घर एक राजस्थानी रजवाड़े जैसा दिखता है जैसे कोई महल हो। घर के अंदर उस गांव की मुखिया जिन्हें गांव वाले अम्मा जी कहते है। एक रॉयल चेयर पर बैठकर हुक्का पी रही होती है और उनकी कुर्सी के पीछे खड़ी नौकरानी उनके कंधे को दबा रही होती है। सामने रसोई घर के बाहर एक बूढ़ी औरत हल्दी बांट रही होती है।
एक व्यक्ति दौड़कर आता है और अम्मा जी के सामने रुककर सांस लेते हुए - " अम्मा ... छोटे मालिक आए है।"
सिया के माता पिता आते है और दोनो पैर पड़ने झुकते है तो अम्मा सिया की मां के हाथ पकड़कर झुकने से रोकते हुए - "ऐसी हालत में झुकना नहीं चाहिए।"
सिया की मां खड़ी हो जाती है।
" बहू को , अंदर ले जाओ।" अम्मा जी नौकरानी से ।
"जी अम्मा जी ... आइये बहू रानी ।" नौकरानी सिया की मां को लेकर चलने लगती है।
"बैठो।" अम्मा जी बोली। सिया के पिता अम्मा जी के सामने सोफे पर बैठ जाता है।
अम्मा जी - "कौन सा महीना चल रहा है?"
सिया के पिता - "अम्मा जी, नवा।"
अम्मा जी - "तूने यहां आकर ठीक किया, पर तुझे अब मेरी याद आई।"
"अम्मा जी .... काम मे इतना बिजी था कि टाइम ही नहीं मिला आने का।"सिया के पिता सहम कर।
अम्मा जी मुस्कुराकर -" पता किया! लड़का ही है ना। "
सिया के पिता सिर झुका लेते है तो अम्मा समझ जाती है "कह दे, टाइम ही नहीं मिला था।" गुस्से से देखते हुए ।
- "अम्मा जी! का फरक पड़ता है! लड़का हो या लड़की दोनो एक सामान ही तो है।" सिया के पिता सिर झुकाकर बोले।
" वाह बेटा....! अब तुम हमको... मुखिया गिरी सिखाओगे , जब तेरे बापू के साथ ब्याह कर आईं थीं, तब से इस घर की और तेरे बापू के जाने के बाद इस गांव की मुखिया मे ही हूं। पूरे 20 साल से मेरा ही हुकुम पालते है , लोग... और तू चाहत तेरे लिए अपनी बनी, बनाई इज्जत मिट्टी मे मिला दूं? तुझे पता तो है?, लड़की मनहूस होत है, इसीलिए उन्हें पहले ही मार देना चाहिए, नाक कटवाने से पहले। । अम्मा जी आँख गुस्से से सुर्ख लाल हो जाती है ।
सिया के पिता अंदर से तो डर गए अम्मा जी का गुस्से से भरी आँखे देखकर पर फिर हिम्मत जुटाकर अम्मा जी की आंखो से आंखे मिलाकर पूरे विश्वास के साथ देखते हुए " पर अम्मा जी, अब वह समय नहीं रहा है, आज लडकियां लडको से कंधा से कंधा मिलाकर चल रही है।"
"रामू!" अम्मा गुस्से से आग बबूला होकर खड़ी हो जाती है।
सिया के पिता भी डरते हुए खड़े हो जाते है।
अम्मा जी " यहां सरकारी कानून ना, अम्मा कानून चले है।"
"जी अम्मा जी।" सिया के पिता का चेहरा ऐसा उतर जाता है। जैसे किसी ने बहुत पीटा हो।
"जा आराम कर ले।"अम्मा जी चलने लगती है।
सिया के पिता "जी अम्मा जी।"
अम्मा जी घर के बाहर वाले दरवाजे की ओर और सिया के पिता उस रूम की ओर चलने लगते है। जिसमे नौकरानी सिया की मां को लेकर गई थी और चलकर आते है। सिया की मां बेड पर लेटी होती है। वह सिया के पिता को देखकर उठकर बैठने को होती है।
"लेटी रहो।" सिया के पिता उसके बगल मे बेड बैठ जाते है। वहीं सिया की मां दीवाल से टिककर बैठ जाती है।
सिया की मां सिया के पिता उतरा हुआ चेहरा देखकर दर्द भरी आवाज में - "अम्मा जी ने... कुछ कहां क्या?"
"नहीं....।" सिया के पिता मुस्कुराकर सिया की मां का हाथ पकड़कर।
"आपको झूठ बोलना भी नहीं आता है। अगर कुछ नहीं कहां तो फिर चेहरे पर उदासी के बादल क्यो दिख रहे है।"सिया की मां अपनी साड़ी से सिया की पिता के चेहरे का पसीना पोछती है ।
सिया के पिता हंसकर "वो ..वो. तो थोड़ा! धक गया हूं इसीलिए।"
सिया की मां "मुझे सच जाना है, झूठ नहीं।"
सिया के पिता "तुम तो जानती हो, अम्मा जी जरा पुराने खयालात की है! और दूसरा उनकी सोच वाला इस गांव का कानून!"
