लीजिए ना ।
इतना कहना था कि पंछी भड़क गई और बोली - एक्सक्यूज मी मैं इनकी बेटी नहीं हूं और बच्ची किसे बोला तुमने, बच्ची दिख रही हूं मैं ।
सोना - हां ।
पंछी चिढ़ गई - ठीक है बच्ची दिख रही हूं पर बच्ची हूं नहीं तो तुम कही और बैठ जाओ ।
सोना - तुम तो इतनी पतली हो थोड़ा सा एडजस्ट कर लो ना ।
पंछी के बगल में बैठी औरत बस उन दोनों को हैरानी से देखे जा रही थी।
पंछी जो पहले से ही चिढ़ी हुई थी बोली - नहीं मैं नहीं कर सकती एडजस्ट ।
अगर सोना ने उसे बच्ची नहीं कहा होता तो वह उसे बैठने के लिए जगह दे देती पर सोना ने उसे बच्ची कह दिया।
पंछी पतली तो थी ही ऊपर से उसका चेहरा भी बच्चों जैसा था तो कोई भी उसे बच्ची बोलकर चला जाता था और पंछी को ये बिल्कुल पसंद नहीं था।
सोना मुंह बनाते हुए दूसरी ओर जाने लगी तभी एक स्टॉप आ गया और पंछी के बगल में जो औरत बैठी थी वह नीचे उतर गई । दोनों मन ही मन एक दूसरे को कोस रही थी।
खैर कॉलेज आया और दोनों नीचे उतरी और उन्होंने जब एक दूसरे को नीचे उतरते देखतीं हैं तो दोनों के मुंह से एक साथ निकलता है - ओ नो !
दोनों एक दूसरे की तरफ़ देखती है और अलग अलग साइड के गेट से अंदर चली जाती है।
जिस गेट से पंछी अंदर जाती उसी गेट के पास वाले बेंच में चार लोग खड़े थे जिनमें एक लड़की और तीन लड़के थे और वही उनके आगे काव्या खड़ी थी ।
उस ग्रुप की लड़की ने पंछी को देखा तो उसे इशारा करके बुलाया । पंछी वहां गई तो उसे सुनाई दिया ।
एक लड़का काव्या को बोल रहा था - तो मिस यूनिवर्स ज़रा कैटवॉक करके दिखाओ ।
काव्या - सर हमें कैटवॉक करना नहीं आता और हमारा नाम मिस यूनिवर्स नहीं काव्या है तो........
लड़का - कूल डाउन मिस यूनिवर्स मैं तो बस ऐसे ही बोल रहा था और खराबी क्या है मिस यूनिवर्स बोलने में ।
काव्या - सर हमें पसंद नहीं है ।
लड़का थोड़ी कड़क आवाज़ में- मिस यूनिवर्स आप भूल रहीं हैं कि सीनियर आप नहीं मैं हूं तो आप मुझे ऑर्डर नहीं दे सकती । अंडरस्टैंड।
काव्या थोड़ा सा डर गई- हम आपको ऑर्डर नहीं दे रहें हैं बस ....
लड़का - तुम जा सकती हो यहां से ।
काव्या ने उस लड़के की तरफ़ देखा और धीरे धीरे एक दूसरे बेंच की ओर बढ़ गई ।
पंछी उधर देखते देख वो लड़की बोली हे ! उधर अगर सब देख लिया हो तो मुझे भी देख लो इतनी भी बुरी नहीं दिखती हूं मैं।
पंछी झेंप गई और बोली जी वो मैं ..
