9 अक्टूबर 2021
98 फ़ॉलोअर्स
जिस कवि की कल्पना में ज़िन्दगी हो प्रेम गीत उस कवि को आज तुम नकार दो भीगती मासों में आज, फूलती रगों में आज आग की लपट का तुम बघार दो 🙌 राजनीतिक धर्म की बात करने वाले कोसों दूर रहें क्योकि I'm An indian that's it ..... D
बहुत ही सटीक लिखा है सर आपने 👌🙏 मेरी पुस्तक पढ़कर अपनी समीक्षा जरूर दें 🙏
13 अगस्त 2023
Adbhut vichar hai aapke .. kash aur logo ki vichardhara aisi ho to kya baat ho
19 अक्टूबर 2021
अति सुन्दर विचार है, वास्तव में प्राचीनकालीन शिक्षा पद्धति हमारी संस्कृति , वातावरण और जीवकोपार्जन तीनों को एक साथ ले कर , विद्यार्थी को ज्ञान देती थी जिस से विद्यार्थी के जीवन में मां से लेकर गंगा मां तक एक समान आभार का भाव रहता था।
17 अक्टूबर 2021
जानकारी पूर्ण लेख रहा। इसमें मुझे कुछ नया जानने को मिला, अतः आभार प्रकट है।🙏🌸
9 अक्टूबर 2021
सचमुच, बहुत सी दुर्लभ बात कही है आपने। हम भी यही कहते हैं, पर हमारी कोई सुनता नहीं.. 😊 😊 😊 राधे राधे 🙏🏻🌷🙏🏻
9 अक्टूबर 2021