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दूरी

18 जनवरी 2023

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इतना भी न हो दूर इस जमाने से।
कभी जुदा न समझना सुबह को शाम के फ़साने से।
हमेशा कद्र करा करो बुजर्गो की
गुत्थीया न सुलझेंगी यूँ ही बस मज़ाक उड़ाने से

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रचनाएँ
कवितानामा
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इस पुस्तक में मेरे द्वारा रचित कविताओं को प्रस्तुत किया गया है इस पुस्तक में जीवन के अनुभवों को और अपनी संवेदनाओं को मैंने अपने शब्दो के माध्यम से मैं कविता के रूप में व्यक्त कर पाया हूं।

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