।।ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।। मधुरा-मन्दोदरी खण्ड काव्य स्त्री चरित्र पर प्रकाश डालने का एक प्रयास है।मन्दोदरी के सम्पूर्ण जीवन की झलक के माध्यम से उपेक्षित महिलाओं की महत्ता प्रतिपादित किया गया है साथ ही साथ मन्दोदरी के सम्बंध में वह समस्त बताने का प्रयास किया गया है जो सामान्य जन को ज्ञात नहीं।श्रद्धा-विश्वास स्वरूप भवानी-शंकर की कृपा से काव्य में शंकर स्वयं केशरीनन्दन हमारे ईष्ट देव संकटमोचन को संकटमोचन करते हुए देखकर उनकी कृपा प्राप्ति का अनुभव होता है।जनकसुता जग जननी जानकी और करुणानिधान का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यही नहीं आज की पीढ़ी चाहे लड़का हो या लड़की सभी को भाँति भाँति से प्रेरित करने का प्रयास भी है। आशा है यह काव्य समस्त पाठकों सुधी जनों को कुछ न कुछ अवश्य देगा और मानवता का कल्याण करेगा। इसी आशा के साथ गिरिजा शंकर तिवारी कर्म स्थली नागौर-राजस्थान जन्म स्थान देवरिया-उत्तर प्रदेश आर्यावर्त-भारत