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दोस्त

3 अगस्त 2022

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दोस्त ,!!! अगर मानो तो एक ऐसा हमसफर होता है जो हमेशा हमारे दुःख सुख में खड़ा रहता है, पर आज के माहौल में दोस्ती के मायने बदल गए है,जब तक आप लोगो के काम आयेंगे तब तक की दोस्ती होती है, वरना  तू कौन और मैं कौन हो जाता,एक दोस्ती कृष्णा और सुदामा की थी जिसे हम सभी जानते है ,वैसे दोस्त तो सभी के होते हैं ,चाहे अच्छे हो या बुरे, ।!!

रोहन और साकेत बहुत ही अच्छे दोस्त है,दोनो बचपन से ही एक साथ पढ़े लिखे हैं  ,साथ ही खेले कूदे और बड़े हुऐ ,दोनो के परिवार में भी अच्छे रिश्ते थे ,दोनो के लिए दोनों परिवार में कोई फ़र्क नही था , दोनो दोस्त  जहां होते वही खा लेते  वही सो लेते,एक अगर गायब है ,तो दूसरे के साथ होंगे यही सब समझते थे,पर समय के साथ साथ सब कुछ बदलता है, !!

साकेत के पिता जी महेंद्र जी का ट्रांसफर लखनऊ से दिल्ली हो जाता है, लखनऊ से शिफ्ट करने के पहले दो दिन दोनो दोस्त एक साथ ही रहे ,दोनो ही दो दिन में पता नही कितनी बार रोए,दोनो ही एक दूसरे का ख्याल रखने की हिदायत देते हैं,और डेली सुबह शाम कॉल करने की बात फाइनल करते हैं, दो दिन बाद वह समय भी आ गया जब साकेत और उसका परिवार ट्रेन में सवार हो गए ,रोहित का पूरा परिवार उन्हे छोड़ने आया था,दोनो दोस्त फिर से गले लग कर ख़ूब रोए वो तो जब ट्रेन स्टार्ट होने का समय आया तो बड़ी मुश्किल से फिर मिलने का वादा कर अलग हुए,दोनो एक दूसरे को ट्रेन ओझल होने तक देखते रहे ,एक हफ़्ते तक दोनो की आंखों के आंसू सूखे नही,!!

पर कहते हैं वक्त सभी घाव भर देता है,कुछ दिनों तक दोनो समय दोनो दोस्त फोन पर एक एक घंटे तक बात करते ,फिर धीरे- धीरे एक समय बात होने लगी,दोनो को ही नए दोस्त मिल गए, साकेत को तो दिल्ली में बहुत ही मज़ा आने लगा वह अपने नए दोस्तो के साथ मॉल और गॉर्डन में घूमने लगा जिस से वह धीरे -धीरे रोहित को भूलने सा लगा, यही हाल रोहित का भी था,।

समय बिता और लोग बदलते गए और कौन क्षण से कहां गद्य किसी को पता नही था, हां रोहित अपनी पढ़ाई पूरी कर मुंबई शहर में आकर नौकरी की तलाश करने लगा,उसके साथ बड़ी ट्रैजेडी हुई उसके पिता एक एक्सीडेंट में मारे गए ,घर में अकेले काम करने वाले थे वह भी प्राइवेट लिमिटेड कंपनी में, उनके मरने के बाद कंपनी ने जो कुछ थोड़ा बहुत दिया उस से पूरे परिवार की जिंदगी नही चलनी थी,घर की सारी जिम्मेदारी 17 साल के रोहित पर आ गई, रोहित जिम्मेदारियों से घबराया नही और उसने दिन रात मेहनत कर खुद कि पढ़ाई भी पूरी की और घर भी सम्हाला!!

धीरे धीरे खर्चे बढ़े और उसकी छोटी बहन नंदिनी भी बड़ी हो गई ,उसकी पढ़ाई  में बहुत खर्चे थे इसलिए उसने अपनी पढ़ाई खत्म कर मुंबई का रुख किया क्योंकि उसे पता था अधिक कमाना है तो बड़े शहर ही जाना होगा, !!

