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दोस्त भाग 1

4 जनवरी 2022

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दोस्त ,!!! अगर मानो तो एक ऐसा हमसफर होता है जो हमेशा हमारे दुःख सुख में खड़ा रहता है, पर आज के माहौल में दोस्ती के मायने बदल गए है,जब तक आप लोगो के काम आयेंगे तब तक की दोस्ती होती है, वरना  तू कौन और मैं कौन हो जाता,एक दोस्ती कृष्णा और सुदामा की थी जिसे हम सभी जानते है ,वैसे दोस्त तो सभी के होते हैं ,चाहे अच्छे हो या बुरे, ।
रोहन और साकेत बहुत ही अच्छे दोस्त है,दोनो बचपन से ही एक साथ पढ़े लिखे हैं  ,साथ ही खेले कूदे और बड़े हुऐ ,दोनो के परिवार में भी अच्छे रिश्ते थे ,दोनो के लिए दोनों परिवार में कोई फ़र्क नही था , दोनो दोस्त  जहां होते वही खा लेते  वही सो लेते,एक अगर गायब है ,तो दूसरे के साथ होंगे यही सब समझते थे,पर समय के साथ साथ सब कुछ बदलता है, साकेत के पिता जी महेंद्र जी का ट्रांसफर लखनऊ से दिल्ली हो जाता है, लखनऊ से शिफ्ट करने के पहले दो दिन दोनो दोस्त एक साथ ही रहे ,दोनो ही दो दिन में पता नही कितनी बार रोए,दोनो ही एक दूसरे का ख्याल रखने की हिदायत देते हैं,और डेली सुबह शाम कॉल करने की बात फाइनल करते हैं, दो दिन बाद वह समय भी आ गया जब साकेत और उसका परिवार ट्रेन में सवार हो गए ,रोहित का पूरा परिवार उन्हे छोड़ने आया था,दोनो दोस्त फिर से गले लग कर ख़ूब रोए वो तो जब ट्रेन स्टार्ट होने का समय आया तो बड़ी मुश्किल से फिर मिलने का वादा कर अलग हुए,दोनो एक दूसरे को ट्रेन ओझल होने तक देखते रहे ,एक हफ़्ते तक दोनो की आंखों के आंसू सूखे नही,!!
पर कहते हैं वक्त सभी घाव भर देता है,कुछ दिनों तक दोनो समय दोनो दोस्त फोन पर एक एक घंटे तक बात करते ,फिर धीरे- धीरे एक समय बात होने लगी,दोनो को ही नए दोस्त मिल गए, साकेत को तो दिल्ली में बहुत ही मज़ा आने लगा वह अपने नए दोस्तो के साथ मॉल और गॉर्डन में घूमने लगा जिस से वह धीरे -धीरे रोहित को भूलने सा लगा, यही हाल रोहित का भी था,।
समय बिता और लोग बदलते गए और कौन क्षण से कहां गद्य किसी को पता नही था, हां रोहित अपनी पढ़ाई पूरी कर मुंबई शहर में आकर नौकरी की तलाश करने लगा,उसके साथ बड़ी ट्रैजेडी हुई उसके पिता एक एक्सीडेंट में मारे गए ,घर में अकेले काम करने वाले थे वह भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में, उनके मरने के बाद कंपनी ने जो कुछ थोड़ा बहुत दिया उस से पूरे परिवार की जिंदगी नही चलनी थी,घर की सारी जिम्मेदारी 17 साल के रोहित पर आ गई, रोहित जिम्मेदारियों से घबराया नही और उसने दिन रात मेहनत कर खुद कि पढ़ाई भी पूरी की और घर भी सम्हाला,धीरे धीरे खर्चे बढ़े और उसकी छोटी बहन नंदिनी भी बड़ी हो गई ,उसकी पढ़ाई  में बहुत खर्चे थे इसलिए उसने अपनी पढ़ाई खत्म कर मुंबई का रुख किया क्योंकि उसे पता था अधिक कमाना है तो बड़े शहर ही जाना होगा, मुम्बई में उसके एक रिश्तेदार के वह रुका जो उसके फूफा लगते थे, उन्होंने भी उसकी नौकरी लगवाने में हेल्प की,और उसे एक लंडन बेस कम्पनी में प्रोजेक्ट सुपरवाइजर का पोस्ट मिल गया,उसकी सैलरी पैकेज भी अच्छी थी,उसके बाद भी वह शाम को दो टयूशन पकड़ लेता है, उसे अपनी मां और बहन को भी लाना है, क्योंकि वह उनके बिना रह नहीं सकता और वैसे भी वहा उनकी देख भाल  करने वाला कोई नहीं है,।
