दूसरी ओर
एक गर्ल्स हॉस्टल
दिल्ली
एक लड़की फ़ोन पर किसी से बात कर रही थी , और साथ ही साथ कपड़े भी समेट रही थी ।
लड़की - हां मां हम अच्छे से पहुंच गए हैं , और हमने अपना सामान भी जमा लिया है ।
दूसरी तरफ से आवाज़ आती है - काव्या वहां अच्छे से रहना और ज़्यादा किसी से मिलना जुलना मत पता नहीं बड़े शहरों के लोग कैसे होते हैं ।
काव्या - हां मां , आप ये बात हमें अब तक कुल मिलाकर इक्कीस बार समझ चुकीं हैं । मां अभी पिताजी को फ़ोन दीजिए ।
काव्या के पापा - हां काव्या बेटा कैसी हो, वहां अच्छे से पहुंच गई न कोई दिक्कत तो नहीं हुई?
काव्या - हम ठीक हैं पिताजी, और हम अच्छे से पहुंच गए हैं । आप कैसे हैं ?
काव्या के पापा - हम भी ठीक हैं ।
इसी तरह की और भी बातें होती हैं
काव्या - अच्छा पिताजी हम अब फोन रखते हैं , अपना और मां का ख्याल रखिएगा और हमारी ज़्यादा चिंता मत करिएगा , गुड नाईट ।
काव्या के पापा - गुड नाईट बेटा ।
इतना कहकर काव्या फ़ोन काट देती है ।
काव्या किसी को फोन करती है फोन रिंग होते ही उठा लिया जाता है जैसे फोन आने का इंतज़ार हो रहा हो ।
उधर से एक लड़की की आवाज़ आती है - कैसी है काव्या, पता है मैं तुझे कितना मिस कर रही हूं । मैं तो अभी से ही तुझे मिस करने लगी पता नही आगे क्या होगा और तुझे पता है ..........
काव्या उसकी बात बीच में ही काटते हुए बोलती है - बस करो हमारी मां थोड़ा सा हमें भी बोलने दे , कैसी हो तुम और हम भी तुम्हें बहुत मिस कर रहे हैं । अच्छा निधि तुम क्या बात बताने वाली थी।
निधि - मैं क्या बताने वाली थी( सोचते हुए ) भूल गई ।
काव्या - तुम और तम्हारी भूलने की आदत , अच्छा ठीक है बाद में बता देना पर ये बताओ तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है ।
निधि - तेरे बिना कैसी चल रही होगी तू ही इमेजिन कर ले । जब स्कूल में थे तो तू मुझे जैसे तैसे पढ़ा देती थी पर अब तो मेरी पढ़ाई डूबने वाली है ।
काव्या - निधि देखो अब हम वहां पर नहीं हैं तो तुम्हे अपनी पढ़ाई खुद ही संभालनी होगी , और वैसे भी किसी न किसी दिन तो तुम्हे खुद से पढ़ाई करनी पड़ती अब ये समझ लो की वो दिन जल्दी आ गया ।
निधि - अच्छा ठीक है । फिर अचानक से बोलती है याद आ गया ।
काव्या - क्या याद आ गया??
निधि - मैं तुझे जो बताने वाली थी ।
काव्या - क्या बताना है जल्दी बताओ ।
निधि- आज मेरे कॉलेज का पहला दिन था । पूछ पूछ कैसा गया ।
काव्या - कैसा गया?
निधि - अब मैं तुझे क्या ही बताऊं अच्छा ही गया पर पता है ,सीनियर्स ना जूनियर्स की रैगिंग कर रहे थे ।
काव्या- पर रैगिंग तो अपराध है ना ।
निधि - अरे वैसी वाली रैगिंग नहीं ।
काव्या -- तो कैसी वाली रैगिंग?
निधि - पहले सीनियर्स सभी नये स्टूडेंट्स से उनके नाम और हॉबी पूछ रहे थे और हॉबी के हिसाब से अजीबो गरीब टास्क दे रहे थे जैसे अगर किसी ने कहा कि उसकी हॉबी डांस करना है तो उसको साउथ के ब्रम्हानंदम की तरह डांस करके दिखाने का टास्क दे दिया और भी पता नहीं क्या क्या ।
अब इसे रैगिंग भी तो नहीं बोल सकते ना।
काव्या - क्या ! पता नहीं हमारे साथ क्या होगा?
