दोनों ही अपने पुराने दिनों में खो जाते हैं, खाना खाते समय मां पूछती है"मुंबई में कहां रूके हो ,वह बताता है,यही पास में एक छोटा सा होटल है उसी में हूं"!, रोहित कहता है," चल तेरा सामान लेकर आते हैं," साकेत कहता है," मेरे पास दो जोड़ी कपड़े और डिग्री के अलावा कोई सामान नहीं है,कुछ काम वाम मिले तब तो सामान लिया जाए"!, नंदिनी कहती है" कही नौकरी मिली की नही ,"? वह कहता है"कई जगह इंटरव्यू दिया तो है,पर कॉल अभी तक आया नही , उम्मीद है जल्दी हो जायेगा,! नंदिनी कहती है " भईया का कल ही प्रमोशन हुआ है ,यही लंडन बेस कम्पनी की प्रोडक्ट यूनिट है , उस में भईया आप को भी लगवा देंगे क्यों भईया"!! रोहित बोलता है " कुछ बोल नही सकता क्योंकि अभी मुझे कुछ पता नही है, और यहां का सारा डिसीजन बॉस लेते हैं,एक काम करते हैं मैं तुम्हारा रिज्यूम बॉस को भेज दूंगा ,वैसे टेंशन मत ले कहीं न कहीं से कर लेंगे,खाना खत्म करके होटल से तेरा जो भी समान है लेकर आते हैं ,और आज ही हमे अपना सामान लेकर नए घर में जाना है जो कंपनी ने दिया है,वैसे 2 दिन से सब अच्छा ही हो रहा है,मेरा प्रमोशन,घर और खास बात तो तेरा मिलना, ऐसा लग रहा जैसे जो हम में खालीपन था वो आज पूरा हो गया,"! साकेत बोलता है," भाई मैं तो खुद को अनाथ समझ रहा था और एक झटके में एसएसबी मिल गए , मां भाई जैसा दोस्त और नंदिनी, वैसे नंदिनी तो बहुत सुंदर और स्मार्ट हो गई है ,पहले तो दिन भर नाक बहती रहती थी तो छूने का मन नहीं करता था," नंदिनी उसे दो घुसे मरती है तो वह खुश होते हुए कहता है," यार इसकी मारने वाली आदत गई नही," सभी हंसते हैं,।
शाम को घर शिफ्ट कर लेते हैं,वैसे भी कोई अधिक समान भी नही था ,सिर्फ कुछ कपड़े और बुक्स ही थे,बाकी तो मकान मालिक के ही थे,"! रात खाते समय साकेत कहता हैं " यह सेट हो जाए तो मैं दिल्ली वाला घर बेच कर यह ले लूंगा सब साथ ही अपने घर में रहेंगे"सभी खुश होते हैं,।
दुसरे दिन सुबह रोहित साकेत को भी अपने ऑफिस ले जाता है,वह मैनेजर से साकेत को मिलवाता है ,और कहता है की इनके लिए भी इस कंपनी में नौकरी का सेट करवा दिजिए, मैनेजर कहता है ,पहले अपना चार्ज ले लो ताकि मैं फ्री हो जाऊं फिर साहब के लिए सोचते हैं,वह साकेत को देखता है,साकेत उसे देख मुस्करा देता है,रोहित उस से ऑफिस में बैठने के लिए कहता है ,फिर मैनेजर के साथ यूनिट में जिंटा है , मैनेजर उस से पूछता है,ये साकेत जी को कब से जानते हो ,वह बताता है की मेरा बचपन का साथी हैं , हम 11 साल के थे,तब अलग हुए तो कल ही मिले,उसे नौकरी की बहुत जरूरत है,फिर चौक कर पूछता है ,आप उसे साकेत जी क्यों बोल रहे हो,"?? मैनेजर हड़बड़ा के कहता है" अब आपका दोस्त है तो रिस्पेक्ट तो देना ही पड़ेगा ,अब आप इस यूनिट के मालिक हो भाई"!!