रोहित की मेहनत रंग लाती है और वह कुछ ही दिनों में रेंट पर अपना एक घर ले लेता है और मां बहन को बुला लेता है सभी खुश होते हैं, ज़िंदगी की गाड़ी चलने लगती है ,नंदिनी को P h d करना है वह उसकी व्यवस्था करवा देता है ,नंदिनी नेट सेट क्लियर करती है और P h d की तैयारी में लग जाती है,रोहित को एक नई कम्पनी में काम का ऑफर मिलता है , जिसमें उसे सैलरी पैकेज भी इस से ज्यादा है बल्कि दुगूना ही है, रोहित अपनी कम्पनी में अपना इस्तिफा देता है ,वैसे भी उसे यहां काम करते क़रीब दो साल हो गए पर कोई इंक्रीमेंट नही हुआ था, कम्पनी के मैनेजर उस से इस्तिफा देने की वज़ह पूछता है तो वह कहता है कि यहां उसे  न इंक्रीमेंट मिला और न ही प्रमोशन और हर आदमी को आगे बढ़ने का हक़ है,ये मेरा पहला जॉब है इसलिए छोड़ना नहीं चाहता था ,पर अब मेरे पास बेटर ऑप्शन है, मैनेजर उस से कहता है की हमारी कंपनी के सारे फैसले लंडन में बैठे बॉस लेते हैं, और उनके फैसले से पहले आप कंपनी नही छोड़ सकते हैं ,तीन साल का लॉकिंग पिरियड है,और यही आपके ज्वाइनिंग के एग्रीमेंट में भी लिखा है तो थोड़ा वेट कर लो मैक्स वन वीक,रोहित को ये बात बुरी लगती है ,पर मजबूरी में वह कुछ बोल नहीं पाता है,गलती भी उसी की है पहला जॉब पकड़ने के चक्कर में वह कुछ भी पढ़ा नही था और साइन कर दिया था,।
वह शाम को घर आता है , मां और नंदिनी बैठे हैं ,रोहित को उदास देख मां पूछती है कि क्या हुआ,तो वह सब बताता है की अच्छा खासा काम मिल रहा था पर नही कर सकता, मां बोलती है टेंशन मत ले जो होता है अच्छे के लिए होता है,।
रोहित दूसरे दिन सुबह ऑफिस पहुंचता है तो उसे मैनेजर बुलाकर कहता है ,रोहित जी  आपको सुपर वाइजर की पोस्ट से हटा दिया गया है, रोहित चौकता है और पूछता है" मतलब मेरा इस्तिफा मंजूर हो गया,"! मैनेजर कहता है" जी नहीं आप का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ अब आपको नया पोस्ट मिलेगा,”!! रोहित  मन में सोचता है ये लोग अब मेरा डिमोशन कर देंगे और पूरा कसर निकाल लेंगे,,अब जो भी हो झेलना है,वह थोड़ा उदास होता है , मैनेजर कहता है” क्या हुआ रोहित जी एनी प्रोब्लम,"??? रोहित कहता है " यदि मैं ना आऊं तो ,!! मैनेजर मुस्कराकर कहता है "3लाख रुपए कंपनी को देने होंगे ,”!! रोहित चुप हो जाता है,उसके पास इतने पैसे नही थे,क्योंकि कुछ दिन पहले ही उसने नंदनी का फीस भरा था,,और घर की व्यवस्था में भी काफी खर्चे हो गए ,वैसे भी 3 लाख उसके लिए फिलहाल बड़ी रकम थी,वह मन ही मन कंपनी के मालिक और मैनेजर कोसने लगता है , उसे समझ नहीं आता है कि उसका क्या होगा,वह मैनेजर से पूछता है " सर मुझे अब क्या करना है , मैंने अब तक ईमानदारी से काम किया है और उसके बदले में उसे अपनी मर्ज़ी का काम करने का हक़ भी नही है,"!! मैनेजर मुस्कराकर कहता है " मिस्टर रोहित आप एक काम करिए मेरा पोस्ट सम्हालिये और  कंपनी के इस यूनिट को देखिए"!! रोहित हड़बड़ा कर कहता है कि" आई एम सॉरी सर मेरा मतलब ये नही था,”!! मैनेजर मुस्करा कर कहता है" पर मेरा मतलब तो यही है ,आप मेरी कुर्सी सम्हालिए और मुझे यहां से फ्री करिए ताकि मैं दूसरी नई यूनिट को सम्हाल सकू,”!! रोहित समझ नहीं पाता है