रिश्तों के भंवर में उलझी एक कहानी जहां हर रिश्ते की अपनी कहानी है!
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रात का समय था जब उस आधी अधूरी सी बनी हुई बिल्डिंग कुछ खटर पटर की आवाज़ आ रही थी। वो बिल्डिंग कई मंजिल ऊंची थी पर, सही से बनी हुई नहीं थी, उसकी जो सबसे नीचे वाली मंज़िल थी वही कुछ अच्छी हालत में थी, और
वो मल्होत्रा प्राइवेट लिमिटेड का ऑफिस था जहां पर एक कार आकर रूकी, और उस कार से एक 40 - 45 साल का दिखने वाला आदमी बाहर निकला। वो मोहन मल्होत्रा था, उस कंपनी का मालिक जिसकी उम्र पचास से कम नहीं थी पर, अ
उसी समय M&M स्टूडियोज का ऑफिस ऑफिस के अंदर सारे लोग काम में लगे हुए थे । अंदर ढेर सारे बड़े बड़े केबिन बने हुए थे, उनके अंदर ढेर सारे लोग लैपटॉप्स के सामने काम कर रहे थे। हर केबिन के बाहर तख्तियों
" मैम.!"वो पहले वाला लड़का फिर से लड़खड़ाते हुए केबिन में घुसा । " अब क्या हो गया..वीर ?" मृणाल ने उसे देखते हुए कहा। " मैम, वो और गेम टेस्टिंग के लिए तैयार है तो मैं पूछने आया था कि क्या आप ट्र
एयरपोर्ट में वो लड़का बुके पकड़े खड़ा हुआ था और उसने समीर नंदा को आवाज़ दी थी, जिसे सुनकर समीर नंदा, मोहन और मृणाल तीनों पीछे मुड़ गए थे । उसे देखते ही जहां मोहन और समीर नंदा के चेहरे पर एक मुस्कान आ