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दैनिक लेखन प्रतियोगिता2022-04-13
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कुछ ख्वाहिश अधूरी सी

कुछ ख्वाहिश अधूरी सी

मेरी कलम से... मेरे मन के शब्दों की भाषा सुनने दो मेरे मन को। शब्दों को करने दो बात आपस में, उन्हें खुलकर जीने दो। सुनो ध्यान से ,क्या कहते हैं शब्द? दिल की गहराईयों में जाकर, चुपके से सबको अपना बनाते ये शब्द। अहसासो का आँचल थामें धीरे से आगे बढ़ते

11 common.readCount
22 common.articles

निःशुल्क

कुछ ख्वाहिश अधूरी सी

कुछ ख्वाहिश अधूरी सी

मेरी कलम से... मेरे मन के शब्दों की भाषा सुनने दो मेरे मन को। शब्दों को करने दो बात आपस में, उन्हें खुलकर जीने दो। सुनो ध्यान से ,क्या कहते हैं शब्द? दिल की गहराईयों में जाकर, चुपके से सबको अपना बनाते ये शब्द। अहसासो का आँचल थामें धीरे से आगे बढ़ते

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यशोदा के नंदलाला

19 अगस्त 2022
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विषय:- यशोदा के नंदलाला माँ देवकी की कोख से जन्म लेकर माँ यशोदा के घर आंगन मे जीवन व्यतीत किया।यशोदा के नंदलाला बनइस धरती को धन्य किया ।हृदय के द

आज़ादी का अमृत महोत्सव

4 अगस्त 2022
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आज़ादी का अमृत महोत्सवदैनिक प्रतियोगितादिनांक:- 04/08/202215 अगस्त 1947 कोभारत देश आज़ाद हुआ था।हिंदू, मुस्लिम,सिख, इसाई के प्रयासो से देश आज़ाद हुआ था।वीरों की कुर्बानियाँ हम नहीं भूल पायेगें,दुश्म

मज़दूर दिवस

1 मई 2022
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मज़दूर दिवस***********ईंट सिर पर ढोकर बनाता मकान अमीरो के,पसीने मे होकर लथपथ सजाता घर अमीरों के।खुद रहता भूखा, प्यासा किसी ने कुछ कहता नहीं,जो मिलता रुखा सूखा खाकर सो जाता अपने घरो में।दिन रात करता काम

कुछ कमी सी है

30 अप्रैल 2022
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कुछ कमी सी हैमुकम्मल ना समझो ज़िंदगी कुछ कमी सी हैजज़बातो में लिपटें अहसास कुछ कमी सी है।दिल की बात जान सकता सिर्फ दिल ही,दिल में बसी जो आस कुछ कमी सी है।ये ख्वाब और साथ अपनो के खड़े होने का,खूशबू बिखरी

ज़िंदगी आहिस्ता चल

30 अप्रैल 2022
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ज़िंदगी आहिस्ता चलज़िंदगी आहिस्ता चलकुछ काम हैं बाकी जोपूरे करने हैं मुझे।ज़िंदगी आहिस्ता चलरिश्ते टूटे हैं जोवो जोड़ने हैं मुझे।ज़िंदगी आहिस्ता चलदुख के बादल छाए जोउन्हें छटाना है मुझे।ज़िंदगी आहिस्ता चलकु

दर्दीले पल

30 अप्रैल 2022
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दर्दीले पल --------------ये दर्द मुझे जीने नहीं देता, ना हसने देता ना ही रोने देता।बस एक खामोश मंज़र है चारों तरफ,ना जाने क्यूँ मुझे अंधेरा देता ?तन्हाइयों

क्या ज़िंदगी केवल ख्वाहिश है?

30 अप्रैल 2022
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क्या ज़िंदगी केवल ख्वाहिश हैक्या केवल ख्वाहिशों ही से बनी है ज़िदगी....?ख्वाहिशों की चाह मे इंसान कब अपनी ज़िदगी पूरी कर लेता है ....पता ही नहीं चलता....रह जाती हैं पीछे सुनहरी वो यादेंजो टकटकी लगाए

यादों का भंवर

30 अप्रैल 2022
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यादों का भंवरयादें हमेशा हमारे साथ रहती है....जब तक हम जीते हैं यादे भी जीती हैं हमारे साथ।कुछ खट्टे कुछ मीठे अनुभवो से सजी ये यादें ....संग संग चलती हमारे साथ।यादों का भंवर ना जाने कब

रेत पर लिखा दर्द

30 अप्रैल 2022
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रेत पर लिखा दर्द रेत पर लिखा दर्द माना दिखाई नहीं देता परजब दर्द देता है तोशरीर को झंझोड़कर रख देता है।।रेत पर लिखा दर्द माना बोल नहीं सकता परजब बोलता है तो सभी के बोल बंद कर देता ह

कभी यूँ भी तो

30 अप्रैल 2022
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कभी यूँ भी तो------------------कभी यूँ भी तो बेमतलब मुस्कुरा लिया कीजियेक्या पता कल ये समां रंगीन हो या ना हो?कभी यूँ भी तो मेरी गली कदम बढ़ा लिया कीजिए।क्या पता कल फिरहम यहाँ हों या ना

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