पूरा काम समझने में 3 घंटे लगे वो भी इसलिए की वो पहले ही प्रोजेक्ट सुपरवाइजर था तो अधिकतम जानकारी उसे थी,जो नही थी उतनी ही बाते जननी थी ,वह वापस आफिस में आते हैं तो साकेत मैनेजर की कुर्सी पे बैठा कुछ फाइल देख रहा था रोहित को देख हड़बड़ा कर उठता है , रोहित उसे फाइल देखते देख थोड़ा नाराज़ होता है और धीरे से कहता है," यार ये ऑफिस है और मैं वर्कर हूं भले ही मैनेजर बन गया ,पर हूं तो एम्प्लॉय ही,"!! साकेत झेपते हुए मैनेजर को देखता है,मैनेजर मुस्कराते हुए कहता है," कोई बात नही हो जाता है ,और साकेत जी भी तो अपने ही है उनके इंट्रेस्ट का काम दिखा तो उठा ली होगी फाइल ,क्यों साकेत जी,?? साकेत कहता है" वैसे ये चेयर रोहित पर शूट नही करती"!! रोहित चौंक कर कहता है, " व्हाट यू मीन साकेत ?? उसी समय रोहित के मोबाइल पर मैसेज आता है"" यू आर टर्मिनेटेड फ्रॉम पोस्ट ऑफ़ मैनेजर !!!! रोहित के होश उड़ जाते हैं,वह साकेत से कहता है "यार किस जुबान से तूने बोला ,मुझे टर्मिनेट कर दिया गया,(वह मैनेजर को देखता है) सर ये मेरे साथ क्या मजाक हो रहा है ? मेरे इमोशन के सात क्यों खेल रहे हैं"!! मैनेजर कहता है सॉरी रोहित मैं बताना भूल गया कि इस ऑफिस का कैमरा डायरेक्ट बॉस के मोबाइल पर कनेक्ट है , और बॉस ने शायद साकेत जी को मैनेजर के चेयर पर बैठे देख लिया,और वो भी फाइल देखते हुए,मे बी उसी वजह से नाराज़ हो गए होंगे,"!! रोहित कहता है ," प्लीज क्या मैं बॉस से एक बार बात कर सकता हुं"??मैनेजर साकेत को देख कर कहता है ओके पहले मैं बात करता हूं" वह वहा से जाता है,साकेत उदास होकर कहता है " सॉरी यार! मुझे नही पता था ,मेरी एक गलती इतना बड़ा टेंशन क्रिएट कर देगी,”(रोहित उसे देखता है,) देख मैं बहुत बेड लक्की हूं,आज मेरे पास रिश्ते में तुम्हारे अलावा कोई नहीं है,में तुम लोगो को खोना नहीं चाहता हूं,"!!वह हाथ जोड़ता है,रोहित उसकी आंखो में आंसू देख उसको गले से लगाते हुए कहता है" अरे नहीं यार!! मैं तुझे जिम्मेदार नहीं ठहरा रहा हूं , मां कहती है ना जो होता है अच्छे के लिए होता है, तो कुछ और अच्छा होना होगा, तु अब अकेला नहीं है,हम है ना,(मैनेजर आता है वह उस से पूछता है) सर घर आज तो खाली नहीं करना है ना,"!!! मैनेजर कहता है " जब तक बॉस का ऑर्डर नही आता तब तक तो नही"!साकेत कहता है "यार मैं दिल्ली वाला घर बेच देता हूं और यहां घर खरीद लेते हैं , कम से कम रहने का टेंशन तो नहीं रहेगा,"!! रोहित कहता है " आराम से बेचना अभी तो बड़े से काम चलाते हैं , फिलहाल नौकरी का सोचते हैं और हां अभी घर में कुछ बताने की जरूरत नहीं है,वरना इतनी बड़ी खुशी जो दो दिन से है वो टेंशन में बदल जायेगा, मां बहुत हर्ट होगी"!! वह मैनेजर से कहता है" सर आप के साथ काम करके अच्छा लगा ,बस एक बार अगर बॉस से बात हो जाती तो में उनको सॉरी बोल देता ,पर कोई बात नहीं,"!! मैनेजर कहता है"यार तुम 2 दिन पहले तो बहुत टेंशन में एशेज थे पर आज तो बड़े कॉन्फिडेंट लग रहे हो,इतनी अच्छी नौकरी गई फिर भी कुल हो,"! वह कहता है" अब मेरा दोस्त मेरे साथ है ,तो गम की क्या बात है,क्यों साकेत ,"!! साकेत उसको गले लगता है और कहता है" यार तूने तो मुझे अपना दीवाना बना दिया,तेरी जगह कोई और होता तो मुझे पता नहीं कर देता पर तू तो मेरे लिए सब आसानी से झेल लिया, यू आर ग्रेट," !