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भाग.... 3

6 अप्रैल 2022

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संजना....... 
ये कहानी हैं संजना की...। 
आजाद ख्यालों वाली.... हर चीज में नम्बर वन रहने वाली... संजना की..। 

अंशिका:- संजु..... जल्दी कर यार... लेट हो जाएगा..। 
संजना:- आई.... बस दो मिनट...। 

(अंशिका संजना की बेस्ट फ्रेंड.... स्कूल से लेकर कालेज तक दोनों साथ साथ पढ़ी...। ये उनके कालेज का आखिरी साल था..। अंशिका रोजाना कालेज के लिए संजना को लेने आतीं थीं...। संजना अपनी मम्मी के साथ रहतीं थीं...। उसके पिता जी की कई सालों पहले मृत्यु हो चुकी थी.... कुछ समय संजना की माँ संजना के साथ अपने मायके में भी रहीं थी पर फिर अलग एक किराए के मकान में रहने लगी..) 


कुछ समय बाद संजना तैयार होकर घर से निकली..। 
अंशिका:- क्या यार रोज फोन करके आती हूँ फिर भी देर करवा देतीं हैं...। अरे इतना भी क्या तैयार होने का... ऊपरवाले ने पहले ही तुझे इतना खुबसूरत बनाया हैं... और ज्यादा तैयार होकर क्यूँ कालेज में सभी को हास्पिटल पहुंचाने का इंतजाम कर रहीं हैं..। 
संजना:- बस कर अंशु.... अभी जल्दी चल...अब तुझे देर नही हो रहीं..! 
अंशिका मुस्कुराते हुए:- चलुंगी तो तब ना जब मैडम बैठेंगी...। 
संजना :- ओहह....। 


संजना अंशिका की एक्टिवा पर बैठी और दोनों सहेलियाँ कालेज की ओर चल दी...। 

(संजना सच में बहुत खुबसूरत थीं....कालेज के लड़के रोजाना सिर्फ संजना को देखने ही आतें थें...बड़ी बड़ी आंखें....गुलाबी होठं....परफेक्ट फिगर....लंबे घने बाल...कोई भी एक नज़र में उसे दिल दे बैठे....लेकिन संजना लड़कों से दूरी बनाकर ही रहतीं थीं...।)


कालेज के लैक्चर अंटेड कर संजना और अंशिका कैंटीन में कुछ वक्त बिताया करतीं थीं..। आज भी वो दोनों अपने कुछ ओर दोस्तों के साथ कैंटीन में हंसी मजाक कर रहीं थीं...। 


रौनक:- अरे यार आरव ओर कितने साल यहाँ दूर से बैठा बैठा संजना को निहारता रहेगा..। अबे एक बार तो हिम्मत कर...। कालेज का आखिरी साल हैं... ओर कुछ महीने ही बचें हैं अब तो.... ऐसा ना हो तू सोचता ही रह जाए और तेरी बुलबुल किसी ओर के साथ.....। 
मोनी हंसते हुए:- हां यार आरव.... अरे प्यार करता हैं तो इजहार भी तो कर... वरना उसे कोई सपना थोड़ी आने वाला हैं...। 
सुनिल:- यार आरव...आज हिम्मत करके बोल ही दे.... ज्यादा से ज्यादा क्या होगा.... तू भी हमारी लिस्ट में शामिल हो जाएगा...। 
सभी दोस्त आरव को फोर्स करने लगे...। 


(आरव.....कालेज का सबसे टाप स्टूडेंट....दिखने में भी बेहद स्मार्ट....कालेज के पहले दिन से ही संजना पर फिदा था....लेकिन संजना की लड़को से दूरी और नाराजगी की वजह से कभी उससे कह नहीं पाया....कालेज के ना जाने कितने लड़कों को संजना रिजेक्ट कर चुकी थीं....।) 

आरव के दोस्त:-
देख आरव...आज तो हिम्मत दिखा दे... कम से कम तुझे क्लियर तो हो जाएगा...। 


आरव :- ठीक हैं यारों.... आज तो आर या पार.... सही हैं कम से कम मुझे पता तो चलेगा...। 