मुम्बई में उसके एक रिश्तेदार के वह रुका जो उसके फूफा लगते थे, उन्होंने भी उसकी नौकरी लगवाने में हेल्प की,और उसे एक लंडन बेस कम्पनी में प्रोजेक्ट सुपरवाइजर का पोस्ट मिल गया,उसकी सैलरी पैकेज भी अच्छी थी,उसके बाद भी वह शाम को दो टयूशन पकड़ लेता है, उसे अपनी मां और बहन को भी लाना है, क्योंकि वह उनके बिना रह नहीं सकता और वैसे भी वहा उनकी देख भाल  करने वाला कोई नहीं है,।

रोहित की मेहनत रंग लाती है और वह कुछ ही दिनों में रेंट पर अपना एक घर ले लेता है और मां बहन को बुला लेता है सभी खुश होते हैं, ज़िंदगी की गाड़ी चलने लगती है ,नंदिनी को P h d करना है वह उसकी व्यवस्था करवा देता है ,नंदिनी नेट सेट क्लियर करती है और P h d की तैयारी में लग जाती है,रोहित को एक नई कम्पनी में काम का ऑफर मिलता है , जिसमें उसे सैलरी पैकेज भी इस से ज्यादा है बल्कि दुगूना ही है, !!

रोहित अपनी कम्पनी में अपना इस्तिफा देता है ,वैसे भी उसे यहां काम करते क़रीब दो साल हो गए पर कोई इंक्रीमेंट नही हुआ था, कम्पनी के मैनेजर उस से इस्तिफा देने की वज़ह पूछता है तो वह कहता है कि*" यहां उसे  न इंक्रीमेंट मिला और न ही प्रमोशन और हर आदमी को आगे बढ़ने का हक़ है,ये मेरा पहला जॉब है इसलिए छोड़ना नहीं चाहता था ,पर अब मेरे पास बेटर ऑप्शन है, *"!!

मैनेजर उस से कहता है की *"हमारी कंपनी के सारे फैसले लंडन में बैठे बॉस लेते हैं, और उनके फैसले से पहले आप कंपनी नही छोड़ सकते हैं ,तीन साल का लॉकिंग पिरियड है,और यही आपके ज्वाइनिंग के एग्रीमेंट में भी लिखा है तो थोड़ा वेट कर लो मैक्स वन वीक,*"!!

रोहित को ये बात बुरी लगती है ,पर मजबूरी में वह कुछ बोल नहीं पाता है,गलती भी उसी की है पहला जॉब पकड़ने के चक्कर में वह कुछ भी पढ़ा नही था और साइन कर दिया था,।

वह शाम को घर आता है , मां और नंदिनी बैठे हैं ,रोहित को उदास देख मां पूछती है कि क्या हुआ,तो वह सब बताता है की अच्छा खासा काम मिल रहा था पर नही कर सकता, मां बोलती है *" टेंशन मत ले जो होता है अच्छे के लिए होता है,।!!

रोहित दूसरे दिन सुबह ऑफिस पहुंचता है तो उसे मैनेजर बुलाकर कहता है *",रोहित जी  आपको सुपर वाइजर की पोस्ट से हटा दिया गया है, *"!!

रोहित चौकता है और पूछता है" मतलब मेरा इस्तिफा मंजूर हो गया,"!!! 

मैनेजर कहता है" जी नहीं आप का इस्तीफा मंजूर नहीं हुआ अब आपको नया पोस्ट मिलेगा,”!! 

रोहित  मन में सोचता है *"ये लोग अब मेरा डिमोशन कर देंगे और पूरा कसर निकाल लेंगे,,अब जो भी हो झेलना है,वह थोड़ा उदास होता है , *"!!

मैनेजर कहता है” क्या हुआ रोहित जी एनी प्रोब्लम,"??? 

रोहित कहता है " यदि मैं ना आऊं तो ,!! 

मैनेजर मुस्कराकर कहता है "3लाख रुपए कंपनी को देने होंगे ,”!! 

