कोमल :- भाभी इतना चुप तो ये कभी नहीं होतीं हैं...। बिमार तो इससे पहले भी बहुत बार हुई हैं लेकिन ऐसे चुप तो कभी नहीं होतीं...। हम बड़ी हास्पिटल लेकर चले क्या इसे...?
हीरा :- ठीक हैं कोमल... तुम चिंता मत करो...। एक काम करते हैं कुछ देर के लिए शांति और नरेंद्र भाई को यहाँ भुला लेते हैं... वो यहाँ बच्चों का ध्यान रखें... हम दोनों इनके साथ चलते हैं...।
कोमल:- भाभी एक बात कहूँ..!
हीरा:- हाँ बोल..।
कोमल:- भाभी आज आशु को बिमार हुवे तीन चार दिन हो गए हैं... नरेंद्र भाई और शांति एक बार भी आए नहीं हैं... सिर्फ फोन पर इनसे पुछ लेते हैं.. क्या ऐसे में वो यहाँ आएंगे..!
हीरा:- हाँ वो तो मैने भी गौर किया था... पर मुझे लगा कुछ काम ज्यादा होगा..। एक बार पुछ कर देखते हैं...। नहीं तो मैं इनको बोलतीं हूँ... इनको मना नही करेंगे..। अज्जी सुनते हो अज्जू के पापा...।
विकास:- हाँ... क्या हुआ ..।
हीरा:- बच्ची का बुखार तो बढ़ता ही जा रहा है..। क्यूँ ना हम इसे बड़ी अस्पताल लेकर चले..! आप नरेंद्र भाई को बोल दो कुछ देर यहाँ आकर बच्चों को संभाले... मोहन भाई तो अभी खेतों में से देर से आएंगे..।
विकास :- ठीक हैं तुम दोनों तैयारी करो... मैं नरेंद्र को फोन करके यहाँ भुला देता हूँ...।
विकास फोन पर:- हैलो... नरेंद्र कहाँ हैं बिंदणी..।
शांति:- भाईसा वो तो काम से बाहर गए हैं..।
विकास:- फोन घर पर क्यूँ छोड़ कर गया हैं..?
शांति:- भाईसा वो फोन में चार्जिंग नहीं थीं...।
विकास:- कितनी देर में आएगा कुछ बता कर गया हैं..!
शांति:- नहीं भाईसा... कुछ बताया नहीं हैं..।
विकास:- बिंदणी तु यहाँ आ पाएगी.... हम सभी बड़ी अस्पताल जा रहे हैं गुड़िया को लेकर..।
शांति:- ठीक हैं भाईसा... मैं आ जाती हूँ..।
शांति फोन रखकर:- आपने झूठ बोलने को क्यूँ कहा मुझसे..। बात क्यूँ नहीं की आपने... आशु की तबियत ज्यादा खराब हो गई हैं..। वो लोग बड़ी अस्पताल जा रहे हैं.. आपको कबसे बोल रहीं हूँ चलिए बच्ची को देख आतें हैं..। लेकिन आपको पता नहीं कौन कौन से काम याद आते रहते हैं..। अभी मैं जा रहीं हूँ भाईसा के घर... उन्होंने भुलाया हैं.. आप भी चलिए ना साथ में.. ।
नरेंद्र:- नहीं मुझे बाहर कुछ काम हैं.. तुम जाकर आओ.. मैं शाम को तुम्हें लेने आ जाउंगा.. और सुन किसी को बताना मत की मैं घर पर ही था ....समझी..।
विकास:- सुण.... नरेंद्र तो नहीं हैं घर पर मैने बिंदणी को भूला दिया हैं... वो आए फिर चलते हैं..।
हीरा:- ठीक हैं...।
कुछ देर बाद ही शांति अपने बेटे के साथ वहाँ पहुँच जातीं हैं...और विकास, हीरा, कोमल .... आशा को बड़ी हास्पिटल लेकर जातें हैं...।
हास्पिटल में....
डाक्टर आशा की सभी ली हुई दवाईयां और गहन जांच करके...
डाक्टर:- देखिए बच्ची को मगजी बुखार है....। मतलब दिमाग का बुखार...। ये बच्चे के लिए बहुत खतरनाक हो सकता हैं अगर समय पर इलाज ना किया जाए तो..। आप सही वक़्त पर इसे यहाँ लेकर आ गए हैं...। अभी आप घबराइये मत ... इसे कुछ दिन हमारी निगरानी में रखेंगे तो बच्ची जल्दी स्वस्थ हो जाएगी..।
विकास:- ठीक हैं डाक्टर साहब जैसा आपको सही लगे..।
विकास:- सुण... तु बिंदणी को लेकर घर जा... मैं यहाँ रुकता हूँ... शाम को मोहन को और बिंदणी को भेज देना...। माँ हैं तो रात में बच्ची के साथ यहीं रहे तो सही हैं..। अभी फिलहाल तुम दोनों घर जाओ..।
हीरा:- हां.. ठीक हैं... ये ही सही रहेगा..।
विकास:- ध्यान से जाना..।
हीरा और कोमल वहाँ से घर वापसी के लिए निकल गई..।
उनके जाने के बाद... डाक्टर ने कुछ देर बाद विकास को अपने कैबिन में भुलाया और कहा:- आइये बैठिये भाईजी..।
विकास :- क्या हुआ डाक्टर साहब... सब ठीक तो हैं ना..!