उसकी आंखों में आंसू आते हैं, मैनेजर कहता है "आप दोनो तो मुझे भी इमोशनल कर दिए , अब मेरे लिए क्या आदेश है,"रोहित चौक कर देखता है और कहता है," हम क्या आदेश दे सकते हैं,,"!! मैनेजर कहता है" आप इस कंपनी में नौकर नही हैं मालिक बन गए हैं ,तो आप ही आदेश दो," ! रोहित को लगता है वह चकरा के गिर पड़ेगा ,वह कहता है," मैनेजर साहब ये आप क्या कह रहे हैं,अब इतना बड़ा मजाक मत करिए प्लीज,!!!मैनेजर कहता है" ये बॉस का ऑर्डर है"!! साकेत उसे विश करता है,रोहित कभी साकेत को देखता है तो कभी मैनेजर को वह पूछता है" भाई ये बॉस मुझ पर इतना मेहरबान क्यों हो रहे हैं,!!अब तो आप उनसे बात करवाइए नही तो मैं अब एक मिनट भी यह नहीं रुकूंगा, पता नहीं क्या खेल चल रहा है,कही मुझे किसी बड़े स्कैम में तो नही फसाया जा रहा है तीन दिन में नौकर से मालिक,(मैनेजर से) आप इतने पुराने आदमी हो आपको क्यों नहीं बनाया,"!! मैनेजर मुस्करा कर कहता है ," रोहित सर ,! वो मेरे दोस्त नही है,"रोहित फिर चौकता है" अरे भाई मैं बॉस का दोस्त कैसे हो गया, मेरा तो बचपन का एक ही इकलौता दोस्त ये साकेत है ,और कोई दोस्त नहीं है,! वह साकेत को देखता है तो वह मुस्कुराता है ,रोहित को कुछ स्ट्राइक होता है , कंपनी का नाम है सरस्वती इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड,उसे कुछ याद आता है वह साकेत से पूछता है" ये मम्मी का क्या नाम था"? साकेत मुस्करा कर कहता है" वही जो तू सोच रहा है, रोहित सच में चकरा के गिर पड़ता है उस से इतने अचंभे झेला नही जाता है , साकेत घबरा कर मैनेजर को पानी लाने को कहता है और खुद रोहित को पकड़ कर चेयर पर बिठाया है,।
सभी खुश साकेत के बंगलों पर है ,रोहित तो अभी भी साकेत गलियां ही दे रहा है कि उसने उसका खूब मजा लिया,साकेत बताता है,जब उसका रिज्यूम उसके पास आया तो नाम से तो मैं चौक गया फिर स्कूल का सर्टिफिकेट देखा तो कन्फर्म हो गया था फिर फोटो में तु बड़ा हो गया पर चहरे पर कोई खास चेंजेज नही थे तो मैं पहचान गया था, पर मैं तुम्हे पर्सनल मिलना चाह रहा था इसलिए मैंने किसी को बताया नही, तुम्हारे ज्वाइनिंग से पहले ही मम्मी पापा चले गए थे और मैं एकदम अकेला हो गया था पर तुझे देखते ही मैं खुश हो गया की मेरा अभी एक परिवार है,मेरा बस चलता तो मैं तुरंत आजाता पर कुछ टेक्निकल प्रोब्लम थी ,जिस वजह से मुझे दो साल लग गए,पर मैं हमेशा तुम पर नजर रखे था वो रेंटल घर जो तुम्हे सस्ते में मिला था उसका आधा किराया कंपनी दे रही थी,रोहित कहता है तभी तो मैं सोचूं की बाकी घर यहां डबल रेंट लेते है अब समझ आया, तु तो हमारे लिए भगवान कृष्ण बन गया,नंदिनी कहती है सुदामा जी आप दोनो अपनी बातो में एक बात भुल गए की हमे भूख भी लगी है,उसी समय सर्वेंट आकर कहता है डिनर तैयार है, साकेत लाने को कहता है और फिर रोहित से कहता है तुझे मुझे गली देने में बड़ा मजा आता है न तो मां और तुम चाहो तो मैं इसे परमानेंट बना दु,।मां और रोहित समझ नहीं पाते हैं तो वह नंदिनी से कहता है " ये तो समझेंगे नही,तुम्ही बताओ,तुम पूरी जिंदगी मेरा साथ देना पसंद करोगी,कोई जबरदस्ती नहीं है"! मां कहती है "सीधे सीधे ये बोल ,तुझे रोज इसके मुक्के खाने है सभी हंसते है ,नंदिनी शरमा कर मां के गले लगती है, रोहित साकेत को गले लगाता है !!