आरव संजना और उसकी सहेलियाँ जहाँ बैठी थी वहाँ गया...। 
आरव:- एक्सक्यूज मी ..... गर्ल्स...... क्या मुझे थोड़ी कंपनी मिलेगी...। क्या मैं यहाँ बैठ सकता हूँ..! 
संजना:- क्यूँ... यहाँ पर ही क्यूँ बैठना हैं.... कैन्टीन में ओर भी तो जगह हैं...। 
आरव:- ठीक हैं.... सॉरी ... नहीं बैठता.... लेकिन जो कहने आया हूँ वो तो कह सकता हूँ ना..! 
अंशिका समझ गई थी की क्या होने वाला हैं.... वो आरव के मजे लेते हुए बोलीं:- हां हां इरशाद.... कहीये.... क्या फरमाने आए हैं आप..! 
आरव एक कुर्सी को साइड में करके... घुटनों के बल बैठकर..नजरें झुकाकर...संजना के सामने जाकर बोला:- संजना.... आइ लाइक यू.... कालेज के पहले दिन से तुम मेरे दिल पर छाई हुई हो...। प्लीज एक्सेप्ट माय फ्रेंडशिप.... प्लीज डियर प्लीज....। 

संजना गुस्से से उठ खड़ी हुई:- हो गया तुम्हारा....! अब ये बताओ कितने की शर्त लगा कर आए हो अपने दोस्तों से...। 
आरव खड़े होकर:- नहीं संजना... तुम मुझे गलत समझ रहीं हो.... मैं सच में तुम्हें बहुत पंसद करता हूँ.... मैने कोई शर्त नहीं लगाईं हैं...। 
संजना:- लेकिन मैं पसंद नहीं करतीं.... ओके.... मिल गया जवाब... नाओ प्लीज लीव मी.....। 

आरव अपना सा मुंह लेकर वहाँ से चला गया...। उसके जाते ही.... संजना भी गुस्से में कैंटीन से बाहर चलीं गई... अंशिका भी उसके पीछे पीछे चल पड़ी...। 

अंशिका:- अरे रुक यार.... मुझे तो साथ में ले ले.... मैं कोई लड़का नहीं हूँ...! 
अंशिका संजना के करीब पहुंच कर... :- यार संजना... तुझे लड़कों से इतनी चिढ़ क्यूँ हैं....।अब यार ऊपरवाले ने तुझे इतना खुबसूरत बनाया हैं तो उसमें उन लड़कों का क्या कसूर....। यार जिंदगी में कभी ना कभी तो तुझे भी किसी ना किसी से शादी तो करनी ही हैं ना.... ओर वो भी करेगी तो एक लड़कें से ना.... तो फिर उनसे इतनी दूरी क्यूँ..! 
संजना:- अंशु.... प्लीज.... मुझे इस टापिक पर कोई बात नहीं करनी...। तुझे चलना हैं चुपचाप साथ तो ठीक... वरना मैं खुद चलीं जाउंगी...। 
अंशिका:- ओ.... हैलो.... ये तेवर उन लड़को को दिखाना समझी... अकेले जाने और मुझ छोड़ने की बात की ना तो सच कह रहीं हूँ... एक जोर का थप्पड़ लगा दूंगी...। 
संजना:- तो फिर क्यूँ तू बार बार ये बात निकालती हैं यार... तुझे पता हैं ना... मुझे नहीं पसंद...। 
अंशिका:- हां पता हैं तुझे नहीं पसंद..उसी की वजह ही तो पुछती हूँ हर बार की आखिर बात क्या हैं.... लेकिन तू मुझे अपना समझे तो कुछ बताएगी ना...। छोड़.. जाने दे.... बैठ अभी... नहीं बोलुंगी आज के बाद तुझे कभी भी... कुछ भी...। 
संजना:- अब तू ऐसे नाराज होकर गाड़ी चलाएगी...! 
अंशिका:- टेंशन मत ले... तुझे कुछ नहीं होने दूंगी...। बेठ अभी...। मुझे अभी कुछ बात नहीं करनी है...। 
संजना:- यार... तू क्यूँ ऐसा कर रहीं हैं...। तू समझ... हैं कुछ बात.... मैं नहीं बता सकतीं... प्लीज अंडरसंटेड यार...। 
अंशिका:- देख संजु... मुझसे गलती हो गई... आज के बाद कभी नहीं पुछुंगी... और अब मुझे इस टापिक पर कोई बात नहीं करनी है..। अभी बैठ और चल...। 
संजना बिना कुछ बोले उसके पीछे एक्टिवा पर बैठ गई...। ऐसा शायद पहली ही बार हुआ था की अंशिका पूरे रास्ते बिना कुछ बोले संजना के घर तक आई थी और बिना संजना को ठीक से बाय किए वहाँ से चली भी गई थी... । 

