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धनहीन जीवन - एक अभिशाप

Tribhuvan Gautam

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धनहीन जीवन -एक अभिशाप____ वास्तव में धनहीनता एक अभिशाप ही है क्योंकि बिना धन का इंसान क्या कर सकता है।ना ही वो अपनी जरुरतें पूरा कर पायेगा और ना ही अपने परिवार का भरण पोषण कर पायेगा। और जब ये सब कुछ इंसान से दूर हो जाते है तो वो इंसान एक अपाहिज या मरे के सामान होता है।इसका जीवन जीना भी व्यर्थ ही है। जन्म से लेकर बुढ़ापे तक जीवन के हर पड़ाव पर इंसान की स्थिति और कर्तव्य बढ़ते रहते है। जीवन में एक बात गौर करने वाली जो है कि इंसान भले ही निर्धन घर में पैदा हो लेकिन निर्धन मरना एक अभिशाप से कम नहीं है। इन्सान के उम्र के साथ-साथ उसकी जरूरते,लोगों कि उनसे उम्मीदें और उनके कर्तव्य इन सब का बोझ सिर्फ धन जैसी शक्तिशाली चीजों पर ही टिका है क्योंकि इन्ही की वजह से वो सब कुछ कर सकता है जो लोग उनसे उम्मीद रखते है और साथ-साथ अपना और अपने परिवार का भरण पोषण भी । इंसान अगर इस धरती पर जन्म लिया है तो उन्हें मरना है ये बात एकदम से सत्य है। लेकिन एक जो सत्य बात ये है की धनहीन व्यक्ति के जीवन मे क्या क्या होता होगा... भुखमरी,परिवार में कलह,अपमान ये सारी चीजें उसे स्वतः ही मुफ्त में मिलती हैं। इसलिए इंसान को अपने कर्तव्य को समझना और उसका अच्छे से पालन करना बखूबी सीखना होगा नहीं तो प्रकृति खुद बा खुद उसे उसका परिचय दे ही देगी। आज की इस भाग-दौड़ वाली जिंदगी में कौन किसका है।ऊपर से हमारे देश की जनसंख्या का इस कदर बढ़ना,हमारे परिवार का बढ़ना,खेतों का कम होना,खेती करने वाली जगह पर घर और फैक्ट्री का बनना और खेती के लिए जगह ना होना,मिलावट की चीजों का सेवन,,,,,,, खेती के लिए खेत बचे नहीं,इंसान क्या खायेगा कहाँ से आएगा खाना,बिना खाए इंसान कैसे जियेगा,क्या बिना खाना और पानी के किसी इंसान के लिए इस धरती पर जगह है,ऊपर से बीमार और बीमारी का बराबर से बढ़ना, मेरे ख्याल से बिलकुल नहीं.... धनहीनता एक अभिशाप है और इंसान को इससे बचना है तो उसे कमाना होगा पैसे इकट्ठे करने होंगे जो आगे चलकर उसी के काम आएंगे।बाकी आज की दुनिया मे किसी से उम्मीद एक कोरी कल्पना ही है जिसका शायद आज की निजी जीवन में कोई मोल नहीं। ऐसे बहुत से कारण है जिसमें हर इंसान अपनी जिंदगी में व्यस्त है, आपको कोई क्यों देखेगा ? त्रिभुवन गौतम s\o शिव लाल शेखपुर रसूलपुर चायल कौशाम्बी उत्तर प्रदेश,भारत 

dhanhin jivan ek abhishaap

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