इस पुस्तक में मेरे द्वारा रचित कविताओं को प्रस्तुत किया गया है इस पुस्तक में जीवन के अनुभवों को और अपनी संवेदनाओं को मैंने अपने शब्दो के माध्यम से मैं कविता के रूप में व्यक्त कर पाया हूं।
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ये जो मुस्कुराते चेहरे हैं न..... अपने अंदर के गम को हंसी में यूँ ही उड़ा देते हैं ये जो मुस्कुराते चेहरे हैं न अपने गम को किसी से कहते नहीं दूसरे के गम में ग़मगीन दुसरो की ख़ुशी को भी अपना बना लेते
इतना भी न हो दूर इस जमाने से।कभी जुदा न समझना सुबह को शाम के फ़साने से।हमेशा कद्र करा करो बुजर्गो कीगुत्थीया न सुलझेंगी यूँ ही बस मज़ाक उड़ाने से
अपनी हर दुआ में तेरी खैरियत का जिक्र रखता हूं।वक्त मिले या न मिले लेकिन अपने हर एक लफ्ज़ में तेरी फिक्र रखता हूं