" तो क्या?" सिया की मां डरकर पेट पर हाथ रखकर उसे छिपाती है ।
"तुम फिक्र क्यो करती हो, मेरे होते हुए हमारे बच्चे को कोई हाथ भी नहीं लगा सकता है। अब सो जाओ रात बहुत हो चुकी है।" सिया के पिता सिया की मां के पेट पर प्यार से हाथ फेरते है ।
सिया की मां लेट जाती है और बगल में सिया के पिता लेट जाते है और दोनो सो जाते है। अब रात के दो बज रहे होते है और सिया की मां को दर्द होना शुरू हो जाता है तो सिया की मां दर्द के कारण कराहने लगती है। सिया के पिता आवाज सुनकर जागते है।।
"क्या हुआ?" सिया के पिता नीद भरी आवाज में ।
सिया की माँ दर्द के कारण कुछ नहीं कहती है। सिया के पिता उसको गोदी में उठाकर चलने लगता है और घर से बाहर आकर कार मे बैठाकर दूसरी तरफ आकर कार में बैठकर कार स्टार्ट कर चलाने लगता है।
सिया की मां का दर्द असहनीय हो जाता है तो वह चिलाने लगती है तो सिया के पिता कार का गेयर बदलकर और अधिक स्पीड मे चलाने लगता है और गांव के पास के शहर में उपस्थित एक मात्र सरकारी हॉस्पिटल के बाहर कार रोक कर जल्दी से गेट खोलकर नीचे उतरकर दौड़कर दूसरी ओर आकर गेट खोलकर सिया की मां को गोदी में उठाकर चलने लगता है और हॉस्पिटल के अंदर आता है और बेड पर लिटा देता है। डॉक्टर आती है और उसके साथ दो नर्स होती है।
डॉक्टर "अब आप बाहर जाइए।"
सिया के पिता रूम से बाहर आकर इधर से उधर टहलने लगते है। वहीं सिया की मां दर्द से रो रही होती है। थोड़ी देर बाद बच्चे के रोने की आवाज आती है तो सिया के मां की रोने की आवाज बन्द हो जाती है। वहीं सिया के पिता का चेहरा खुशी खिल उठता है। डॉक्टर रूम से बाहर आकर "मुबारक हो, बेटी हुई है।"
सिया के पिता सुनकर शांत खड़े रह जाते है।
"कुछ हुआ है क्या सर?" डॉक्टर इस बात से अनजान थी कि वह अम्मा जी के गांव का नहीं बल्कि उनका ही बेटा है।
सिया के पिता मुस्कुराकर "मै अपनी पत्नी से मिल सकता हूं?"
डॉक्टर मुस्कुराकर "हां , जाओ।"
सिया के पिता रूम के अंदर आते है। सिया की मां बेड पर लेटी होती है और उनके बगल में सिया लेटी होती है जिसे सिया अपना दूध पिला रही होती है।
" हमे अभी निकलना होगा, अम्मा जी के आने से पहले।" सिया के पिता सिया की मां के पास आकर डरते हुए ।
सिया की मां उदास होकर "पर ऐसी ! हालत में कैसे ?"
सिया के पिता बांए और दाएं देखते है वो कहावत है ना लडकियां अपनी किस्मत खुद लिखवाकर आती है। वरना तो उनके दुश्मन पहले पेट मे फिर समाज और बड़े होते लोगो की नजरो से वह रब ही उन्हे बचाता है। तो यहां भी कुछ वैसा हुआ था। सिया के पिता को एक व्हील चेयर दिखती है जिस पर सिया की मां को बैठा कर सिया को उसकी गोदी में रखता है जिससे सिया पकड़ लेती है और धकेलते हुए चलने लगता है। हॉस्पिटल से बाहर आकर कार का गेट खोलकर सिया की मां को व्हील चेयर से उठाकर कार में बिठा कर गेट बन्द करता है और दौड़कर दूसरी तरफ आकर गेट खोलकर बैठकर गेट लगा कर कार चलाने लगता है और चला जाता है।
अब सुबह होती है तो सिया के पिता और मां को घर ना पाकर अम्मा जी आदमी ढूढने निकल जाते है। दोपहर के दो बज रहे है। वहीं डॉक्टर अपने केबिन मे बैठी होती है। अम्मा जी के चार गुंडे आते है और डॉक्टर के सिर पर पिस्तौल रखकर खड़ा होने का इशारा करते है और डॉक्टर डरते हुए खड़ी हो जाती है और उनके साथ चलने लगती है। डॉक्टर उन गुण्डो के साथ बाहर आती है। अम्मा जी थार कार में बैठी होती है। बगल मे ड्राइवर बैठा होता है।
डॉक्टर आकर अम्मा जी के पैर पकड़कर "अम्मा जी माफ कर दो! , गलती हो गई।"
"क्यो री, तुझे मालूम ना था? यहां अम्मा जी का राज चले है, अब पैर पकड़ रही है।" अम्मा जी गुस्से से उसको पैर से किक देती है वह चार कदम दूर गिरती है । " इसके हाथ पैर तोड़ दो।"
डॉक्टर डरकर "अम्मा जी...।"
चारो गुंडे उसको डंडो से पीटने लगते है।
डॉक्टर रोते हुए "अम्मा जी बचाओ।"
अम्मा जी " चलो ड्राइवर।"
ड्राइवर पीछे की ओर थार चलाता है और मोड़ता है और थार चली जाती है।
ड्राइवर अम्मा जी के घर के बाहर थार रोकता है। सामने दो कार खड़ी होती है। अम्मा जी को देखकर वहां खड़े सभी लोग सिर झुका लेते है। अम्मा जी उनकी ओर गुस्से से देखते हुए - "उसका पता चला?"
सभी सिर झुकाए हुए मना करते है।
अम्मा जी " फिर यहां क्या कर रहे हों ? जाओ ढूढो।"
वे सभी दो कारो मे बैठ जाते है और दोनो कार चली जाती है।