बच्चें देश के भविष्य होते है | हर कोई जनता है और बचपन से ये बताया जाता है की बच्चे ही बड़े होकर देश को आगे ले जायेंगे | फिर क्यों आज हर माता - पिता की शिकायत रहती है की उनके बच्चे उनके अरमानो पर पानी फेर रहे है जबकि उन्हें ये बाटे बचपन से बताई जाती है | हमारा भी बचपन निकला कुछ ख्वाबों को पानी देते हुए | हाल ही में दुनिया की प्राचीन नगरी वाराणसी जहाँ निर्मल गंगा की धारा का हमेशा दर्शन होते रहता है उसी नगरी से लगभग ६० किमी दूर गाजीपुर नामक जगह पर हुई एक ८ वी कक्षा के बच्चें के हाथो एक दूसरे बच्चें की गोली से मारकर जान लेने की खबर ने ये एक बार फिर हमे सोचने को मजबूर किया की क्या वाकई में बच्चें देश के भविष्य है ?? जरा सोचे और अपने विचार दे | आज निश्चितरूपेण इस शिक्षा प्रणाली में बदलाव करने की जरुरत है या बच्चो के जीवन - शैली में किसी अनूठे बदलाव की जरुरत .......................................