और कहता है," सर आप अब मजाक मत करिए प्लीज बी सीरियस मैं बहुत डिस्टर्ब हुं," !! मैनेजर कहता है" भाई रोहित मैं मजाक नहीं उड़ा रहा हुं,तुम्हारा प्रमोशन हो गया है और तुम यह के यूनिट मैनेजर हो गए हो ,अब तो मिठाई खिलाओगे,” रोहित अचंभित हो कर मैनेजर को देखता है ,मैनेजर उसे बधाई देता है , और बताता है कि उसकी सैलरी पैकेज भी डबल हो गई है,रोहित  समझ नहीं पाता की आज उसके साथ क्या हो रहा है,तभी एक और धमाका होता है मैनेजर कहता है" अरे हां कंपनी ने आपके लिए एक 2 बेडरूम का फ्लैट का भी आबंटन किया है,अब तो रोहित एकदम से बौखला जाता है और कहता है "ये अचानक कंपनी मुझ पर इतनी मेहरबान क्यों हो गई"!! मैनेजर कहता है "भाई आप आम खाओ गुठलियों के चक्कर में मत पड़ो ,।
शाम रोहित घर आकर अपनी मां और नंदिनी को मिठाई खिलाता है तो दोनों पूछते हैं ,ऐसा क्या हुआ बहुत खुश हुआ ,वह बताता है  दोनो बहुत खुश होते हैं,वह कहता है दो दिन में वो लोग नए घर में शिफ्ट हो जायेंगे,वह पहली बार मां और नंदिनी को बाहर खाना खाने ले जाता हैं,।
दूसरे दिन वह घर के सामान पैक कर रहा था तभी एक उसी के उम्र का लड़का डोर बेल बजाता है, नंदिनी दरवाजा खोलती है ,वह उसे देखती है ,और पूछती है" आप कौन हैं,!! वह कहता है "तुम नंदिनी हो,?? नंदिनी उसे आश्चर्य से देखती है और पूछती है,"आप मुझे कैसे जानते हैं"? वह कहता है" रोहित है उस से मिलना है ,अंदर आऊं या बाहर ही सब बाते कर ले,!!नंदिनी उसे देखते हुए अंदर आने का इशारा करती है,।
वह अंदर आता है मां को देख उनके पैर छूता है तो मां आश्चर्य से देखती है रोहित भी उसे देखने लगता है,नंदिनी आकर कहती है" भईया ये आपसे मिलने आए हैं ,"रोहित अब भी उसे पहचानने की कोशिश कर रहा है और वह लड़का मुस्कराते हुए सबको देख रहा है,वह लड़का रोहित से कहता है" अबे गधे देखता ही रहेगा या गले भी लगेगा"!! रोहित को झटका लगता है,ये गधा तो सिर्फ साकेत ही बोलता था,अब वह उसको पहचान जाता है,वह उछलकर उसके गले लगता है ,दोनो दोस्तों की आंखों से आंसू निकलते है ऐसा लगता है जैसे स्टेशन पे छोड़ते हुए जो हालात थे वही हाल दोनो का हो रहा था, मां और नंदिनी भी खुश होते हैं,।
सभी बैठ कर नाश्ता कर रहे हैं ,साकेत अपने बारे में बताता है कि वह अभी स्टडी कंप्लीट कर मुंबई आया है,और रास्ते से जा रहा था तो रोहित को देखा वह अभी थोड़ी देर पहले कुछ सामान लेने गया था ,में भी उसी शॉप पर था,इसका चेहरा वही है जैसा पहले था,में जब तक इसके पास पहुंचता ये निकल गया में भी अपना सामान लेकर इसके पीछे भागा तो मैने देखा ये इस सोसाइटी में घुसा,उसके बाद तो घर ढूंढना मुश्किल नहीं था,"! मां उस से उसके मां पिता के बारे में पूछती है तो वह उदास होकर कहता है ,दोनो ही पिछले साल एक एक्सीडेंट में चले गए ,में पूरी तरह से अनाथ हो गया था,तब मुझे आप लोगो की बहुत याद आई थी , मैं लखनऊ भी गया पर आप लोग वहा से तो कई साल पहले छोड़ दिए थे और किसी के पास आप लोगो का मोबाइल नंबर नही था, पर ऊपर वाले को मिलना था तो मिल लिए,"!

काव्या सोनी

काव्या सोनी

Behtreen likha aapne sir 👏👏

4 जनवरी 2022

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

4 जनवरी 2022

धन्यवाद जी

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