तभी एक दूसरा लड़का - वो मैं बाद में करना पहले अपना इंट्रोडक्शन दो ।
पंछी - जी
हमारा नाम ( जीभ काट लेती है )
मेरा मतलब , मेरा नाम पंछी चौहान है
उस लड़के की ओर देख कर और क्या बताना है सर
दूसरा लड़का - कौन से डिपार्टमेंट से हो और हॉबीज क्या है।
पंछी - मैं आर्ट्स डिपार्टमेंट से हूं और मेरी हॉबीज ( कुछ याद आया) । मेरी हॉबीज खाना बनाना है ।
दूसरा लड़का - खाना बनाना , हम्म नाइस हॉबी सिर हिलाते हुए अच्छा ये बताओ गाजर का हलवा बनाने के लिए क्या क्या चीजें लगती हैं ।
ग्रुप के बाकी लोग एक दूसरे की तरफ़ देखते हैं और ये तो गई वाला लुक देते हैं
पंछी खुद में - फंस गए पंछी तुझे गाजर के हलवे का जी भी नहीं पता है । इन सर को भी थोड़ी पता होगा कुछ भी बोल देती हूं ।
पंछी - सर, गाजर , हलवा और चीनी ।
लड़का - तुम्हारा मतलब है कि हलवा रेडीमेड मिलता है और उसमें बस गाजर और चीनी मिला दिया जाता है ।
पंछी - इक्सैक्टली सर मैं यही कहना चाहती थी ।
लड़का - वाह तुमने तो लगता है कुकिंग में पीएचडी कर रखी है ।
पंछी - अब अपने मुंह से अपनी क्या तारीफ़ करना ।
और बत्तीसी दिखाने लगी
लड़का - ठीक है अब तुम जा सकती हो ।
पंछी - थैंक यू सर ।
और वो अपने आप को शाबाशी देकर चली जाती है ।
उसके जाने के बाद
उस ग्रुप की लड़की - अद्वैत तूने उसे कुछ कहा क्यों नहीं , गाजर का हलवा ऐसे थोड़ी बनता है?
वो लड़का अद्वैत - अरे उसका फेस देख कर कुछ बोल ही नहीं पाया, एकदम बच्चों जैसा था उसका फेस और वैसे भी कॉलेज का पहला दिन था तो बेचारी रैगिंग के डर से बोल रही होगी ऐसा।
लड़की - उस लड़की के लिए इतना कन्सर्न , बाकि की लड़कियों के साथ तो ऐसा कुछ नहीं की तुमने ।
हाथ घुमाते हुए "कुछ तो गड़बड़ है दया"
दूसरा लड़का (जो काव्या से बात कर रहा था ) - सही कहा सृष्टि कुछ तो गड़बड़ है ।
सृष्टि - तू तो कुछ बोल ही मत अधित मैंने देखा तू कैसे उस लड़की ऊपस सॉरी तुम्हारी मिस यूनिवर्स से कैसे बात कर थे ।
अधित - वो मैं मैं...
सृष्टि - हो गया तेरा अब जल्दी से बता कि क्या बात है ?
अधित - पता नहीं यार उसे देखकर लगा कि मैं उसे जानता हूं, उससे मिल चुका हूं ।
सृष्टि - वेट वेट कही जब तू आगरा गया था उस टाइम तो नहीं मिला था । लड़की भी तो आगरा से थी ।
अधित - हो सकता है तुझे पता है ना वहां से आते टाइम मेरा एक्सीडेंट हो गया था और मेरी यादाश्त चली गई थी ।
मुझे एक लड़की की धुंधली धुंधली तस्वीर दिखती है , शायद ये वही लड़की हो । क्योंकि जब मैंने उसे देखा तो...
सृष्टि उसकी बात बीच में ही काटते हुए - हां हां पता है जैसे फिल्मों होता है वैसा ही हुआ होगा।
तीसरा लड़का - कोई मुझसे भी बात कर लो मेरा तो क्या बोलते हैं वो हशियाकरण हो गया ।
सृष्टि - ए तू चुप रह न हम कुछ ज़रूरी बात कर रहे हैं ।
तीसरा लड़का - ब्वॉयफ्रेंड की कोई कद्र ही नहीं है ।
सृष्टि - रिवाज़ तूझे नहीं लगता नौटंकी करना लड़कियों का काम है तो तुझे नहीं करनी चाहिए ।
रिवाज़ मुंह बनाते हुए - कोई अपने ब्वॉयफ्रेंड की इतनी बेइज्जती कैसे कर सकता है ।
सृष्टि उसको ज़ोर से पिंच करती है। और भागते हुए कहती है - ऐसे।
और वह भाग जाती है ।
रिवाज़ - सृष्टि की बच्ची तुझे तो मैं छोड़ूंगा नही और वो भी उसके पीछे भाग गया ।
उन लोगों के जाने के बाद अधित काव्या के बारे में सोचने लगता है और अद्वैत पंछी के बारे में ।
दूसरी तरफ़
मेघा गेट से अंदर जा रही होती है और अचानक किसी से टकरा जाती है ।
वो उस शख्स की तरफ़ देख कर हैरानी से - तू ।
आगे क्या होगा कहानी में जानने के लिए पढ़िए अगला भाग ।
धन्यवाद !