शब्द.इन मंच
शीर्षक:- हिसाब
यहाँ हिसाब हर चीज़.का देना पड़ता है,
दुख दोगे किसी को वो फिर लेना भी पड़ता है।
लौटकर आता हिसाब यहाँ चाहे कर लो कुछ,
आँसू देकर दूसरो को अपनी आँखो में भी आँसू भरना पड़ना है।
यहाँ हिसाब हर चीज का देना पड़ता है।।
यह तेरा, यह मेरा , गौर से देखो नहीं किसी का,
खाली हाथ आता मनुष्य खाली हाथ ही जाना पड़ता है।
यहाँ हिसाब हर चीज का देना पड़ता है।।
शाहाना परवीन...✍️