धर्मवीर शर्मा
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ध्यान के माध्यम से स्वयं की खोज जारी है अध्यात्म के जगत में गुरु कृपा प्रभु कृपा से अलौकिक रहस्य अनावरित हो रहे हैं जगत के हर बंधन से मुक्त हो जाना ही परम लक्ष्य है प्राणिमात्र के कल्याण की भावना से हृदय ओतप्रोत है