रोहित चुप हो जाता है,उसके पास इतने पैसे नही थे,क्योंकि कुछ दिन पहले ही उसने नंदनी का फीस भरा था,,और घर की व्यवस्था में भी काफी खर्चे हो गए ,वैसे भी 3 लाख उसके लिए फिलहाल बड़ी रकम थी,वह मन ही मन कंपनी के मालिक और मैनेजर को  कोसने लगता है , उसे समझ नहीं आता है कि उसका क्या होगा!!

,वह मैनेजर से पूछता है " सर मुझे अब क्या करना है , मैंने अब तक ईमानदारी से काम किया है और उसके बदले में उसे अपनी मर्ज़ी का काम करने का हक़ भी नही है,"!! 

मैनेजर मुस्कराकर कहता है " मिस्टर रोहित आप एक काम करिए मेरा पोस्ट सम्हालिये और  कंपनी के इस यूनिट को देखिए"!!

रोहित हड़बड़ा कर कहता है कि" आई एम सॉरी सर मेरा मतलब ये नही था,”!! 

मैनेजर मुस्करा कर कहता है" पर मेरा मतलब तो यही है ,आप मेरी कुर्सी सम्हालिए और मुझे यहां से फ्री करिए ताकि मैं दूसरी नई यूनिट को सम्हाल सकू,”!! 

रोहित समझ नहीं पाता है और कहता है," सर आप अब मजाक मत करिए प्लीज बी सीरियस मैं बहुत डिस्टर्ब हुं," !!

मैनेजर कहता है" भाई रोहित मैं मजाक नहीं उड़ा रहा हुं,तुम्हारा प्रमोशन हो गया है और तुम  इस के यूनिट मैनेजर हो गए हो ,अब तो मिठाई खिलाओगे,” "!!

रोहित अचंभित हो कर मैनेजर को देखता है ,मैनेजर उसे बधाई देता है , और बताता है कि उसकी सैलरी पैकेज भी डबल हो गई है,!!

रोहित  समझ नहीं पाता की आज उसके साथ क्या हो रहा है,तभी एक और धमाका होता है मैनेजर कहता है" अरे हां कंपनी ने आपके लिए एक 2 बेडरूम का फ्लैट का भी आबंटन किया है,*"!!

अब तो रोहित एकदम से बौखला जाता है और कहता है "ये अचानक कंपनी मुझ पर इतनी मेहरबान क्यों हो गई"!! 

मैनेजर कहता है "भाई आप आम खाओ गुठलियों के चक्कर में मत पड़ो ,।

शाम रोहित घर आकर अपनी मां और नंदिनी को मिठाई खिलाता है तो दोनों पूछते हैं ,ऐसा क्या हुआ बहुत खुश हुआ ,वह बताता है  दोनो बहुत खुश होते हैं,वह कहता है दो दिन में वो लोग नए घर में शिफ्ट हो जायेंगे,!!

वह पहली बार मां और नंदिनी को बाहर खाना खाने ले जाता हैं,।
दूसरे दिन वह घर के सामान पैक कर रहा था तभी एक उसी के उम्र का लड़का डोर बेल बजाता है, नंदिनी दरवाजा खोलती है ,वह उसे देखती है ,और पूछती है" आप कौन हैं,!! 

वह कहता है "तुम नंदिनी हो,?? 

नंदिनी उसे आश्चर्य से देखती है और पूछती है,"आप मुझे कैसे जानते हैं"? 

वह कहता है" रोहित है उस से मिलना है ,अंदर आऊं या बाहर ही सब बाते कर ले,!!

नंदिनी उसे देखते हुए अंदर आने का इशारा करती है,।
वह अंदर आता है मां को देख उनके पैर छूता है तो मां आश्चर्य से देखती है रोहित भी उसे देखने लगता है,!!

नंदिनी आकर कहती है" भईया ये आपसे मिलने आए हैं ,"रोहित अब भी उसे पहचानने की कोशिश कर रहा है और वह लड़का मुस्कराते हुए सबको देख रहा है!!

वह लड़का रोहित से कहता है" अबे गधे देखता ही रहेगा या गले भी लगेगा"!! 

