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गज़ल

26 जून 2016

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भारत मल्होत्रा की अन्य किताबें

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चाहूँ तो लिखना मगर अब क्या लिखूँ

23 जून 2016
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सहनशीलता

25 जून 2016
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आज जिसे देखिए उसे ही शिकायत है। परिवार सेए पड़ोसी सेए समाज सेए देश से और ना जाने किस.किस से। कोई व्यक्ति अपने जीवन से संतुष्ट नहीं है। पर इन सब शिकायतों के बीच जो शिकायत करने जैसी है वो हम नहीं करते। वो है स्वयं से स्वयं की शिकायत। हम संपूर्ण संसार को सुधारने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं लेकिन स्वयं स

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गज़ल . आखिरी वक्त

26 जून 2016
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आज जिसे देखिए उसे ही शिकायत है। परिवार सेए पड़ोसी सेए समाज सेए देश से और ना जाने किस.किस से। कोई व्यक्ति अपने जीवन से संतुष्ट नहीं है। पर इन सब शिकायतों के बीच जो शिकायत करने जैसी है वो हम नहीं करते। वो है स्वयं से स्वयं की शिकायत। हम संपूर्ण संसार को सुधारने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं लेकिन स्वयं स

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गज़ल आखरी वक्त

26 जून 2016
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गज़ल

26 जून 2016
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