जब हो प्यार किसी गोरी से
बलखाती इठलाती गांव की गोरी से।
देख वो अपने प्यार को
दिल में बसे दिलदार को
नयनों में छिपे
वर्षों के इंतजार को
होठों पर मुस्कान लाए वो चोरी से
जब हो प्यार किसी गोरी से
बलखाती इठलाती गांव की गोरी से।
नखराली होती हैं उसकी अदायें
मतवाली होती हैं उसकी फिजायें
मगर बड़ी ही खूब होती हैं
उसकी रसताली कामुक सदायें
जो रखें समानता चांद चकोरी से
जब हो प्यार किसी गोरी से
बलखाती इठलाती गांव की गोरी से।
न भूले कभी अपना वो वायदा
न तोडे कभी अपना वो कायदा
प्यार की रास रसीली दुनिया में
न ले कोई अपना वो फायदा
क्योंकि बंध ही जाये वो सच्ची प्रीत की डोरी से
जब हो प्यार किसी गोरी से
बलखाती इठलाती गांव की गोरी से।
चाहत के लिये हद से वो गुजर जाये
इबादत के लिए रब से वो लड आये
अपनी वफा की दुनिया में
राहत के लिए सबसे वो झगड आये
सोनू का दिल चाहता है जुडना ऐसी हसीन किशोरी से
जब हो प्यार किसी गोरी से
बलखाती इठलाती गांव की गोरी से।
। रचनाकार::सोनू सागर उर्फ सुशील कुमार आर्य