रोहित को झटका लगता है,ये गधा तो सिर्फ साकेत ही बोलता था,अब वह उसको पहचान जाता है,वह उछलकर उसके गले लगता है ,दोनो दोस्तों की आंखों से आंसू निकलते है ऐसा लगता है जैसे स्टेशन पे छोड़ते हुए जो हालात थे वही हाल दोनो का हो रहा था, मां और नंदिनी भी खुश होते हैं,।

सभी बैठ कर नाश्ता कर रहे हैं ,साकेत अपने बारे में बताता है कि वह अभी स्टडी कंप्लीट कर मुंबई आया है,और रास्ते से जा रहा था तो रोहित को देखा वह अभी थोड़ी देर पहले कुछ सामान लेने गया था ,में भी उसी शॉप पर था,इसका चेहरा वही है जैसा पहले था,में जब तक इसके पास पहुंचता ये निकल गया में भी अपना सामान लेकर इसके पीछे भागा तो मैने देखा ये इस सोसाइटी में घुसा,उसके बाद तो घर ढूंढना मुश्किल नहीं था,"! 

मां उस से उसके मां पिता के बारे में पूछती है तो वह उदास होकर कहता है*" ,दोनो ही पिछले साल एक एक्सीडेंट में चले गए ,में पूरी तरह से अनाथ हो गया था,तब मुझे आप लोगो की बहुत याद आई थी , मैं लखनऊ भी गया पर आप लोग वहा से तो कई साल पहले छोड़ दिए थे और किसी के पास आप लोगो का मोबाइल नंबर नही था, पर ऊपर वाले को मिलना था तो मिल लिए,"!!

दोनों ही अपने पुराने दिनों में खो जाते हैं, खाना खाते समय मां पूछती है"मुंबई में कहां रूके हो ,वह बताता है,यही पास में एक छोटा सा होटल है उसी में हूं"!!, 

रोहित कहता है," चल तेरा सामान लेकर आते हैं," !!

साकेत कहता है," मेरे पास दो जोड़ी कपड़े और डिग्री के अलावा कोई सामान नहीं है,कुछ काम वाम मिले तब तो सामान लिया जाए"!, 

नंदिनी कहती है" कही नौकरी मिली की नही ,"?

वह कहता है"कई जगह इंटरव्यू दिया तो है,पर कॉल अभी तक आया नही , उम्मीद है जल्दी हो जायेगा,!,!!

नंदिनी कहती है " भईया का कल ही प्रमोशन हुआ है ,यही लंडन बेस कम्पनी की प्रोडक्ट यूनिट है , उस में भईया आप को भी लगवा देंगे क्यों भईया"!! 

रोहित बोलता है " कुछ बोल नही सकता क्योंकि अभी मुझे कुछ पता नही है, और यहां का सारा डिसीजन बॉस लेते हैं,एक काम करते हैं मैं तुम्हारा रिज्यूम बॉस को भेज दूंगा ,वैसे टेंशन मत ले कहीं न कहीं से कर लेंगे,खाना खत्म करके होटल से तेरा जो भी समान है लेकर आते हैं ,और आज ही हमे अपना सामान लेकर नए घर में जाना है जो कंपनी ने दिया है,वैसे 2 दिन से सब अच्छा ही हो रहा है,मेरा प्रमोशन,घर और खास बात तो तेरा मिलना, ऐसा लग रहा जैसे जो हम में खालीपन था वो आज पूरा हो गया,"! 

साकेत बोलता है," भाई मैं तो खुद को अनाथ समझ रहा था  और एक झटके में एसएसबी मिल गए , मां भाई जैसा दोस्त और नंदिनी, वैसे नंदिनी तो बहुत सुंदर और स्मार्ट हो गई है ,पहले तो दिन भर नाक बहती रहती थी तो छूने का मन नहीं करता था,"!!

नंदिनी उसे दो घुसे मरती है तो वह खुश होते हुए कहता है," यार इसकी मारने वाली आदत गई नही," !!
सभी हंसते हैं,।
शाम को घर शिफ्ट कर लेते हैं,वैसे भी कोई अधिक समान भी नही था ,सिर्फ कुछ कपड़े और बुक्स ही थे,बाकी तो मकान मालिक के ही थे,"! 

