shabd-logo

common.aboutWriter

no-certificate
common.noAwardFound

common.books_of

common.kelekh

गज़ल

26 जून 2016
0
0

गज़ल आखरी वक्त

26 जून 2016
0
0

गज़ल . आखिरी वक्त

26 जून 2016
0
0

आज जिसे देखिए उसे ही शिकायत है। परिवार सेए पड़ोसी सेए समाज सेए देश से और ना जाने किस.किस से। कोई व्यक्ति अपने जीवन से संतुष्ट नहीं है। पर इन सब शिकायतों के बीच जो शिकायत करने जैसी है वो हम नहीं करते। वो है स्वयं से स्वयं की शिकायत। हम संपूर्ण संसार को सुधारने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं लेकिन स्वयं स

सहनशीलता

25 जून 2016
3
2

आज जिसे देखिए उसे ही शिकायत है। परिवार सेए पड़ोसी सेए समाज सेए देश से और ना जाने किस.किस से। कोई व्यक्ति अपने जीवन से संतुष्ट नहीं है। पर इन सब शिकायतों के बीच जो शिकायत करने जैसी है वो हम नहीं करते। वो है स्वयं से स्वयं की शिकायत। हम संपूर्ण संसार को सुधारने के लिए प्रयत्नशील रहते हैं लेकिन स्वयं स

चाहूँ तो लिखना मगर अब क्या लिखूँ

23 जून 2016
3
1
---

किताब पढ़िए

लेख पढ़िए