मेरा शहर जैसा नाम से विदित है,यह मैं अपने शहर के विषय में
छोटी सी सी छोटी बात कविता के माध्यम से व्यक्त करना चाहती हूं
बचपन से जुड़ी यादों का शहर,यौवन की दहलीज पर कदम रखते खुद में सिमट जाने का शहर,वास्तव में देखा जाये तो बहुत कुछ समेत रखा है। शाहर ने मेरे।
गङ्गा और यमुना के घाटों का शहर
कतरा कतरा बनता बिखरता शहर
मूक अदृश्य सरस्वती की खनखनाती हँसी
विधा के रूप में विश्विद्यालय की गरिमा का शहर
बहुत कुछ तो है इस शहर में