मै दीपिका सिकदार हूँ मुझे लिखना अच्छा लगता है| अधिकतर लोग मुझे पागल समझते है | मेरे ज़्यदा दोस्त नहीं है तो मेरे दोस्त मेरे डायरी ही है |
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जिंदगी तू बता दे, ये सपने तो है पर रास्ता कहाजब गले मौत के लगने ही है , तो दर्द से मुलाकात न करा जख्म तो बहुत है पर , मरहम लागू कौन सा ये लहू की लाली को भी मिट जाना, फिर क्यों सुरमे से है, सजना सवारना इस मुकद्दर ने भी