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ग़ज़ल

23 मई 2016

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featured imageख़ुद को अब दाग़दार कौन करे ! पीठ के पीछे वार कौन करे !! ज़ख़्म देने को बात काफ़ी है ! आज ख़न्जर पे धार कौन करे !! प्यार पर तेरे है यक़ीं मुझको ! जग में ये इश्तिहार कौन करे !! आशियाँ पर हैं बर्क़ की नज़रें ! अब ये ज़िक्रे बहार कौन करे !! इश्क़ दरिया है आग का कोई ! देखिये इसको पार कौन करे !! है रिशू जिनकी बेवफ़ा फ़ितरत ! एैसे लोगों से प्यार कौन करे !! रिशू तिलहरी

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