गले लग कर वो रो रही थी,
माँ बाप से जो बिछड़ रही थी.
कल तक लड़ती थी माँ से,
बाप से भी थे शिकवे हज़ार,
भाई से होती थी हाथापाई,
आज बिछड़ रही थी सब से.
फिर भी मन में ख्वाब नया था,
पिया से मिलने मन मचल रहा था.
आने वाले अनदेखे कल में,
बीते कल को भुला रही थी,
गले लग कर वो रो रही थी,
माँ बाप से जो बिछड़ रही थी.
कुछ सखियों से बिछड़ चुकी थी,
कुछ से अब वो बिछड़ रही थी,
कुछ को वो खुश देख चुकी थी,
कुछ के दुःख भी देख चुकी थी,
आने वाले कल के ख्वाबों में,
अपने सुख-दुःख खोज रही थी,
मेहमानों की एक भीड़ लगी थी,
वो ख़ुद को ख़ुद में ढूंढ रही थी.
गले लग कर वो रो रही थी,
माँ बाप से जो बिछड़ रही थी. (आलिम)