डाक्टर :- देखिए... हमने अभी एक नर्स को बच्ची से बात करने के लिए भेजा... क्योंकि मुझे ऐसा लगा जैसे बच्ची कुछ डरी हुई हैं...। उस वक्त मैने आपको कुछ बताना सही नहीं समझा क्योंकि पहले मैं खुद पक्का करना चाहता था..। मेरा अंदाजा बिल्कुल सही था..। बच्ची सच में बहुत डरी हुई हैं..। बहुत प्यार से पुछने पर उसनें नर्स को कुछ ऐसा बताया हैं जिससे चिंता होना और डरना स्वाभाविक हैं..।
विकास:- क्या बात हैं.. डाक्टर साहब..ऐसा क्या बताया हैं गुड़िया ने..!
डाक्टर :- नरेंद्र.... ये नरेंद्र कौन हैं... आप जानते हैं... किसी नरेंद्र को... जिसका आपके घर आना जाना हो..।
विकास:- नरेंद्र... हाँ... मेरा छोटा भाई हैं...। वो अपने परिवार के साथ अलग रहता हैं... पर हां घर पर आता रहता हैं..। क्यूँ... उसने क्या किया..।
डाक्टर:- मुझे लगा ही था... कोई घर का ही.... खैर छोड़िये...। अभी बच्ची ने जो कहा हैं नर्स से वो आप उससे ही सुन लिजीए..।
डाक्टर ने नर्स को भीतर बुलाया..।
डाक्टर:- सिस्टर... बच्ची ने जो भी तुमसे कहा है... इनको बता दो..।
नर्स:- जी साहब...। भाईजी.... कोई नरेंद्र हैं जो बच्ची के साथ गलत व्यवहार करता हैं..। बच्ची को अकेले देखकर या घुमाने के बहाने बाहर ले जाकर उसके शरीर को गलत तरीके से छुता हैं और कभी कभी तो बच्ची को निवस्त्र होने को कहता हैं और फिर उसके फोटो भी निकालता हैं..और किसी को कुछ ना बताने की धमकियाँ भी देता हैं..। इन सब से बच्ची बहुत ज्यादा डर गई हैं.... उसकी वजह से ही वो अकेले रहने से डरती हैं शायद... कोई नरेंद्र चाचा हैं... वो उसके नाम से भी कांप जातीं हैं..।
डाक्टर:- तुम बाहर जाओ अभी.... सिस्टर..।
नर्स वहाँ से चली जाती है..।
डाक्टर:- देखिए... भाईजी... घर का मामला हैं... इसलिए घर में सुलझा ले तो बेहतर हैं..। हम डाक्टर हैं... हम शरीर का इलाज करेंगे.. मन का नहीं..। बच्ची को अभी कैसे समझाना हैं और आपके भाई को कैसे... वो आप ज्यादा बेहतर तरीके से जानते होंगे..। बच्ची को फिलहाल तो इस बात का ज्यादा डर हैं की उसके चाचा के मोबाइल में उसके फोटो हैं... चाचा सबको दिखा देंगे..। माना बच्ची छोटी हैं... पर इतनी समझदार तो हैं की क्या सही हैं और क्या गलत..। उसके माता पिता ने उसे सही परवरिश दी हैं... तभी वो इन सब चीजो से डरी हुई हैं..। अभी कुछ दिन बच्ची को यहीं रहने दिजिए..। आज उसने सिस्टर के सामने अपना दिल खोला हैं तो बहुत जल्द शरीर में सुधार भी आ जाएगा..। फिलहाल बस आप किसी भी सुरत मे अपने भाई नरेंद्र को यहाँ मत आने दिजिएगा..।
विकास ये सब सुनकर बुत बन गया था.. उसकी जुबान जैसे कट चुकी हो... वो कुछ नहीं बोला और डाक्टर के कैबिन से बाहर बरामदे में आकर अपने दोनों हाथों से अपना सिर पकड़ कर रोने लगा..। हे भगवान... ये किस दरिंदे का भाई मुझे बना दिया.. जी तो करता हैं टुकड़े टुकड़े कर दूं उसके..। इतना घटिया और गिरा हुआ इंसान मेरा भाई नहीं हो सकता..।
हमारे समाज में ऐसी ना जाने कितनी आशाएं होंगी जो ऐसे डर और खौफ़ में जीतीं होंगी..। लेकिन शर्म और बदनामी के डर से कभी किसी को कुछ कह नही पाती..।
ऐसी कुछ और भी सच्ची कहानियाँ अगले भाग में जरूर पढ़िएगा..।
ऐसी कहानियाँ लिखने का मेरा मकसद समाज के उन लोगों को जो ऐसे काम करते हैं...उनकों ये बताना हैं की आपकी एक छोटी सी मस्ती... मज़ाक... या हवस.... किसी की जिंदगी खत्म या खराब कर सकतीं हैं..।
मिलतें हैं अगले भाग में..एक नई कहानी के साथ...।
जय श्री राम....।