Dr Arun Kumar Shastri
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एक अबोध बालक अभी सीख रहा हूँ पहले माँ पिता के साथ था अब अपना घर ढूंढ रहा हूँ ।
अनघट मेलुहा के स्वर
ये मुख्यतः मेरा स्वयं का मौलिक काव्य संकलन है । समय समय पर परिस्थितियों के अनुरूप मन आत्म झंकृत होती रहती है तदनुसार कुछ 'शब्द' बिखर जाते हैं । ये बस उन्ही का परावर्तित परिणाम है। ** राम को भजो राम सम सजो । मन वाणी अरु कर्म से राम संग रहो ।। **
अनघट मेलुहा के स्वर
ये मुख्यतः मेरा स्वयं का मौलिक काव्य संकलन है । समय समय पर परिस्थितियों के अनुरूप मन आत्म झंकृत होती रहती है तदनुसार कुछ 'शब्द' बिखर जाते हैं । ये बस उन्ही का परावर्तित परिणाम है। ** राम को भजो राम सम सजो । मन वाणी अरु कर्म से राम संग रहो ।। **
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