रात खाते समय साकेत कहता हैं " यह सेट हो जाए तो मैं दिल्ली वाला घर बेच कर यह ले लूंगा सब साथ ही अपने घर में रहेंगे"!!सभी खुश होते हैं,।

दुसरे दिन सुबह रोहित साकेत को भी अपने ऑफिस ले जाता है,वह मैनेजर से साकेत को मिलवाता है ,और कहता है की इनके लिए भी इस कंपनी में नौकरी का  सेट करवा दिजिए, !!

मैनेजर कहता है "*,पहले अपना चार्ज ले लो ताकि मैं फ्री हो जाऊं फिर साहब के लिए सोचते हैं,वह साकेत को देखता है,*"!!

साकेत उसे देख मुस्करा देता है,रोहित उस से ऑफिस में बैठने के लिए कहता है ,फिर मैनेजर के साथ  यूनिट में जाता  है , ,!!

मैनेजर उस से पूछता है,*"ये साकेत जी को कब से जानते हो ,*"!!
वह बताता है की *"मेरा बचपन का साथी हैं , हम 11 साल के थे,तब अलग हुए तो  कल ही मिले,उसे नौकरी की बहुत जरूरत है,फिर चौक कर पूछता है ,आप उसे साकेत जी क्यों बोल रहे हो,"?? 

मैनेजर हड़बड़ा के कहता है"" अब  आपका दोस्त है तो रिस्पेक्ट तो देना ही पड़ेगा ,अब आप इस यूनिट के मालिक हो भाई"!!

पूरा काम समझने में 3 घंटे लगे वो भी इसलिए की वो पहले ही प्रोजेक्ट सुपरवाइजर था तो अधिकतम  जानकारी उसे थी,जो नही थी उतनी ही बाते जननी थी ,वह वापस आफिस में आते हैं तो साकेत मैनेजर की कुर्सी पे बैठा कुछ फाइल  देख रहा था रोहित को देख हड़बड़ा कर उठता है , ,!!

रोहित उसे फाइल देखते देख थोड़ा नाराज़ होता है और धीरे से कहता है," यार ये ऑफिस है और मैं  वर्कर हूं भले ही मैनेजर बन गया ,पर हूं तो एम्प्लॉय ही,"!!

साकेत झेपते हुए मैनेजर को देखता है,मैनेजर मुस्कराते हुए कहता है," कोई बात नही हो जाता है ,और साकेत जी भी तो अपने ही है उनके इंट्रेस्ट का काम दिखा तो उठा ली होगी फाइल ,क्यों साकेत जी,?? 

साकेत कहता है" वैसे ये चेयर रोहित पर शूट नही करती"!! 

रोहित चौंक कर कहता है, " व्हाट यू मीन साकेत ??

उसी समय रोहित के मोबाइल पर मैसेज आता है"" यू आर टर्मिनेटेड फ्रॉम पोस्ट ऑफ़ मैनेजर !!!! 

रोहित के होश उड़ जाते हैं,वह साकेत से कहता है "यार किस जुबान से तूने बोला ,मुझे टर्मिनेट कर दिया गया,(वह मैनेजर को देखता है) सर ये मेरे साथ क्या मजाक हो रहा है ? मेरे इमोशन के साथ  क्यों खेल रहे हैं"!! 

मैनेजर कहता है *"सॉरी रोहित मैं बताना भूल गया कि इस ऑफिस का कैमरा डायरेक्ट बॉस के मोबाइल पर कनेक्ट है , और बॉस ने शायद साकेत जी को मैनेजर के चेयर पर बैठे देख लिया,और वो भी फाइल देखते हुए,मे बी उसी  वजह से नाराज़ हो गए होंगे,"!! 

रोहित कहता है ," प्लीज क्या मैं बॉस से एक बार बात कर सकता हुं"??

मैनेजर साकेत को देख कर कहता है *"ओके पहले मैं बात करता हूं"!!

