9 मार्च 2022
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हाथों की लकीरेंहाथों की लकीरो पर यकीं ना कर मानव,ये वो हैं जो किसी को भी तबाह कर देती हैं।कुछ होते ऐसे जो कर लेते यकीं इन पर,अंधविश्वास के चलते काम को अधूरा छोड़ देती है।अपने हाथो अपने ही काम बिगाड़ देत
फिल्म :- "प्रेमगीत" पर बनाया गया गाना....गीत के बोल:- होंठों से छूलो तुमबेटी को प्यार करोउसका हक़ उसको दे दो।लगा लो उसे सीने सेप्यार से जी भर दो।आने दो ना आँसू .....तुम बटिया की आँखो में....भर दो सारी
महिला ,महिला की मित्र: क्या सत्य है?महिला ही महिला की मित्र होती है, पर , नहीं यह ज़रूरी कि हर महिला ही मित्र होती है।बहुत सी महिला कर देती कल्याण , पर, बहुत सी जीवन में नरक घोल देती हैं
शब्द.इन मंचशीर्षक:- हिसाब यहाँ हिसाब हर चीज़.का देना पड़ता है,दुख दोगे किसी को वो फिर लेना भी पड़ता है।लौटकर आता हिसाब यहाँ चाहे कर लो कुछ,आँसू देकर दूसरो को अपनी आँखो में भी आँसू भरना पड़ना है। 
नन्हा दिल केवल हसता है और रोता है,अभी नन्हा दिल कुछ नहीं समझता है।माँ की बाते ध्यान से सुनता है,दिन में सोता रातो को जागता है।अभी नन्हा दिल कुछ नहीं समझता है।।होठों पर जब हसी आती है,परिवार की हिम
"अहसास हमेशा ज़िदा रहते हैं"हाँ! मैने माना कि मै पैसंठ का हो गया हूँ,पर तुम भी कौन सा सोलहवे साल में लगी हों?मेरी उम्र हो गई है मुझे कहाँ इससे इंकार है?पर तुम शायद नहीं जानती प्रिय,हमने अपने जीवन के चा
पिता के ख़त -------------------पापा, मुझे आज भी याद हैं,आपके लिखें वो ख़त।जो आप मुझे लिखा करते थे,जब मैं रहती थी हॉस्टल में।पापा उस समय मोबाइल नहीं था।ख़तो स
इश्क में निखार इश्क होगा राख तो ही निखार आयेगा,दिल में जगेगा प्यार तो ही निखार आयेगा।चाँद तो चमकता है हर रोज़ आसमान में,चाँदनी होगी साथ तो ही निखार आयेगा।इस तरह ना देखिए हमें एक टक आँखो से,जब होगी
महिलाओ को समर्पित रचना .. . ...नारी के रूप और गुण ******************* नारी मे ही बसी सीता, नारी ही राधा और मीरा है।नारी कोमल हृ
ये यादेंये यादें मुझे चैन से मरने भी नहीं देतीजब भी मरने की कोशिश करती हूँ...वो आकर मेरे सामने खड़ा हो जाता है और कहता है कि ....वह मेरे दिल में रहता है आजकलअगर मै मर गई तो वो भी मर जायेगा।शाहाना
मेरा दिल याद करता है लता दी कोआप सभी जानते हैं लता जी अब हमारे बीच नहीं हैं पर आज भी उनके सुरीले गीत हम सबको उनकी उपस्थिति का अहसास करा रहे हैं। नाम गुम जायेगा चेहरा ये बदल जायेगा,मेरी आवाज़ ही पह
मुकाम मुकाम बनाऊँ मैं कैसे ?तुम साथ नहीं हो।तलब नहीं अब कोई तुम्हारे सिवातुम पास नहीं हो।कैसे करूँ इशारे? मुकाम बनाऊँ मैं कैसे?मुख्तलिफ ख्याल आते हैं मन में,दिल को बेचैन कर जाते हैंकोशिश करत
दुकानकाश! कोई हो दुकान ऐसी, जहाँ बिके सिर्फ खुशियाँ।काश! लोग आये वहाँ और खरीदे अपने हिस्से की खुशियाँ।कोई दुकान ऐसी भी होनी चाहिए,जहाँ समझी जाए भाषा खामोशी की।काश! लोग वहाँ आएँ और समझे ज़ुबा खामोशी की।
अंखियो के झरोखे सेआज भी सुनीता और मोहन अंखियो के झरोखो से एक दूसरे से बाते किया करते हैं। वक्त कैसे पंख लगाकर उड़ जाता है, पता ही नहीं चलता। सुनीता और मोहन एक दूसरे को आज भी उतना ही चाहते हैं जितना पहल
ज़ख्म जो दिए तुमने, कभी भूल नहीं पाऊगीं।मर भी गई अगर ज़ालिमतुझे तड़पाऊगीं।सताऐगीं मेरी रूह तुझे हर वक्त,तुझे पाताल से भी ढूंढ लाऊगीं।शाहाना परवीन...✍️
🍁🍁🍁🍁🍁🍁🍁मधुर वाणी सदा याद रहती है,मुस्कुराहट मन में बसी रहती है।अपनापन छूता रहता अहसासो को,शांति हर कदम पर साथ देती है।वक्त गुज़र जाता है क्षण भर में पर ,गुज़रे लम्हें वहीं ठहर जाते हैं।परछाई
माँ जगदम्बा का रूप नारी नारी मे ही बसी सीता, नारी ही राधा और मीरा है।नारी कोमल हृदय वाली, नारी ही काली अवतार है।मां जगदम्बा का ही एक रूप नारी शक्तिपरिवार की कल्याणी , नारी शक्ति।।नर की शक्त
मज़दूर दिवस***********ईंट सिर पर ढोकर बनाता मकान अमीरो के,पसीने मे होकर लथपथ सजाता घर अमीरों के।खुद रहता भूखा, प्यासा किसी ने कुछ कहता नहीं,जो मिलता रुखा सूखा खाकर सो जाता अपने घरो में।दिन रात करता काम
विषय:- यशोदा के नंदलाला माँ देवकी की कोख से जन्म लेकर माँ यशोदा के घर आंगन मे जीवन व्यतीत किया।यशोदा के नंदलाला बनइस धरती को धन्य किया ।हृदय के द