ये सड़क के किनारे लगे
पलाश के फूल अब भी निहारते
खड़े हैं राह किसी की
ये चौराहा कटरा बाजार
नेतराम की कचौरी की महक
ये हॉस्टल के बच्चे
एक आशा और विश्वास का सागर लेकर
आते प्रयागराज
ये विश्वविद्यालय ये सीनेट हाल
कुछ भी तो नही भूला
ये डेलीगेसी की गलियों में
छोड़कर गये
अपनी जीवनगाथा
सब कुछ जहन में
बसा है
जब छोड़कर जाते हैं लड़के और लड़कियाँ
सुंदर सपनों का संसार बनाकर
जब अपने घर
यही तो है यादों का शहर मेरा
जो आया यही का होकर रह गया
स्वयं या इन यादों में बसर करता
अपना जीवन
बहुत मनमोहक शहर है
बहुत कुछ समेटे