वह वहा से जाता है,साकेत उदास होकर कहता है " सॉरी यार! मुझे नही पता था ,मेरी एक गलती इतना बड़ा टेंशन क्रिएट कर देगी,”(रोहित उसे देखता है,) देख मैं बहुत बेड लक्की हूं,आज मेरे पास रिश्ते में तुम्हारे अलावा कोई नहीं है,में तुम लोगो को खोना नहीं चाहता हूं,"!!

वह हाथ जोड़ता है,रोहित उसकी आंखो में आंसू देख उसको गले से लगाते हुए कहता है" अरे नहीं यार!! मैं तुझे जिम्मेदार नहीं ठहरा रहा हूं , मां कहती है ना जो होता है अच्छे के लिए होता है, तो कुछ और अच्छा होना होगा, तु अब अकेला नहीं है,हम है ना!!

मैनेजर आता है वह उस से पूछता है*"  सर घर आज तो खाली नहीं करना है ना,"!!! 

मैनेजर कहता है " जब तक बॉस का ऑर्डर नही आता तब तक तो नही"!!

साकेत कहता है "यार मैं दिल्ली वाला घर बेच देता हूं और यहां घर खरीद लेते हैं , कम से कम रहने का टेंशन तो नहीं रहेगा,"!!

रोहित कहता है " आराम से बेचना अभी तो बड़े से काम चलाते हैं , फिलहाल नौकरी का सोचते हैं और हां अभी घर में कुछ बताने की जरूरत नहीं है,वरना इतनी बड़ी खुशी जो दो दिन से है वो टेंशन में बदल जायेगा, मां बहुत हर्ट  होगी"!!  

वह मैनेजर से कहता है" सर आप के साथ काम करके अच्छा लगा ,बस एक बार अगर बॉस से बात हो जाती तो में उनको सॉरी बोल देता ,पर कोई बात नहीं,"!!

मैनेजर कहता है"यार तुम 2 दिन पहले तो बहुत टेंशन में लग रहे  थे, पर आज तो बड़े कॉन्फिडेंट लग रहे हो,इतनी अच्छी नौकरी गई फिर भी कुल हो,"! 

वह कहता है" अब मेरा दोस्त मेरे साथ है ,तो गम की क्या बात है,क्यों साकेत ,"!! साकेत उसको गले लगता है और कहता है" यार तूने तो मुझे अपना दीवाना बना दिया,तेरी जगह कोई और होता तो मुझे पता नहीं कर देता पर तू तो मेरे लिए सब आसानी से झेल लिया, यू आर ग्रेट," !!!उसकी आंखों में आंसू आते हैं, !!

मैनेजर कहता है "आप दोनो तो मुझे भी इमोशनल कर दिए , अब मेरे लिए क्या आदेश है,"!!

रोहित चौक कर देखता है और कहता है," हम क्या आदेश दे सकते हैं,,"!!

मैनेजर कहता है" आप इस कंपनी में  नौकर नही हैं मालिक बन गए हैं ,तो आप ही आदेश दो,"!!! 
रोहित को लगता है वह चकरा के गिर पड़ेगा ,वह कहता है," मैनेजर साहब ये आप क्या कह रहे हैं,अब इतना बड़ा मजाक मत करिए प्लीज,!!!

मैनेजर कहता है" ये बॉस का ऑर्डर है"!! साकेत उसे विश करता है,रोहित कभी साकेत को देखता है तो कभी मैनेजर को वह पूछता है"  भाई ये बॉस मुझ पर इतना मेहरबान क्यों हो रहे हैं,!! "अब तो आप उनसे बात करवाइए नही तो मैं अब एक मिनट भी यह नहीं रुकूंगा, पता नहीं क्या खेल चल रहा है,कही मुझे किसी बड़े स्कैम में तो नही फसाया जा रहा है तीन दिन में नौकर से मालिक,(मैनेजर से) आप इतने पुराने आदमी हो आपको क्यों नहीं बनाया,"!! 

मैनेजर मुस्करा कर कहता है ," रोहित सर ,! वो मेरे दोस्त नही है,"!!