निधि - ये सब छोड़ पता है मेरे कितने सारे दोस्त बन गए हैं । नेहा, सुमित, आकांक्षा और भी बहुत सारे ।
वह खुश होते हुए बोली ।
काव्या - ये तो बहुत अच्छी बात है ।
ऐसे ही निधि काव्या को ढेर सारी बातें बताती है । थोड़ी देर बाद काव्या उसे गुड नाइट बोलकर बेड पर लेट जाती है और सोचने लगती है- कल कॉलेज का पहला दिन है पता नहीं कैसा होगा । निधि की बातें सुनकर तो हमें और डर लग रहा है ।
ऐसे ही सोचते सोचते वह सो जाती है।
तो ये थी हमारी दूसरी कॉलेज गर्ल काव्या गुप्ता । आगरा की रहने वाली है और अपनी आगे की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली आई है । उसके पिताजी का एक कपड़ों का शोरूम है जो भगवान की कृपा से बहुत अच्छा चल रहा है। स्वभाव से शांत और दिखने में सुंदर , गोरा रंग थोड़ी सी लंबी हाईट और तीखे नैन नक्श। अपने स्कूल की टॉपर और इसे डायरी लिखने की आदत है ।
और एक ख़ास बात वो हमेशा अपने घर की छत से ताजमहल को देखती रहती है जो उसके घर के बहुत पास है ।
ऐसा वो क्यों करती है इसका पता तो बाद में चलेगा ।
ये जल्दी किसी से दोस्ती नहीं करती , और इसके बहुत कम दोस्त है । निधि इसकी बेस्ट फ्रेंड है जो उसकी पड़ोसी भी है ।
तो चलिए अब चलते हैं हमारी तीसरी कॉलेज गर्ल के पास
एक कमरा
दिल्ली
पूरा कमरा मेडल्स और सर्टिफिकेट से भरा हुआ था । वही बेड में एक लड़की बैठे बैठे फोन पर सर्च कर रही थी
" कॉलेज का पहला दिन "
गूगल सर्च करने पर तो जैसे बाढ़ ही आ गई । हर किसी ने पेज भर भर कर कविताएं और निबंध लिख थे ।
और भैया यूट्यूब सर्च की तो बात ही मत करो उसने सर्च किया कॉलेज का पहला दिन और ज्यादातर रिजल्ट आ रहे थे कॉलेज का पहला प्यार और न जाने क्या क्या ।
उसने दो तीन विडियोज देखे और लास्ट में फोन बेड पर फेंकते हुए बोली - क्या यार ये यूट्यूबर लोग पागल वागल है क्या कुछ भी डाल देते हैं ।
लड़की - इससे अच्छा है कि मैं अब सो जाती हूं बेकार का यह सब देख कर दिमाग ख़राब हो रहा है ।
और वो लड़की सो जाती है। ये है मेघा राव । ये एक एथलीट है । इसके पापा देवाशीष राव भी एक एथलीट थे पर फिलहाल एक ऑफिस में जॉब करतें हैं । अपने पापा को देखकर ही इसके मन में एथलीट बनने की इच्छा जगी ।
दिखने में औसत , लंबी हाईट और एकदम फिट ना ज़्यादा पतली और न ही ज्यादा मोटी , गेहुआं रंग । पढ़ाई में भी औसत , कंधे से थोड़े नीचे तक बाल ।
इसके घर में कोई भी बड़ा भाई या बड़ी बहन नहीं है इसलिए इसको ये दिन देखने पड़ रहे हैं मतलब कॉलेज के पहले दिन के बारे में नेट पर सर्च करना पड़ रहा है ।
मेघा और उसकी फैमिली मूल रूप से महाराष्ट्र के रहने वाली है लेकिन मेघा के पापा की जॉब की वजह से उन सबको मुंबई शिफ्ट होना पड़ा ।
और एक सबसे इंपोर्टेंट बात इसे मकड़ी से बहुत डर लगता है क्युंकि बचपन में उसके पैर में एक मकड़ी गिर गई थी और वहां बहुत बड़ा घाव हो गया था और तब वो पैर को हिला भी नहीं पाती थी ।
