उसकी कजरारे वो सुन्दर सा नयन , उसकी वो चाल जैसे कोई कोई मृग नयनी विचरन कर रही हो । उसकी मदहोश कराने बाली अदा ... जैसे किसी को भी पागल किये है जाए । वह सुन्दरता की कोई संगमरमर की तरासी कोई मुरत ।
मदहोश कराने बाली छवि की मालकिन मधुलिका ... प्यार से सब उसे मधु बुलाते है । एक दिन शाम में किसी काम से एक पड़ोस की आंटी के यहाँ गई । वहां उनकी ( (आंटीजी की) बहन का बेटा मोहन आए हुए था ...। मोहन का सूरत किसी को भी मोहने के लिए काफी है । मधु तो बस अपनी माँ के कुछ काम से आंटी के घर आई
हुई थी । वह भी मदहोश से उस मोहन को देखने लग गई।लगा जैसे वो कृष्णा हो, बस बांसुरी पकड़ने बांकी है । मधु की नजरें मोहन से और मोहन की नजरे ऐसे मिली कि दोनों की नजरे झुक्ने का नाम नहीं लेता है ।इस तन्द्रा को भंग की आंटी जी ने मोहन की मासी रीता जी ने । ऐसे में दोनों झेप से जाते है । मधु और मोहन ने आँखों ही आँखों में जाने कितनी सारी बातें कर लिए । आंटी के चाय लाने के दरम्यान ही दोनों ने व्हाट्स ऐप नंबर एक्सचेंज कर लिए दोनों की आँखे रीता जी पल र में ही पहचान गई । फिर ये सोच भी वह थोड़ी नोर्मल हो गई शायद ये योनाकर्षण हो बस । मधु चाय पी अपना काम करके कर चली गई । दोनों अपना फोन नंबर आदान-प्रदान किया ये बातें श्रीः मति रीता जी को पता नहीं चल सका जब से मधु पड़ोसन रीता जी के यहाँ से आई है बदली बदली सी माँ को लग ने लगी है । गुमसुम सी रहने लगी है सबसे । माँ के पूछ ने से कुछ मधु बोलती ही नहीं है । सिर्फ अकेले वो कमरे में किसी से बात करती है इतना ही जान पाती है । कौन वो जिससे बात करती हो तुम मधु ..तो मधु सवाल को बस टाल जाती है । माँ के बार बार पूछें जाने पर भी जब मधु ने कुछ नहीं बोला तो वह संसय में पर गई । मधु का और भी काम में मन नहीं लगता है ।ना ही घर के कामों में और ना ही पढ़ाई में ही । मधु एक मेधावी छात्रा है , ये सभी जानते है । पापा भी देख रहे है मधु कुछ ज्यादा ही गुमसुम सी रहने लगी है । जब्पप ने माँ से इस बारे में बात कराने लगे है तो ...माँ सक्रिय हुई और वह रीता जी से बात करने के लिए उसके घर जाने का फैसला की वहां जाकर ही ठीक से बात हो पाएगी उन्हें ऐसा लग रहा था । इधर उस मृग नयनी सी मधु के लिए मोहन कुछ ज्यादा ही पागल हुए जा रहा है । मोहन का करोना के कारण वर्क फ्रॉम हमे काम चल रहा है । वह वैसे भी बाहर क्म ही जा पाते थे ,लेकिन जब से उससे मिले है उसके मृग नयनी नैन ने उसका जीना दुस्शवार किये हुए है ।
बार बार भोजन के लिए नास्ता के लिए अब मोहन की माँ को आबाज देना पर रहा है मोहन को... ऐसा पहले कभी नहीं होता था । वह भी सोचए पर गई कि अचानक से मोहन को ये क्या हो गया कि उसे नास्ता ने के लिए भी आबाज लगानी पड़ रही है । वैसे तो दौड़ दौड़ चाय नास्ता के लिए आ जाता था वो ...अभी तो नौकर को बुलाने से भी आराम से नहीं आ पाते है । डिनर में भी यही हल है मोहन का ...इस वजह से मोहन के पापा ने भी माँ से इस बारे में कई बार पूछा है ....।
आज माँ ने फटाफट अपना कार्य निपटा कर फस्ट फ्लोर पर खुद से ही मोहन को डिनर के लिए बुलाने चली गई । माँ ने देखा मोहन एक टक मोबइल को निहारे जा रहा है ....उसे ये भी नहीं पता चल पाया कि माँ कब से मोहन को ही बड़े प्यार से निहार रही है । मोबइल में जिस सुंदरी मधु को वो देखें जा रहा है ...माँ भी बस कभी उसे तो कभी उस फोटो बाली मृग नयनी को निहारे जा रही है ।