अंशिका के जातें ही संजना अपने घर के भीतर गई तो उसकी माँ सुरेखा बोलीं:- क्या हुआ बेटा... आज अंशु भीतर नहीं आई...। वो रोज तो दो मिनट के लिए ही सही आतीं हैं... उसकी तबीयत तो ठीक हैं ना..! 
संजना:- हां.... ठीक हैं... बस ऐसे ही... आज वो जिद्द करने लगीं तो मैने थोड़ा गुस्सा कर लिया...। 
सुरेखा:- ओहह... समझी... लेकिन बेटा वो सही तो कहतीं हैं ना... किसी एक की गलती की सजा तुम कब तक दुसरो को देतीं रहोगी.. और फिर मैं जितना कर सकतीं थी.. उतना तो किया ना..। लेकिन मेरे बाद क्या..? 
संजना:- माँ.... प्लीज....आप सब जानकर भी ऐसा कैसे कह सकतीं हो...। 

सुरेखा उसके सिर पर हाथ रखकर आइ एम सारी बेटा बोलकर वहाँ से चली गई....। 

संजना काफी देर तक अकेले कमरे में सोचती रहीं.... फिर उसने अंशिका को फोन किया:- हैलो अंशु....! 
अंशिका:- हैलो... हां संजु... बोल...क्या हुआ..! 
संजना:- सुन मेरे घर आ सकतीं हैं..! कुछ जरुरी काम हैं..! 
अंशिका:- अभी... इस वक्त.... क्या काम आ गया तुझे...! 
संजना:- सुन तू तेरे घर पर बोलकर आज की रात.... मेरे साथ यहाँ रुक सकतीं हैं..? 
अंशिका:- क्या बात हैं संजु... सब ठीक तो हैं ना...। 
संजना:- तू आ सकती हैं की नहीं....! 
अंशिका:- ठीक हैं आतीं हूँ...। 


कुछ ही देर में अंशिका उसके घर पहुंची...। 
अंशिका:- क्या बात हैं आंटी.. संजु ठीक तो हैं ना... मुझे इस वक्त यहाँ बुलाया...! 
सुरेखा:- अंशु..... आज उसे तेरी बहुत जरुरत हैं... सब संभाल लेना बेटा...। 
अंशिका दौड़ती हुई संजना के कमरे में गई तो संजना.. पंलग पर सिकुड़ कर बैठकर रो रहीं थी..। 
अंशिका दौड़ कर उसके पास गई और बोलीं:- क्या हुआ संजु... ऐसे क्यूँ रो रहीं हैं... तु ठीक तो हैं ना...! 
संजना ने अंशिका को गले से लगा लिया और जोर जोर से रोने लगी...। अंशिका को कुछ समझ नहीं आ रहा था की आखिर हुआ क्या हैं..। वो उसे बस चुप करा रहीं थी और ढांढस बंधा रहीं थी...। 

कुछ देर बाद संजना ने खुद को संभाला और अंशिका से कहा:- अंशु... आज मैं अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी सच्चाई तुझे बताने जा रहीं हूँ.... उसके बाद तुझे तेरे हर सवाल का जवाब मिल जाएगा...। अंशु पापा की डेथ के बाद हम नानी के घर चले गए थे... वहाँ नानी और मेरे दो मामा रहते थे...। नानी के कहने पर ही मम्मी और मैं वहाँ रहने चले गए...। हमारे वहाँ जाने से मेरे दोनों मामा कुछ खुश नहीं थे..ओर मुझे भी वहाँ कुछ ठीक नहीं लग रहा था...। मेरे छोटे वाले मामा की नजरें ठीक नहीं थी.... मैने मम्मी से इस बारे में कहा पर उन्होंने सूनी अनसुनी कर दी....। धीरे धीरे मामा की हरकते बढ़ती गई... अब वो मुझे मौका देखकर मस्ती मजाक में यहाँ वहाँ छुने लगे...। मैनें फिर मम्मी से कहा... लेकिन मम्मी ने फिर अनसुना कर दिया...। एक दिन तो हद हो गई जब घर में कोई नहीं था तो उन्होंने मेरे साथ जबरदस्ती करने की कोशिश की...। मैं अपने आप को बचाने के लिए घर की उपरी मंजिल से बालकनी से बाहर सड़क पर कुद गई... जिससे मेरे पैर में फैक्चर हो गया...। सड़क पर लोगों ने मुझे हास्पिटल पहुंचाया... और मम्मी को खबर की... लेकिन मेरे मम्मी को कुछ बताने से पहले ही मामा ने मम्मी और नानी को झूठी कहानी सुना दी की मेरा किसी लड़कें से अफेयर चल रहा है...। जिसकी वजह से जब मैने मम्मी को सच्चाई बताई तो उन्होने विश्वास ही नहीं किया..और अब तो आए दिन मामा सबके सामने मुझे यहाँ वहाँ छुते रहते थे.... सब मस्ती में लेते थे.... लेकिन उनकी नियत मुझे पता थी... मैं अंदर ही अंदर घुट रहीं थी... लेकिन मेरी घुटन का किसी को आभास नहीं था...। होली.... ये वो दिन था जो नासुर बनकर मेरी जिंदगी में आया...। मामा ने अपनी हवस को अंजाम देने के लिए मुझे धोखे से नशे का लड्डू खिला दिया... और फिर मौका देखकर मुझे कमरे तक भी ले गया...। मेरा सब कुछ खत्म हो जाता उस दिन पर किस्मत ने ना जाने कैसे.... मम्मी को वहाँ भेज दिया...। बस उसी पल हम लोगो ने वो घर छोड़ दिया... पर तब से एक दिमागी बिमारी मेरे अंदर घर कर गई हैं...। मैं उस दिन से किसी भी लड़कें को अपने करीब नहीं आने देना चाहती....। रिश्तों से.... रिश्तेदारों से नफरत सी है गई हैं...। 

अंशिका:- तेरे दूसरे मामा और नानी....? 
संजना:- नानी तो कुछ दिनों बाद ही स्वर्ग सिधार गई थी.. और बड़े मामा को मम्मी की बात पर यकीन ही नहीं...। यूं समझों वो तो हमारे वहाँ से चले जाने से ज्यादा खुश थे...। 
मम्मी ने भी सबसे रिश्ते तोड़ दिए हैं...। लेकिन मम्मी को डर हैं की अगर उनको कुछ हो गया तो कहीं मामा फिर से...। 
इसलिए आज तुझसे बहुत हिम्मत करके सब कुछ शेयर किया हैं...। 



कई बार ऐसे लोग हमारे बहुत आस पास और करीब ही होतें हैं... जो मौका ढुंढते रहते हैं... लेकिन कई बार कोई अजनबी भी वो कर जाता हैं जो वो चाहता हैं....वो भी हमारी मर्जी के खिलाफ...। 
अगले भाग में ऐसा ही एक किस्सा....प्रस्तुत करुंगी....। साथ और सहयोग बनाये रखें....। 


जय श्री राम....। 





Astha Singhal

Astha Singhal

बेहतरीन प्रस्तुति 👍

30 मई 2022

Diya Jethwani

Diya Jethwani

30 मई 2022

धन्यवाद जी

भारती

भारती

बेहतरीन रचना

6 अप्रैल 2022

Diya Jethwani

Diya Jethwani

6 अप्रैल 2022

शुक्रिया जी

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रचनाएँ
Good touch... Bad touch..?
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भाग.... 3

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