पग पग संकट इस दुनिया में, दोस्त गरीब इन्सान को |
देता है भगवन भी दौलत, दौलतमंद इन्सान को ||
भूख मिटाता सबकी है वो, भूखा रहकर हर शाम को |
कर दे अर्पण अपना सबकुछ ,दौलत वालों की आराम को ||
जुल्म है सहना पड़ता उसको , हर दिन हर शाम को |
दौलत की खातिर ही बेंचे, इन्सान ही इन्सान को ||
पग पग संकट इस दुनिया में, दोस्त गरीब इन्सान को |
देता है भगवन भी दौलत, दौलतमंद इन्सान को ||