वो मकड़ी से इस हद तक डरती है कि जब उसकी मां घर की साफ़ सफाई करती है तो वह घर में पैर तक नहीं रखती है।
इसके भी ज्यादा दोस्त नहीं है ।असल में इसे दोस्त बनाने में कोई इंटरस्ट है ही नहीं । ये खुद में ही गुम रहती है ।
अब मिलते है सोनाक्षी उर्फ़ सोना से
एक घर का कमरा
एक लड़की बेड पर बैठे हुए कुछ खा रही थी और कमरे में जो डस्टबिन था वह कुरकुरे, लेज़ के रैपर्स से भरा हुआ था । वो खाते खाते लगातार अपने फ़ोन को देखे जा रही थी ।
यही है सोना ।
सोना के पास ही बैठी एक लड़की ने उससे कहा- दी अब बस भी करो कितना खाओगी आप ।
सोना- ज्यादा कहां खाया 10-15 पैकेट ही तो खाया है मैंने।
लड़की - दी 10-15 पैकेट आपको क्या लग रहा है ये बहुत कम है ।
और दी आपको याद भी है कि कल आपके कॉलेज का पहला दिन है । बाकी स्टूडेंट्स कल के दिन के बारे में सोच रहे होंगे पर आप तो अभी भी खाने में बिज़ी हैं ।
सोना - अरे तो क्या मैं उसके चक्कर में खाना छोड़ दूंगी । मैं भी सोच ही रही थी कॉलेज के बारे में ।
लड़की- आप का कुछ नहीं हो सकता । वैसे दी आप फ़ोन क्या देख रहे हो ?
सोना - कुछ नहीं बस पतले होने के तरीके देख रही थी ।
लड़की कुरकुरे के पैकेट्स की तरफ़ देखकर - और ऐसे पतली होंगी आप ।
दी पतले होने के लिए न जंक फ़ूड छोड़ना पड़ता है पर वो तो आपसे होने से रहा तो पतले होने के सपने छोड़ दीजिए ।
सोना - तुझे क्या लगता है मिंटी मैं जंक फूड नहीं छोड़ सकती तो देख उसने कहते हुए उसने अपने हाथ में पकड़े लेज़ के पैकेट को डस्टबिन ठान फेंक दिया ।( ऐसा करते हुए उसे कितना दुख हो रहा ये सिर्फ वो ही जानती थी , पर उसने अपने चेहरे पर ये जाहिर नहीं होने दिया)
मिंटी की तरफ़ देखते हुए- अब तू देख मैं कैसे एक हफ्ते पतली होती हुँ ।
इतना कहकर उसने चादर ओढ़ ली और सो गई ।
पर आधी रात को जब उससे रहा नहीं गया तो उसने अपने बैग से कुरकुरे निकाल कर खाने लगी । पर उसकी बुरी किस्मत ठीक उसी समय मिंटी जाग गई ।
मिंटी ने फट से लाइट ऑन करके देखा ।
उसने सोना को देखकर अपना सिर पीट लिया।
सोना बेचारगी से उसकी तरफ़ देखते हुए बोली - तुझे पता है ना मिंटी मुझसे रहा नहीं जाता है।
मिंटी ने कुछ नहीं कहा और लाईट बंद करके सो गई क्योंकि उसे पता था कि उसकी बड़ी बहन सब कुछ छोड़ सकती है पर खाना खाना नहीं ।
सोना भी कुरकुरे खाकर सो गई।
तो ये थी सोनाक्षी सिंह उर्फ सोना । इसके पिता एक सुपरमार्केट चलाते है और मां एक हाउसवाइफ है ।इसे खाने पीने का बहुत शौक है ।
ज्यादा जंक फ़ूड खाने की वजह से थोड़ी फूल गई है वरना बाकी सब ठीक ही था गोल चेहरा थोड़ी छोटी हाईट , गोरा रंग , बड़ी बड़ी आंखें।
ये अपने वजन से बहुत ज्यादा परेशान थी पर जैसे ही अपने सामने खाना देखती थी तो सारी परेशानी भूलकर खाने में लग जाती थी । इसे अपने कॉलेज को लेकर कोई चिंता नहीं थी इसका मानना था कि कल जो होगा होगा उसकी वजह से आज क्यों टेंशन लेना।
कैसा होगा इन लड़कियों का कॉलेज में पहला दिन जानने के लिए पढ़िए अगला भाग ।