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सम्पूर्ण ब्रह्मांड में गुरु के समान कोई कृपालु और दयालु नहीं है।गुरु का दर्जा भगवान के समकक्ष है,गुरु ही जीवन की नैया पार करा सकते हैं।गुरु का बखान करना संभव ही नहीं है,गुरु सर्वोपरि है।उनकी कृपा हो ज
आज हम जिस आपाधापी की जिंदगी जी रहे हैं,आज हमारा जीवन तुच्छ सा हो गया है।पश्चिमी सभ्यता ने हमारी संस्कृति और सभ्यता का नाश कर दिया है।हमेंअपने वर्तमान को बेहतर करने की आवश्यकता है,नही तो कल का जीवन नरक
तुलसीदासजी ने रामचरितमानस में शरद ऋतु का गुणगान करते हुए लिखा है-बरषा बिगत सरद ऋतु आई। लछिमन देखहु परम सुहाई॥फूलें कास सकल महि छाई। जनु बरषाँ कृत प्रगट बुढ़ाई॥अर्थात हे लक्ष्मण! देखो वर्षा बीत गई और प
बोहरही धाम : जहाँ महाशिवरात्रि पर भरता है विशाल मेला...राजधानी रायपुर स्थित छत्तीसगढ़ विधान सभा भवन से उत्तर दिशा में करीब 10 कि.मी. की दूरी पर एक प्राकृतिक और मनोरम स्थल है, जिसे हम बोहरही दाई के नाम
*जीवन कैसे जियें* जीवन को अर्थपूर्ण मायने में जीना ही इसकी सार्थकता है। मक्खियों की तरह पापों की विष्ठा के ऊपर भिनभिनाने वाले और कुत्ते की तरह विषय भोगों की जूठन चाटने में व्यतीत होने वाले ज
14 साल की प्रतीक्षाओं का अंत हो रहा था। किसी को कुछ सूझ न रहा। भरत जी ने कहा सब लोग नंदिग्राम चलें। लोग दौड़ पड़े। गोस्वामी जी कहते हैं किसी को वृद्धों की भी परवाह न हुई। राम अयोध्या आ रहे थे। मर्यादा
👉 *श्रद्धा*हमारा व्यक्तित्व ही हमारी पहचान है।आप अपने व्यक्तित्व को विकसित कीजिए ताकि आप निहाल हो सकें। श्रद्धा से ही हमारे विचार यथार्थ में परिवर्तित होते हैं। दैवी कृपा मात्र इसी आधार पर मिल सकती ह
खेलों का जीवन में बहुत महत्व है।आज खेल को हमारे शारीरिक शिक्षा के पाठ्यक्रम में शामिल किया गया है|आज विद्यालयों,महाविद्यालयों,विश्वविद्यालयों जैसे सभी शैक्षणिक निकायों में शारीरिक शिक्षा,हॉट खेल विभाग
सिद्धान्तों से हमें कभी भी समझौता नहीं करना चाहिए।जीवन में हमारे कुछ सिद्धांत होते हैं,उनका पालन करना चाहिए।सिद्धान्तों के कारण ही प्रत्येक चीज चाहे वो मानव हो या पदार्थ,सबकी मौलिकता होती है,और इसी से
टेलीविजन शब्द की उत्पत्ति ग्रीक प्रिफिक्स 'टेले' तथा लैटिन वर्ड' विजिओ' से मिलकर हुई है।इसके आविष्कारक जॉन लॉगी बेयर्ड हैं,जिन्होंने वर्ष 1925,लंदन में इसका आविष्कार किया था।दिसम्बर 1996, यूनाइटेड नेश
भारतीय संस्कृति वन या अरण्य संस्कृति कहलाती है।हमारे पूर्वज ने पृथ्वी को माता माना है।यही कारण था कि हमारी प्राचीन सभ्यता एवं संस्कृति ने प्रकृति के किसी भी क्रियाकलाप में अधिक हस्तक्षेप नहीं किया।पर्