shabd-logo

गधे

hindi articles, stories and books related to gadhe


featured image

कृश्न चन्दर होते तो देखते कि एक गधे की वापसी फिर से हो गयी है। गोपाल प्रसाद व्यास जी एक बार फिर से गधों पर नई कविता लिख सकते थे।इधर भी गधे हैं, उधर भी गधे हैं। जिधर देखता हूँ गधे ही गधे हैं॥ गधे हँस रहे, आदमी रो रहा है। हिन्दोस्ता

संबंधित टैग्स

किताब पढ़िए