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गूंगी चीख (कन्या भ्रूण हत्या)

1 मार्च 2016

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हे माँ मत मार मुझे, मैं मांगती जान की भीख,
सुन ले ए माँ, तू मेरी ये गूंगी चीख|

ऐ माँ मत मार मुझे, मैं जीना चाहती हूँ,
ऊँगली तेरी पकड़, तुझ संग चलना चाहती हूँ|

क्या पता मैं तुम्हारे लिए बेटे से भी बढ़कर होऊं,
मुझे मत मार ए माँ, मैं गर्भ में तुम्हारे रोऊँ|

पता नहीं क्यों मेरी हत्या का, तुझे ये खयाल आया है,
जिंदगी में आने से पहले ही, क्यों तूने मुझे रुलाया है?

माँ मैं तुम्हारी दुनिया में आना चाहती हूँ,
आके यहाँ पे गम सारे तेरे पीना चाहती हूँ|

क्यों माँ तू मुझे अपने गर्भ में मरवा रही है,
क्यों मेरे इस संसार में आने के सपनों का कत्ल करवा रही है?

माँ इस नन्ही सी जान के इरादे बहुत भले हैं,
फिर भी आप, क्यूँ इसे मरवाने की सोचकर चले हैं?

माँ तू क्यों नहीं ये मेरी गूंगी चीख सुन रही है?
जन्म से पहले ही क्यों मेरी मौत के सपने बुन रही है?

माँ मुझे इस संसार में आने तो दे,
मल्हारों के गीत तुझ संग गाने तो दे|
पा रही हूँ दुख मौत की खबर सुनकर,
थोड़ा सा सुख अब यहाँ आके पाने तो दे|

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