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मेरे मृदंग

Dr.Umesh Kumar

4 अध्याय
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यह कविता संग्रह मेरे मन का सृजन है जो सामाजिक परिवेश में दिखाई देने वाले विषय जैसे पथ(रास्ता),देश, पृथ्वी,नारी आदि पर सृजित किया गया है जो पूर्णतः मौलिक विचार से प्रेरित है। मेरी कविता सामाजिक विषयों के महत्व और प्रासंगिकता को लेकर समर्पित है। ‌~ डॉ. उमेश कुमार 

mere mridang

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पुस्तक के भाग

1

पथ और पथिक

22 सितम्बर 2022
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आज वहीं मै ठहरा सा हूं, जहां पथिक बन पथगामी था। क्या है लक्ष्य बनाया मैंने,        बिना सारथी पूर्ण न होता, मन कठोर पर दृग चंचल है, हृदय अडिग पथ पर ढ़केलती, समय बहुत निष्ठुर परिवर्तन,     साहस से प

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पथ का रहस्य

22 सितम्बर 2022
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सत्य की खोज में,निकला पथिक हूं, पता नहीं क्यों आज मै, इतना ब्यथित हूं? तन मन अचम्भित है,रोम रोम पुलकित है,  ढूंढ रहा हूं क्या मैं,मन भी अचंभित है, इस अशांत रस का मै, रसिया कथित हूं। पता नहीं क्यो

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पथ और परिणाम

22 सितम्बर 2022
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पथ रहा एक चट्टान सदृश, पर पथिक अनेकों बन आये, मानव आये दानव आये,            चींटी आयी पंक्षी आये, कोई पथ पर चलते चलते,      जीवन दायिनी गंगा लाये, मानव को मनु पथ से लाये, सद्कर्म ज्ञान माधव   लाये,

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पथ और जीवन

22 सितम्बर 2022
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पथ ही मर्यादा जीवन की,बिन पथ जीवन क्या जीवन है, जो बना न पथ काअनुगामी,वह दूर्जनहै वह कलिमल है आओ पथ को तैयार करें, क्योंकि पथ निर्मल अविरल है, पथ ही जीवन का निर्धारक,जीवन का चक्र स्वयं पथ है। इस पथ के

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