shabd-logo

पथ और पथिक

22 सितम्बर 2022

21 बार देखा गया 21

आज वहीं मै ठहरा सा हूं, जहां पथिक बन पथगामी था।

क्या है लक्ष्य बनाया मैंने,        बिना सारथी पूर्ण न होता,

मन कठोर पर दृग चंचल है, हृदय अडिग पथ पर ढ़केलती,

समय बहुत निष्ठुर परिवर्तन,     साहस से पग पर उड़ेलती,

चले बहुत विश्राम न ढूंढ़ा,    पथ का मै अविचल स्वामी हूं।

आज वहीं मै ठहरा सा हूं,(१)

उष्ण,गलन, परिवर्तक सावन,मिले मार्ग के अनुगामी बन,

मन संसय से देख रहा था, क्या ये सच्चे पथिक मित्र जन,

लगा रहा पथ पर चींटी सा,      राहों का मै अविरल गामी,

आज वहीं मै ठहरा सा हूं,(२)

सज्जन,दुर्जन,निर्बल मानव,      बने हमारे पथी प्रदर्शक,

पथ पर मै चलता ही जाता,    हठी जीव के अर्थ निरर्थक,

डरा नहीं मै डिगा नहीं मै,         अन्त:मर्म सिंधु अनुगामी,

आज वहीं मै ठहरा सा हूं, ( ३)

क्या है पथ?पथ का रहस्य,मै मथूं स्वयं के प्रिय मथनी से,

पथ पर चलते हुए सदा  ही ,     रहा ढूंढता मन रहस्य से,

मन अंतस्थल बन वसुधा से,पथ रहस्य से पथ रहस्य से,   

आज वहीं मै ठहरा सा हूं, (४)

पथ तो है निश्चल अविनाशी,    राही को मंजिल पहुंचता,

पथ पर तो पथ गांमी चलता,पथ सदैव जीवन को भाता,

बिन पथ का जो राही बनता,  इस रहस्य से पार न पाता,

आज वहीं मै ठहरा सा हूं, (५)              

Dr.Umesh Kumar की अन्य किताबें

4
रचनाएँ
मेरे मृदंग
0.0
यह कविता संग्रह मेरे मन का सृजन है जो सामाजिक परिवेश में दिखाई देने वाले विषय जैसे पथ(रास्ता),देश, पृथ्वी,नारी आदि पर सृजित किया गया है जो पूर्णतः मौलिक विचार से प्रेरित है। मेरी कविता सामाजिक विषयों के महत्व और प्रासंगिकता को लेकर समर्पित है। ‌~ डॉ. उमेश कुमार
1

पथ और पथिक

22 सितम्बर 2022
0
0
0

आज वहीं मै ठहरा सा हूं, जहां पथिक बन पथगामी था। क्या है लक्ष्य बनाया मैंने,        बिना सारथी पूर्ण न होता, मन कठोर पर दृग चंचल है, हृदय अडिग पथ पर ढ़केलती, समय बहुत निष्ठुर परिवर्तन,     साहस से प

2

पथ का रहस्य

22 सितम्बर 2022
0
0
0

सत्य की खोज में,निकला पथिक हूं, पता नहीं क्यों आज मै, इतना ब्यथित हूं? तन मन अचम्भित है,रोम रोम पुलकित है,  ढूंढ रहा हूं क्या मैं,मन भी अचंभित है, इस अशांत रस का मै, रसिया कथित हूं। पता नहीं क्यो

3

पथ और परिणाम

22 सितम्बर 2022
0
0
0

पथ रहा एक चट्टान सदृश, पर पथिक अनेकों बन आये, मानव आये दानव आये,            चींटी आयी पंक्षी आये, कोई पथ पर चलते चलते,      जीवन दायिनी गंगा लाये, मानव को मनु पथ से लाये, सद्कर्म ज्ञान माधव   लाये,

4

पथ और जीवन

22 सितम्बर 2022
0
0
1

पथ ही मर्यादा जीवन की,बिन पथ जीवन क्या जीवन है, जो बना न पथ काअनुगामी,वह दूर्जनहै वह कलिमल है आओ पथ को तैयार करें, क्योंकि पथ निर्मल अविरल है, पथ ही जीवन का निर्धारक,जीवन का चक्र स्वयं पथ है। इस पथ के

---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए