कुनाल की मौत से कभी पर्दा नहीं उठ पाता.... उसकी मौत को सामान्य मृत्यु मान कर सभी अपने आप में व्यस्त हो जाते.... और ब्रजमोहन की दरीदंगी कभी सामने ना आतीं अगर उस संस्था में एक और किस्सा ना होता तो...।
ब्रजमोहन की हरकतें अब बढ़ने लगी थी...। उसकी मानसिकता दिन ब दिन बिगड़ती जा रहीं थी...। कहते हैं शेर के मुंह अगर खुन लग जाए तो फिर वो हैवानियत की सारी हदें पार कर देता हैं...।
ऐसा ही ब्रजमोहन के साथ हुआ... कुनाल से बदले की भावना से जो कुकर्म उसने किया था... उसे अब उससे मज़ा आने लगा था... वो अब हर बच्चे के साथ ऐसे ही अपनी हवस पूरी कर रहा था...। बच्चों को डरा धमका कर उनकी नग्न अवस्था मे फोटो लेकर उनकों ब्लैकमेल करके अपनी हैवानियत को बढ़ाता जा रहा था...। उसे लगा ये बच्चे कभी मेरा विरोध नहीं करेंगे... और अगर करेंगे भी तो इनकी सुनेगा कौन... इनकी मानेगा कौन... कुछ मुजरिम थे तो कुछ लावारिस...उनकी सुनने वाला हैं ही कौन...। उसकी ये सोच उसके गंदे इरादों को ओर बढ़ा रहीं थी...। शायद ये सब सालों तक चलता भी रहता अगर विकास विरोध ना करता और ब्रजमोहन का सच ना कहता तो... शायद कुनाल की मौत से भी कभी पर्दा नहीं उठ पाता...। लेकिन विकास...एक पन्द्रह साल का अनाथ बच्चा ये सब कुछ चुपचाप सहन नहीं कर पाया और एक दिन कुछ और बच्चों के साथ मिलकर संस्था के मैनेजर के समक्ष अपनी आपबिती सुना बैठा...। उन बच्चों के शरीर पर ब्रजमोहन की हैवानियत के निशान काफी थें उसके जुर्म को साबित करने के लिए...।
मैनेजर ने बिना मौका गंवाएं..... ब्रजमोहन को पुलिस के हवाले कर दिया...।
लेकिन क्या वो सिर्फ एक ही ऐसी संस्था थीं जहाँ ऐसे घिनौने काम हो रहें थे...। नहीं.... ना जाने ऐसे कितने कुनाल आज भी डर और शर्म की वजह से दम तोड़ रहें हैं...।
इस डर और शर्म की शिकार सिर्फ लड़कियां ही नहीं लड़कें भी हो रहे हैं... आखिर इज्जत तो उनकी भी होतीं हैं ना...। जरुरत हैं तो ऐसे लोगों की मानसिकता बदलने की...।
जो ना जाने किस जूनून को पाने के लिए किसी की इज्जत और जिंदगी से खेल जातें हैं...।