शक़्कर
एक रात दरवाजे पे देर रात कुछ आहट सी सुनाई दी ,बाहर जाकर देखा तो मोह्हबत खड़ी थी ।मैंने घड़ी मैं देखा 3 बज रहे थे और उसने खामोशियाँ के करवा को तोड़ते हुए बोला चीनी हैमुझे भी ना जाने उस पल क्या हुआ ना जाने कहा से हिम्मत आयी और जबान से निकल गया चलो साथ पीते है उसके चेहरे पे जिजक थी पहले शायद लेकिम बरसो