माँ ने अनायास ही बोल ...आहा! कितनी सुंदर मनमोहनी , मृग नयनी सी .... माँ का अभी भी वहीं हाल है , कभी वह अपने मोहन को तो कभी वो इस मना मोहनी को बस देखें जा रही है ....। फिर उसने बेटे से बोली कोई बात नहीं बेटा जब ये मृग नयनी मुझे मार गई तो तेरा कोई कसूर नहीं है ।
बेटा का तो जैसे हर डिप्रेसन दूर हो गया । वह माँ खुश होकर लिपट गया ...।माँ भी लाडले को खुशी के साइन से लगा ली । फिर नीचे जाकर माँ ने मोहन के पिता जी राम जी से बात किये पिता -श्रीः राम जी भी पत्नी के बातों से उतना ही ज्यादा खुश हुए ,जितना माँ और बेटा हुये थे । आज तीनोंं ने मिलकर मोहन के ही रूम में डिनर किये ।
तीनोंं ने ही इस मामले में खूब बात किये । सबने विचार किये इस मामले में बात आगे बढाया जाए । और काम से काम फोन से रीता जी से बात किया जाए ।मोहन की माँ सीता जी ने पहले अपनी बहन रीता से ही पहले बात कराना उचित समझा है ।
इधर इस मामले में बात करने मधु की माँ , रीता जी के यहाँ पहुँच चुकी है । रीता ने सारी बातें अच्छी तरह समझा दी कि मैंने तो पहले बस योनाकर्षन ही समझा था , पर बात जितने आगे बढ़ चुके है , उससे लगता है दीदी सीता से बात करनी ही होगी । रीता जी ऐसा सोच ही रही है , बात करने के बारे में , उसी वक़्त मोहन की मा सीता का फोन आता है । रीता ने यहाँ आकर सारी बातें करने को ...जल्दी ही दीदी को आने बोलती है ।
सीता एक नियत समय पर आकर मधु की माँ से बात करती है । दोनों परिवार को मोहन और मधुलिका की जोड़ी राधा कृष्ण से कम नहीं लगते है ।
एक बहुत ही सुंदर समय देखकर दोनों की सगाई के दिन रखे जाते है । ये सब खबर सुन मधु की तो जैसे सारी मुरादें पूरी हो गई ।वह मेधावी तो थी ही , जल ही उसका जॉब के लिए सेलेक्शन हो गया ।
मधु और मोहन की सगाई हो गई ।ये सगाई किसी शादी के माहौल से कम नहीं था । सबने इसे खूब इंजॉय किया ।जिसकी सबसे ज्यादा पूछ हो रही थी वो थी , मोहन की मासी और मधु की पड़ोसन आंटी रीता जी ।
वैसे भी मधु के चाहने बाले बहुत थे , थोड़ी बहुत डिस्टर्ब के वावजूद आज शिव रात्रि के शाम दोनों की शादी हो रही है । पूरे धूम धड़ाके के साथ । और कुछ दिन में ही दोनों के हनीमून के टिकट बुक किये प्यारी आंटी रीता जी ने । और वह याद गार शादी किसी के जेहन से वर्षो नहीं जा पाई । कुछ महीने बाद इन दोनों ने फिर से गोवा का टिकट कटाये। इस बार 6 टिकट इनके पास है । दो मोहन के माँ पापा के लिए । दो मधु के माँ पापा के लिए । और दो मधु और माधव के लिए । सबों के जैसे पहले हनीमून हो सभी ने उस ट्रिप को इतना ज्यादा इंजॉय किया ।
गोवा बीच पर इतना इंजॉय शायद इन सबों ने इससे पहले कभी नहीं किया था ।
जीवन इतने ही मस्त आगे बढ़ रहे थे , दोनों अच्छे तरह सेटल हो चुके थे । कुछ समय बाद दोनों ने सबको टू विन्स होने की खबर सुनाई , जो देखने में बिल्क़ुल मधु और मोहन सा ही है सेम ही । 😊 जिसको देखने में मधु की माँ को मधु और मोहन की माँ को मोहन का ही याद दिला कर, उनकी युवापन को जिंदा कर जाता है । 😊😊😊 और फिर एक मृग नयनी से सभी रोज रब रु होने लगे वो है । वो है मधु की बेटी मधु मालिनी 😊😊 ।