रोहित फिर चौकता है" अरे भाई मैं बॉस का दोस्त कैसे हो गया, मेरा तो बचपन का एक ही इकलौता दोस्त ये साकेत है ,और कोई दोस्त नहीं है,!! 

वह साकेत को देखता है तो वह मुस्कुराता है ,रोहित को कुछ स्ट्राइक होता है , कंपनी का नाम है सरस्वती इंटरप्राइजेज प्राइवेट लिमिटेड,उसे कुछ याद  आता है वह साकेत से पूछता है" ये मम्मी का क्या नाम था"? 

साकेत मुस्करा कर कहता है" वही जो तू सोच रहा है, रोहित सच में चकरा के गिर पड़ता है उस से इतने अचंभे झेला नही जाता है , साकेत घबरा कर मैनेजर को पानी लाने को कहता है और खुद रोहित को पकड़ कर चेयर पर बिठाता  है,।

सभी खुश साकेत के बंगलों पर है ,रोहित तो अभी भी साकेत गलियां ही दे रहा है कि उसने उसका खूब मजा लिया,साकेत बताता है,जब उसका रिज्यूम उसके पास आया तो नाम से तो मैं चौक गया फिर स्कूल का सर्टिफिकेट देखा तो कन्फर्म हो गया था फिर फोटो में तु बड़ा हो गया पर चहरे पर कोई खास चेंजेज नही थे तो मैं पहचान गया था, पर मैं तुम्हे पर्सनल मिलना चाह रहा था इसलिए मैंने किसी को बताया नही, तुम्हारे ज्वाइनिंग से पहले ही मम्मी पापा चले गए थे और मैं एकदम अकेला हो गया था पर तुझे देखते ही मैं खुश हो गया की मेरा अभी एक परिवार है,मेरा बस चलता तो मैं तुरंत आजाता पर कुछ टेक्निकल प्रोब्लम थी ,जिस वजह से मुझे दो साल लग गए,पर मैं हमेशा तुम पर नजर रखे था वो रेंटल घर जो तुम्हे सस्ते में मिला था उसका आधा किराया कंपनी दे रही थी,रोहित कहता है तभी तो मैं सोचूं की बाकी घर यहां डबल रेंट लेते है अब समझ आया, तु तो हमारे लिए भगवान कृष्ण बन गया,*"!!
नंदिनी कहती है *"सुदामा जी आप दोनो अपनी बातो में एक बात भुल गए की हमे भूख भी लगी है,*!!
उसी समय सर्वेंट आकर कहता है डिनर तैयार है, साकेत लाने को कहता है और फिर रोहित से कहता है*" तुझे मुझे गली देने में बड़ा मजा आता है न तो मां और तुम चाहो तो मैं इसे परमानेंट बना दु,*"!!

।मां और रोहित समझ नहीं पाते हैं तो वह नंदिनी से कहता है " ये तो समझेंगे नही,तुम्ही बताओ,तुम पूरी जिंदगी मेरा साथ देना पसंद करोगी,कोई जबरदस्ती नहीं है"! 

मां कहती है "सीधे सीधे ये बोल ,तुझे रोज इसके मुक्के खाने है सभी हंसते है ,नंदिनी शरमा कर मां के गले लगती है, रोहित साकेत को गले लगाता है !!

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sayyeda khatoon

sayyeda khatoon

बहुत बेहतरीन लिखा है 👌👌

4 अगस्त 2022

Dinesh Dubey

Dinesh Dubey

5 अगस्त 2022

*इच्छाओं का भी अपना* *चरित्र होता है…* *खुद के मन की हो तो* *बहुत अच्छी लगती हैं* *दूसरों के मन की हो तो* *बहुत खटकती है..!!* 🙏🏻🌹*सुप्रभात*🌹🙏🏻

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रोहित और साकेत बचपन में ही साथ पढ़ते थे एक तरह से दोनो लंगोटिया यार थे ,पर साकेत के पिता का ट्रांसफर हो जाने से दोनो अलग हो जाते हैं

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