आई आई दिवाली कहते कहते, दिवाली कब हो गई पता ही नही
चला।यह सब जादू है दिवाली का, इस मे जो आनंद आया, वह
क्यू आया ? । सोचो तो पता चलेगा, की दूर दूर जो चले गये ,ऐसे
अपने वो सब लोग, मानो घर तरफ खिंचे चले आये ।
आँखो के सामने वो सब चार दिन ही सही आये तो थे ।
नाना -नानी की आँखो मे खुशी के आंसू तो छलके । बस यही तो
आनंद था उनके लिए, निराशा मनसे दूर दूर थी, दिवाली मे ।
छोटे-,बडे मिले गले । मिठाई खाई मिलकर सबने ।
दिवाली मे इसी खुशी के दिये जले घर घर मे
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-अरुण वि.देशपांडे-पुणे
9850177342