दुकान
काश! कोई हो दुकान ऐसी, जहाँ बिके सिर्फ खुशियाँ।
काश! लोग आये वहाँ और खरीदे अपने हिस्से की खुशियाँ।
कोई दुकान ऐसी भी होनी चाहिए,
जहाँ समझी जाए भाषा खामोशी की।
काश! लोग वहाँ आएँ और समझे ज़ुबा खामोशी की।
दुकान हो ऐसी जहाँ बिके सिर्फ प्यार ही प्यार,
लोग वहाँ जाएँ और खरीदे सिर्फ प्रेम का अहसास।
दुकान मे ना बिकता हो अहंकार, ना बिकता हो अविश्वास,
दुकान हो ऐसी जहाँ लोग खरीदे सिर्फ आपसी विश्वास।
दुकान तेरी या मेरी किसी एक की ना हो,
यह दुकान हो सभी की,
जिसमें लोग खरीदे अपनापन और कमी ना निकाले किसी की।
ईश्वर से प्रार्थना काश ऐसा हो जाए कोई दुकान शांति की बन जाएँ,
जहाँ लोग खरीद सकें शांति, और परिवार स्वर्ग बध जाएँ।
शाहाना परवीन...✍️