मज़दूर दिवस
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ईंट सिर पर ढोकर बनाता मकान अमीरो के,
पसीने मे होकर लथपथ सजाता घर अमीरों के।
खुद रहता भूखा, प्यासा किसी ने कुछ कहता नहीं,
जो मिलता रुखा सूखा खाकर सो जाता अपने घरो में।
दिन रात करता काम, नहीं डरता परिश्रम से,
आंधी हो या तूफान काम करता अपनी धुन में।
इतिहास गवाह है मज़दूरो ने देश को दिया अनमोल उपहार,
एक एक ईंट से सजाया देश को और दी सुंदरता की पहचान।
आज देश मे चमकती जो सुंदर , प्रसिद्ध इमारतें हैं,
मज़दूरो की मेहनत और उनकी अनोखी कलाएँ हैं।
मेहनत करता बेशुमार, नहीं घबराता, ना ही होता परेशान,
प्रतिदिन की दिहाड़ी से खुश होकर सपने सजाता परिवार के।
क्या जीवन है एक मज़दूर का कोई ज़रा समझाओ तो?
हम सब मजदूर दिवस बनाते रोटी देगा कौन उसे बताओ तो?
मज़दूर दिवस पर हम सब देते बधाईयाँ हैं,
अच्छा होगा यदि मज़दूर को उसके हक का पैसा दें।
मजदूर भी एक इंसान है उसे भी सम्मान दो,
मजदूर को भी जीने का पूरा अधिकार दो।
मजदूर के बच्चे भी पढ़े अच्छे स्कूलो में,
उनको भी हर संभव मदद और प्यार दो।।
शाहाना परवीन...✍️
मुजफ्फरनगर (उ.प्र.)