मेरे लफ़्ज़ों को समझ के शेर वाह वाह न कहोमैं शेर नही कहता हाल ए दिल कहता हूँ जिन्होंने उम्र भर कभी सच को चख तक नहींवही इलज़ाम देते हैं के में झूठ कहता हूँतू ने छोड़ दिया जिस घर को वीरान समझ करए मौत मैं तेरे इन्तिज़ार में वही बैठा हूँमैंने ज़माने का दस्तूर सीख लिया है शबीखून के बदले खून और दिल के बदले दिल देता हूँ